बालोद / गुरूर @ विनोद नेताम...
"सड़क किनारे पर खोदी गई गढ्ढा को देखकर इस सड़क से होकर गुजरने वाले ज्यादातर आम राहगीरों का विचार है कि आ गढ्ढा में छपा के मर जा.... परसुली और गंगोरीपार के बीचोंबीच सड़क के किनारे किनारे खोदी गई बड़े बड़े गढ्ढा। कई दिन बित जाने के बावजूद गढ्ढा ज्यों का त्यों बना हुआ है और इस गड्ढे में कई लोग दुर्घटना का शिकार बन चुके हैं"
राजनीति शास्त्र के जानकारों की मानें तो किसी भी राजनीतिक दल के सरकार के लिए सत्ता पर काबिज रहने हेतु तीन महत्वपूर्ण कार्य करना अति आवश्यक माना जाता रहा है। यह तीन महत्वपूर्ण कार्य बिजली सड़क और कानून व्यवस्था है। बिते जमाने में छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों की सड़कों का हालत क्या हुआ करती थी यह बताने की हमारे सुधी पाठकों को कतई आवश्यकता नहीं है और इसके साथ में आज के मौजूदा दौर में सड़कों की हालत कैसी प्रतित नजर आ रही है यह भी दर्शाने की आवश्यकता नहीं है। कहने का मतलब स्पष्ट है कि आज के मौजूदा दौर में सड़कों की हालत पहले के मुकाबले काफी बढ़िया बनाई जा रही है। हालांकि बढ़िया सड़क होने के बावजूद सड़क दुघर्टना कम होने के बजाए दिनों दिन बढ़ती हुई जा रही है। लगातार बढ़ रही सड़क दुघर्टना को लेकर सरकार भी चिंतित नजर आ रही हैं। स्वंय केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी देश में तेज गति से बढ़ रही सड़क दुघर्टना को लेकर गंभीर चिंता जाहिर कर चुके हैं,लेकिन हैरत के साथ में कहना पड़ रहा है कि इस चिंता का तनिक भी प्रभाव बालोद जिला प्रशासन पर नहीं पड़ा है,यदि केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी के चिंता का तनिक भी प्रभाव बालोद जिला प्रशासन पर पड़ा होता तो सड़क के किनारे बड़े बड़े गड्ढे खोदकर आम राहगीरों को सड़क दुघर्टना का शिकार बनाने के लिए यूं ही बैगर दिशा निर्देश के खुला छोड़ नहीं देता। बता दें कि जिला के अंदर निवासरत ज्यादातर जिलावासियों के परिजन आये दिन सड़क दुघर्टना का शिकार बन रहे हैं बावजूद इसके सड़क निर्माण कार्य से ताल्लुक रखने वाले विभाग और ठेकेदार जवाबदेही पूर्ण तरीके से काम करने के बजाए गैरजिम्मेदारी रवैया अख्तियार करते हुए नजर आ रहे हैं। अब ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उन्हें प्रदेश की सत्ता पर काबिज बने रहने के लिए बढ़िया सड़क निर्माण कार्य करवाने वाले बढ़िया अधिकारी और बढ़िया ठेकेदार चाहिए अथवा सड़क के किनारे को कई दिनों से खोदकर आम राहगीरों को सड़क दुघर्टना का शिकार बनने के लिए बाध्य करने वाले अधिकारियों की फौज और ठेकेदार चाहिए?अवगत हो कि बालोद जिला सहित प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में होने वाली सड़क दुघर्टना में मारे गए मृतकों की ज्यादातर परिजनों को उनके अपनों का सड़क दुघर्टना में मौत होने के पर मुआवजा मिलना चाहिए वह अबतक नहीं मिला है। इस बीच कई सड़क दुघर्टना से ताल्लुक रखने वाला मामला अलग अलग न्यायलयों में लंबित पड़ा हुआ है। ऐसे में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग आज भी न्याय के इंतजार में आस लगाए हुए बैठे दिखाई देते हैं।