विनोद नेताम की कलम से...
बेमौसम बारिश और बरसात के चलते अंचल के अंदर मौजूद मेहनतकश माटी पुत्र किसान हतास और निराश हो चुके हैं। वंही दूसरी तरफ किसानों की इस वेदना को लेकर सभी निराश दिखाई दे रहे हैं। अवगत हो कि अन्नदाता किसान सिर्फ अपने पेट के खातिर ही अन्न नहीं उपजाते है, बल्कि माटी पुत्र अन्नदाता किसानों की मेहनत और पसीने से उपजाई हुई अन्न के जरिए धरती पर मौजूद कई जीव जंतु का पेट भरा जाता है। ऐसे में फिलहाल जारी विगत कई दिनों से चली आ रही बेमौसम बारिश निश्चित रूप से किसान और किसानों की मेहनत पर जिंदा रहने वाले सभी तमाम जीव जंतुओं के लिए संकट का समय और विषय माना जा सकता है 'जो कि निहायत ही चिंता जनक परिस्थितियों में गीना जा सकता है। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद ज्यादातर जिलों में विगत कई दिनों से मौसम ने अपनी आंखें बुरी तरह से तरेर रखी हुई है और मौसम के द्वारा की जा रही इस बेरूखी व्यवहार के चलते न सिर्फ आम जनता हलाकान और परेशान हो चुके हैं बल्कि मेहनतकश माटी पुत्र किसान निराश और हताश भी नजर आ रहे हैं।
बता दें कि बालोद जिला के राजनीतिक रण भूमि गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की पावन धरा जिसे छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे अधिक उपजाऊ भूमि के तौर पर देखा जाता है। कारण यह है कि इस उपजाऊ भूमि पर रहने वाले ज्यादातर माटी पुत्र किसानों ने अपने मेहनत और पसीने के दम पर लगातार धान की डबल बंपर पैदावारी करते हुए अपनी मेहनत और काबिलत के बलबूते छत्तीसगढ़ महतारी की धान के कटोरा को भरने का बखूबी तरीके से काम किया है। बावजूद इसके अंचल में लगातार धान के डबल प्लान से भू-जल स्तर की कमी देखने को मिल रहा है। हालांकि अंचल के ज्यादातर किसान इस समस्या को करीब से जानते और समझते हैं और इसी समझ के कारण अंचल के अंदर मौजूद ज्यादातर माटी पुत्र किसान अब डबल प्लान धान की जगह अन्य फसल उगाते हुए नजर आ रहे हैं,लेकिन इस बीच बेमौसम बरसात और बारिश ने एक बार फिर माटी पुत्र किसानों के साथ भंयकर तरीके से गुण ताड़ा करने का प्रयास किया है। बहरहाल उक्त घटनाक्रम को लेकर देखने वाली बात यह है कि माटी पुत्र किसानों की इस भंयकर वेदना पर सरकार की क्या संवेदनशील भूमिका अख्तियार करती है। वैसे सरकार की नितियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले कई किसानों की जान खेत खलिहान से लेकर सड़क पर जा चुकी है। ऐसे में क्या सरकार कुदरत के द्वारा की जा रही माटी पुत्र किसानों के साथ इस अन्याय को रोकने में फस ल हो पायेगी यह एक बड़ा सवाल है..!
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