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महंगाई की गैस, उड़ाया जनता का होश! बावजूद इसके सरकार है मदहोश।

सखी सैंया तो खूब ही कमात है मंहगाई डायन खाए जात है.....ऊपर से देशबन्धु अखबार के महिला संवाददाता गरीब महिलाओं की वेदना को अपने अखबार में प्रकाशित करवाने के बजाए कलेचूप दस हजार रुपए डकारे जात है। उक्त मामले में महिला पत्रकार का नाम है सुनिता साहू है। जिस पर ग्राम पंचायत धानापुरी के महिला रोजगार सहायक ने कथित भ्रष्ट्राचार के मामले में उनसे डरा-धमकाकर दस हजार रुपए विज्ञापन के आड़ में वसूलने का आरोप भरे पंचायत में ग्रामीणों और मिडियाकर्मियों के बीच लगाया है। सरकार ने जिस रसोई गैस सिलेंडर को गरीबों तक 500 रुपए में देने का सपना दिखाते हुए बड़े बड़े दलील दिया गया था। वंहीं रसोई गैस सिलेंडर अब 50 रुपए महंगा होकर पूरे देश भर के साथ छत्तीसगढ़ राज्य में भी 925 रुपये में सांय सांय मिल रहा है। हालांकि मंहगाई को लेकर मुंह फुलाकर बगले झांकने वाले मोदी सरकार ने दो साल बाद गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा किया है, किंतु दो साल बाद अचानक मिली रसोई गैस सिलेंडर के जरिए झटका को लेकर उज़्ज्वला योजना के लाभार्थी भी हक्का-बक्का हो गये हैं! इस बीच जनता पूछ रही है – क्या यही ‘सबका साथ, सबका विकास’ है? कंहा है लबरा चौकिदार ? दीया जलवाया थाली पिटवाया और तो और सबको जोर जोर से चिल्ला चिल्ला कर कहा कि भाईयों, बहनों और मितरो, न खाऊंगा और न खाने दूंगा,लेकिन हकिकत के धरातल पर आज आम जनता के पास अमृतकाल के इस दौर मुफ्त राशन मिलने के बावजूद खाने के लिए वांयदे पड़े हुए बतायें जा रहे हैं ! जबकि एक तरह से जंहा मंहगाई और बेरोज़गारी अपनी चरम पर पहुंच कर आम आदमी का कमर तोड़ने के लिए उतारू खड़ी नजर आ रही है 'बावजूद इसके गैस सिलेंडर को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश जैसे राज्य में धांधली कम होने के बजाए सांय सांय तरीके से दिनो दिन बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के उपजाऊ भूमि के तौर पर मशहूर बालोद जिला के राजनीतिक रण भूमि गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की पावन धरा पर रसोई गैस सिलेंडर में धांधली की खबर कोई आम बात नहीं है। इस क्षेत्र में पहले भी आम नागरिकों के द्वारा रसोई गैस सिलेंडर में धांधली को लेकर आवाज बुलंद की गई थी, लेकिन सत्ता सरकार से ताल्लुक रखने वाले चंद रसूखदार लोगों की मध्यम आवाज ने गरीबों और गुरबतो के बुलंद आवाज को भी  निस्तानाबुत करते हुए उक्त घटनाक्रम को हकीकत के धरातल पर ही दफन करने की सूचना सर्व विदित है। माना जाता है कि गरीबों की आवाज को यदि सरकार जल्दी नहीं सुनती है उस दिशा में गरीबों पर जुल्म करने वाले रसूखदारो का हौसला और ज्यादा बढ़ जाता है। ठीक उसी तरह से बालोद जिला के अंदर भी समय पर रसोई गैस सिलेंडर में हो रही धांधली के खिलाफ कड़ी कार्यवाही नहीं होने के चलते धांधली का सिलसिला बढ़ गया है और अमृतकाल के इस दौर में आलम यंहा तक पहुंच चुका है कि ग्राम पंचायत के अंदर पदस्थ रहने वाले कर्मचारी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा गरीबों के लिए लागू की बनाई गई योजना का बंदरबांट करने में जुटे हुए हैं। ऊपर से एक राष्ट्रीय अखबार भी भ्रष्टाचार से जुड़े हुए मामले में महज छोटे से ग्राम पंचायत के अंदर पदस्थ रोजगार सहायक से विज्ञापन की बंशी बजाते हुए दस हजार रुपए गटक जाने की सूचना प्राप्त हुई है।


विदित हो कि इससे पूर्व में संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेसी विधायक भैय्या राम सिन्हा के रसोई गैंस एजेंसी को लेकर रसोई गैस में धांधली की खबर को प्रमुखता से राष्ट्रीय अखबारों ने अपने अखबार में प्रकाशित करने का विश्वनियंता के साथ जोखिम उठाया था, लेकिन विडंबना देखिए उक्त मामले में आज भी जांच के नाम पर नील बट्टा सन्नाटा अर्थात इतनी बड़ी गंभीर और संवेदनशील विषय को लेकर भी शासन और प्रशासन की जवाबदेही फूस्सी साबित हो कर रह गई। यंहा तक संबंधित मंत्रालय से ताल्लुक रखने वाले केन्द्रीय प्रेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली जी से भी मामले को लेकर स्थानीय मिडिया कर्मियों के द्वारा धन्याकार्षन में लाया गया था किन्तु केन्द्रीय प्रेट्रोलियम राज्य मंत्री जी के आश्वासन के बावजूद मामले में ज्यों- त्यों बना हुआ प्रतीत नजर आ रहा है।

बहरहाल दिल्ली, मुंबई से लेकर रायपुर तक हर शहर में महंगाई की आग ने आम आदमी की रसोई को झुलसा दिया है। ऊपर से पेट्रोल-डीजल पर भी उत्पाद शुल्क बढ़ाकर सरकार ने जैसे मिर्ची छिड़क दी हो, एक ओर जहां अमेरिका के टैरिफ दबाव के चलते दुनिया भर में मंदी पसरा हुआ दिखाई दे रहा है और ऐसे में जाहिर सी बात है कि देश के आम नागरिक मंदी और मंहगाई के इस दौर से आखिरकार आम आदमी को कब राहत मिलेगा। हालांकि रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमत पर सरकार कहती है कि बोझ नहीं डाला,लेकिन हर महीने बढ़ते दाम देख जनता पूछ रही है – “बोझ नहीं तो और क्या है, जले पर नमक?” अब जनता को सब्सिडी नहीं, स्थायी राहत चाहिए, वरना अगला चुनावी सिलेंडर खुद फट सकता है।

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