30 एकड़ जमीन को अपने पांच पीढि़यों को बिठा कर खिलाने की बात पर डिग्गें हांकते हुए साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष टहल सिंह साहू को हर किसी ने देखा है और उनकी इस उपलब्धि से सभी खुश और उत्साहित हैं किन्तु जो आरोप उन पर भंयकर तरीके से इन दिनों लग रहा है उसे देखकर न सिर्फ बालोद जिला के साहू समाज अंचभित है बल्कि छत्तीसगढ़ महतारी के करिया बेटा मानें जाने वाले हर तेली बच्चा का सर शर्म से झुक रहा है। इस बीच खबर यह भी सूत्रों के हवाले से प्राप्त हुई है कि साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री टहल सिंह साहू को छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनीतिक में मौजूद कुछ चंद बड़े बेईमान नेता भी पर्दे के आड़ में सहयोग प्रदान करने में तूले हुए हैं,जिनकी हार्दिक इच्छा छत्तिसगढ़ प्रदेश में साहू समाज की बर्बादी है। किंतु यह भी कयास लगाया जा रहा है कि साहू समाज छत्तीसगढ़ अपने समाज की प्रतिष्ठा पर दाग लगवाने में सहयोग प्रदान करने वाले हर सफेदपोश वर्दी धारी नेताओं को बेनकाब करने से भी पीछे नहीं हटने वाले हैं।
धरती पर पैदा होने वाले सभी मनुष्यों को समूचे चराचर जगत में एक समाजिक प्राणी के तौर पर देखा जाता है और शायद इसलिए दुनिया भर के अंदर मौजूद इंसानों ने अपने मध्य अपने लिए समाज,समूह और समुदाय स्थापित कर लिया है। स्थापित किये गए समाज को मनुष्य जाति न सिर्फ गंगा के समान पूजते हैं, बल्कि अपने समाज के प्रति हर मनुष्य हर बख्त नतमस्तक रहता हैं। गौरतलब हो कि हम सभी मनुष्य किसी न किसी समाज में रहते हैं। समाज के बीना मनुष्य का जीवन संभव नहीं हो सकता है। इसलिए यह भी कहा जाता है कि जंहा पर जीवन है वहां समाज भी है,लेकिन जब समाज के भीतर मौजूद अगवानी करने वाले समाजिक पदाधिकारी ही नैतिकता की हद को तार तार करने पर उतारू हो जाए तब उस समाज हस्र क्या हो सकता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। बहरहाल साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष टहल सिंह साहू पर साहू समाज छत्तीसगढ़ राज्य से जुड़े हुए लगभग सभी जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश कार्यकारिणी और तहसील अध्यक्षों ने धांधली और मनमानी करने का ठिकरा फोड़ते हुए उनकी समाजिक प्रतिष्ठा पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। साहू समाज से जुड़े हुए समाजिक पदाधिकारियों की मानें तो अध्यक्ष पद का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद साहू समाज को चकमा देते हुए स्वंय प्रदेश अध्यक्ष बने रहने की गैर जिम्मेदाराना इच्छा रखते हुए समाजिक नियमावली में अपनी सहुलियत के मुताबिक फेर-बदल कर समाजिक नैतिकता को तहस-नहस करने पर तूले हुए हैं प्रदेश अध्यक्ष टहल सिंह साहू,जबकि समाज के मुखिया होने के नाते उन्हें समाजिक गरिमा का अंदाजा लगाते हुए आचरण प्रस्तुत करना चाहिए था।

नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत को चरितार्थ कर गए टहल सिंह साहू
