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दुर्ग से धमतरी मुख्य मार्ग पर सनौद थाना गुरूर थाना और कवंर चौकी के द्वारा सामुहिक चेकिंग अभियान चलाया गया

लगातार तेजगति से बढ रही सडक दुर्घटना निश्चितरूप से एक बडी समस्या है। इस बीच सरकार भंयकर तरीके से बढने वाली इस समस्या को लेकर हद से ज्यादा हलाकान हो चुकी है। हालांकि सरकार के द्वारा इस परेशानी से बचने हेतू विभिन्न प्रकार के कदम भी उठाए जा रहे है। इस कडी में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के द्वारा भी लगातार प्रयास किया जा रहा है जिसकी झलक धमतरी से दुर्ग मुख्य मार्ग पर बिते कल संध्याकालिन समय में इस सडक से गुजरने वाले आम राहगीरों को दिखाई दिया है। बता दे कि प्रदेश सरकार बढती हुई सडक दुर्घटना को ध्यान में रखकर इन दिनो यातायात परिवहन पर सख्ती से कदम उठा रही है। परिणाम स्वरूप पुलिस प्रशासन के द्वारा जगह जगह अलग अलग थाना क्षेत्र में चेकिंग अभियान चलाकर आम आदमी को सडक सुरक्षा नियमों का पालन करने हेतू जागरूक किया जा रहा है। वंही यातायात नियमों का पालन नही करने वाले लोगों पर चलान भी किया जा रहा है। जिसकी बानगी छत्तीसगढ़ सरकार के दिशा निर्देश पर बालोद पुलिस अधिकक्ष के मार्गदर्शन में डीएसपी BF एक्का के नेतृत्व में गुरूर थाना प्रभारी, सनौद थाना प्रभारी के साथ कवंर चौकी प्रभारी अपने अपने पुलिस स्टाप के साथ नगर पंचायत पलारी और ग्राम देवकोट के मध्य में वाहन चेकिंग अभियान चलाकर आम राहगीरों जागरूक करते हुए देखने को मिला है।

क्यों जरुरी है सडक सुरक्षा 

अर्थव्यवस्था की गति को रफ्तार देती सड़कें देश के विकास एजेंडे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सड़कें उत्पादकों को बाज़ार से, श्रमिकों को नौकरियों से, छात्रों को स्कूल से और बीमारों को अस्पताल से जोड़ती हैं। हालाँकि सड़कें विकास में केवल तभी योगदान दे सकती हैं जब वे यात्रियों के लिये सुरक्षित हों। बीते वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसके अनुसार वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं एवं 50 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर शारीरिक चोटें आती हैं। देश के विकास में मानव पूंजी के महत्त्व को देखते हुए उक्त आँकड़ा गंभीर चिंता का विषय है। आवश्यक है कि सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करते हुए इस संदर्भ में आवश्यक उपायों की खोज की जाए।

सड़क दुर्घटना और भारत


आए दिन सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएँ भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। विश्व सड़क सांख्यिकी अनुसार, विश्व के 199 देशों में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या में भारत पहले स्थान पर है। वंही सड़क सुरक्षा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली कुल मौतों में से 11 प्रतिशत भारत में होती हैं। भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हर वर्ष   आधिकारिक तौर पर लगभग 5,67,044 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की जा रही है।


सड़क सुरक्षा पर वैश्विक स्थिति दर्शाने वाली रिपोर्ट- के अनुसार, विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रत्येक 23 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।

सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत को होने वाले नुकसान को लेकर विश्व बैंक के नवीनतम आकलन के अनुसार, 18-45 आयु वर्ग के सड़क उपयोगकर्त्ताओं की दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर सर्वाधिक 69 प्रतिशत है।

इसके अलावा 54 प्रतिशत मौतें और गंभीर चोटें मुख्य रूप से संवेदनशील वर्गों जैसे- पैदल यात्री, साइकिल चालक और दोपहिया वाहन सवार आदि में देखी जाती हैं।

भारत में 5-29 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और युवा वयस्कों में सड़क दुर्घटना मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।

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