आरक्षक शिववचन सिंह की रेत माफिया द्वारा हत्या ने शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से अवैध रेत खनन का खेल खुलेआम चल रहा है, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित नजर आती है। जिन पुलिसकर्मियों को अवैध खनन रोकने भेजा गया, वही अब माफिया के निशाने पर हैं। यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था को खुली चुनौती है। आखिर क्यों ऐसे मामलों में माफिया को समय रहते पकड़ा नहीं जाता? क्या प्रशासनिक मिलीभगत के बिना ये सब संभव है? शासन को चाहिए कि वह इस जघन्य अपराध के दोषियों पर सख्त कार्यवाही करे और रेत माफिया के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए। वरना आने वाले समय में और भी सुरक्षाकर्मी माफिया की बलि चढ़ सकते हैं।
हैरत की बात है कि गरीब,मजलूम,लाचार और बेबस तीन करोड़ छतिसगढ़ीहा अवाम की सरजमीं मानें जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में अवैध तरीके से रेत उत्खनन और परिवहन का खुला खेल राजनीतिक माओवादीयों और प्रशानिक दलालों के सरंक्षण में दिन-रात सांय सांय तरीके से दिनों-दिन फल और फूल रहा है। बता दें कि रेत धरती पर प्रकृति के द्वारा प्रदत्त की गई बेशकीमती गौण खनिज संपदा है और आधुनिक करण के इस दौर में काफी महत्वपूर्ण निर्माण सामग्री है। इस संपदा पर वैसे देखा जाए तो सबसे पहला हक छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर मौजूद रहने वाले स्थानीय बासिंदो का है किन्तु रेत माफियाओं के लालच ने इसे स्थानीय लोगों से कोसों दूर कर दिया है। वैसे से तो इस बेशकीमती गौण खनिज संपदा का दोहन सभी मनुष्यों को कुदरत के द्वारा स्थापित किये गए नियमों के ही मुताबिक ही करना उचित माना जाता है, किन्तु हैरानी की बात यह है कि सूबे के अंदर कुछ झोरचट्टा टाइप के बेईमान किस्म के सफेदपोश वर्दी धारी नेता और उनके पाले हुए छूट भैये लंगोटियां गैंग छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं को अपनी बाप दादा का जागीर समझकर रात दिन बड़े बड़े मशीनों के जरिए नदियों की छाती को चीरकर कर कुदरत के द्वारा स्थापित किये गए नियमों को ढेंगा दिखाते हुए अवैध तरीके से रेत चोरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कुदरत के द्वारा प्रदत्त इस बेशकीमती गौण खनिज का संरक्षण और संवर्धन को ध्यान में रखकर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से रेत उत्खनन पर पाबंदी लगाने हेतू शायद सख्त कानून बना कर रखा हुआ है,किन्तु जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत को चरितार्थ करते हुए कुछ चंद बेईमान किस्म के सफेदपोश वर्दी धारी नेता और चंद बेईमान किस्म के अधिकारी अपनी जमीर को चंद सिक्कों में रेत के जरिए गिरवी रखकर अपनी ईमान को खुलेआम बिच बाजार में बेचते हुए दिखाई दे रहे हैं।
