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बैगर Sorry बोले रेत चोर रणतुंगा के दहशत से लहूलुहान होने के कगार पर पहुंची बालोद जिला की जीवनदायिनी नदियां

 विनोद नेताम की कलम से....

गौरतलब हो कि इन दिनों छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर रेत उत्खनन को लेकर भंयकर तरीके से जगह जगह बवाल मचते हुए दिखाई दे रहा है इस कड़ी में बालोद जिला का नाम भी काफी महत्वपूर्ण तरीके से लिया जा रहा है, क्योंकि बालोद जिला के सरजमीं पर विगत कई वर्षों से अंधाधुंध अवैध तरीके से रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है,जो कि वर्तमान समय में भी धड़ल्ले के साथ जिला के सरजमीं पर सांय सांय गाहे-बगाहे संचालित होने की सूचना लगातार मिल रही है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि, सवाल तो पुछे जायेंगे कि आखिरकार बैगर soory बोले दिन-रात अवैध तरीके से रेत चोरी करने वाला रेत चोर सफेदपोश रणतुंगा आखिर कौन है? क्या सफेदपोश वर्दी धारी नेता और चंद हरामखोर बेईमान किस्म के अधिकारीयों की नाकामी के चलते बैगर Sorry बोले या फिर बैगर दान दक्षिणा अर्जित किये छत्तीसगढ़ महतारी की पावन धरा पर कल-कल करती हुई बहने वाली जीवनदायिनी नदियों की धाती को बड़े बड़े चैन माउंटेन मशीनों के जरिए कोई रेत चोर रणतुंगा दिन-रात चीर सकता है ? दरअसल बालोद जिले के डौडी तहसील क्षेत्र अंतर्गत मर्रामखेड़ा में रेत उत्खनन पर किसी सफेदपोश फूलछाप किसी सपोला को लेकर मिडिया जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। वंही नफरत के बजार में मोहब्बत की दुकानदारी चलाने की बात कहने वाले लोगों की जमात की इमान पांच साल तक खुलेआम अवैध रूप से रेत उत्खनन संचालित करवाने बावजूद संदेह के दायरे में बताया जा रहा है।
आधुनिक करण के इस दौर में जंहा मनुष्य जाति अपनी सुविधानुसार जीवन बसर करने की इच्छा पाले हुए अपने लिए और अपने परिवार के लिए दिन-रात मेहनत और पसीने की कमाई को खर्च कर नये नये निर्माण कार्य करवाने में तूले हुए दिखाई दे रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के अंदर मौजूद रहने वाले सभी गुरबती के शिकार गरीबों को पक्का छत देने की मुहिम पर चलते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर गरीबों की झोपड़ी को पक्का छत में बदलने हेतू वचन बद्ध नजर आ रहे हैं,किंतु बड़ा सवाल यह उत्पन्न होता है कि आखिरकार आधुनिकीकरण के इस दौर में जारी इस नया निर्माण का कुदरत और प्रकृति पर कैसे और कितना असर पड़ेगा? बता दें कि निर्माण कार्य से संबंधित ज्यादातर संसाधन जैसे कि छड़ ( लोहा ) सिमेंट ( चूना पत्थर और अन्य खनिज पदार्थ) इट ( मिट्टी) बालू ( रेत) कुदरत से खिलवाड़ कर प्राप्त की गई प्रमुख संसाधन हैं। इस संसाधन को मानव विकास हेतू कुदरत के द्वारा स्थापित किये गए नियमों की अवहेलना करके जबरदस्ती या फिर छल कपट के जरिए सरकार और कार्पोरेट कम्पनियों के जरिए धरती का सीना चीर कर निकाला जा रहा है। हालांकि सरकार ने बकायदा खनिज संपदा की निकासी और परिवहन हेतू नियम और कायदे इजाद कर रखे हुए हैं,लेकिन कहा जाता है कि नियम और कायदे कानून तोड़ने के लिए ही बनाए जाते हैं।
फूलछाप कमल भैय्ये नेताओं से ताल्लुक रखने वाली जमीनी धरातल पर मौजूद रेत लूट की सनसनीखेज वारदात
विदित हो कि नियम कानून और कायदे को अपने जेब में ठूंस कर बालोद जिले की सरजमीं पर जीवनदायिनी के रूप में अवतरित होने वाली पवित्र नदियों की छाती पर दिन रात बड़े बड़े मशीनों के जरिए मूंग दलते हुए लहू बहाने का डर और पैदा करके रेती चोरी करने वाले रेत चोर रणतुंगा का आतंक चरम पर पहुंचने की खबर है। हालांकि इस आतंक के पीछे कुछ फूलछाप कमल भैय्ये भाजपाई नेताओं और बेइमानी की चादर पहने चंद हरामखोर कांग्रेसी नेताओं का नाम भी सामने आ रहा है। परिणामस्वरूप बालोद जिला के सरजमीं पर मौजूद ज्यादातर नदियों में खनिज माफिया सफेदपोश वर्दी धारी नेताओं के संरक्षण में रोज कर रहे हैं, बड़े बड़े मशीनों के जरिए अवैध तरीके से रेत उत्खनन। जबकि अमृतकाल के इस दौर में भी कंधारी की भूमिका में स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाली माइनिंग अधिकारी कान में तेल डालकर कलेचुप मलाई खाने में बेहद व्यस्त बताई जा रही है। अवगत हो कि बालोद जिला के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल डौंडी तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बेलोदा के आश्रित ग्राम मर्रामखेड़ा में अवैध तरीके रेत उत्खनन विगत कई दिनों से सांय सांय संचालित किया जा रहा था और नदियों की धाती को चीरकर अवैध तरीके से निकाली गई इस रेत को परिवहन करने हेतू बालोद हाईवा परिवहन संघ भी लगा हुआ था, जबकि हराम की कमाई को खाना अपराध किसी भी समुदाय या संघ को शोभा प्रदान नहीं करता है। परिवहन संघ से ताल्लुक रखने वाले एक सदस्य की मानें तो उनकी गाड़ियां लोन पर है इसलिए अवैध रूप से रेत परिवहन कार्य में उनकी गाड़ियां शामिल हुई है यदि खनन करने वाले लोग और मशीन नदी से रेत उत्खनन कर हमारी गाड़ियों में नहीं डालते तो हम क्यों परिवहन करते। शासन और प्रशासन हर दफ्फा अवैध रेत उत्खनन से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर मामलों में परिवहन में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों पर कार्यवाही कर देते हैं, जबकि खनिज माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

anutrickz

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