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हिम्मत और साहस का दूसरा नाम कर्रेझर के माटी पुत्र किसान ! 52 एकड़ जमीन पर उगाई मेहनत का फसल!

भूमाफियाओं को सबक सिखाते हुए अपने खेतों पर फिर से फसल बोने हेतू आगे आए माटी पुत्र अन्नदाता किसान, छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में पहली बार सूबे के किसानों ने भू-माफियों को खदेड़ा....राजा राव पठार शहिद वीर नारायण सिंह के नाम पर आदीवासियों का महशूर वीर मेला स्थल बना जीत का गवाह... ग्राम कर्रेक्षर के आदीवासी किसानों के समर्थन में आदीवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले समाजिक पदाधिकारियों के साथ अखिल भारतीय प्रत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश सचिव विनोद नेताम उतरे थे मैदान में, किंतु भारत माला प्रोजेक्ट अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के भोले-भाले किसानों को ढग फुसारी करके उनकी पैतृक सम्पत्तियो को अनैतिक तरीके से लूटने का मामला गरमा गया है। इस बीच हम बता दें कि समूचे छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर अवैध तरीके से जमीनो की खरीद बिक्री चरम पर हो रही है और छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद रहने वाले आम छतिसगढ़ीहा अपनी जमीनों को बाहर से आने वाले लोगों को बेंच रहे हैं। इस दरमियान कई जगहों पर जमीन से ताल्लुक रखने वाले मामले पर लोगों का शारीरिक शोषण करने की जानकारी भी प्राप्त हो रही है।

सोचिए जरा कितना आसान और सहज तरीके से आम छतिसगढ़ीहा करिया बेटा और बेटियों की जमीनों को आंख में पट्टी बांध कर बेतहाशा तरीके के साथ लूटने के बाद भी भ्रष्ट्राचारीयो को तनिक भी रहम नहीं आ रही है। मुस्कुराते रहिये आप छत्तीसगढ़ में है और इसी के साथ में और ज्यादा जोर से मुस्कुराईये ताकि आप लोगों की बेवफूफीयों पर पूरा दुनिया हंस सके। अरे बैरी हो हमर सियान मन कहें रिहिस कि बेटा कोई भी बाहरी तोर घर में आही त ते सबले पहिली अपन पड़ौसी भाई ल बुला के पुछबे की ते कोन आय अस अऊ कंहा ले आए हस, अऊ काबर आये हस,अऊ तोला काय चाहिए आज हमन पड़ौसी के घर में बाहरी ल धर के ओखर बर पुछे ल जाथन। धिक्कार हे छतिसगढ़ीहा कहलाने वाले ऐसे लोगों को। आज हमारी ऐसी ही कमजोरियों के चलते न सिर्फ हमारी जल जंगल और जमीन लूट कर रह गई है अपितु हमारी समाजिक सांस्कृतिक विरासत और सभ्यता भी खतरा के निशान से ऊपर निकल चुका है। ऐसे में आखिरकार इन सब के पीछे कौन है जिम्मेदार जरा स्वंय मन लगाकर विचार किजिए...

सनद रहे छत्तीसगढ़ प्रदेश के इतिहास में शायद पहली दफा बालोद जिला के राजनीतिक रण भूमि मानें जाने वाले गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की पावन धरा पर स्थित राजा राव पठार विराट मेला स्थल पर ग्राम कर्रेक्षर के आदीवासियों ने पांच दिन तक लगातार भूंमकाल हूंकार भूख-हड़ताल करते हुए भू-माफियों को घुटने पर टिका दिया था और इतना ही नहीं इन आदीवासियों ने इन भू-माफियों के कब्जे से अपनी 52 एकड़ जमीन को छुड़ाकर अपनी हक का फसल उगाते हुए बाहर से आए तमाम लोटा धारियों की घटिया मानसिकता पर लगाम लगा दिया है। इस बीच सवाल अब भी बरकरार मौजूद खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है कि क्या कर्रेझर के आदीवासी किसानों ने जो हिम्मत और साहस का नजारा छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है वह नजारा आगे आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ प्रदेश के भीतर देखने को मिल पायेगा? चूंकि माना जाता है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश की सरजमीं आदीवासियों और मूलवासियों की धरती है,लेकिन जिस तरह से राज्य में साल दर साल आदीवासियों की संख्या में गिरावट होने की बात कही जा रही है निश्चित रूप वह एक बड़ा चिंता का विषय माना जा सकता है।
@Gabbar singh 2 /मई 2025

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