"कैसे अमृतकाल के इस दौर में भी सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र धारी विष्णुदेव साय सरकार के राज में पौनी पसारी का दंश और बुलडोजर चलाने की धमकी देश के सीमा पर जान देने वाले शहिद वीर जवान के परिजनों को भी सांय सांय तरीके से छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर मिल रही है, जबकि हमारे देश की इस पवित्र मिट्टी के हर कण में शहिद वीर जवानों का लहू मिला हुआ है और हर मेहनतकश अन्नदाता किसानों का पसीना मिला हुआ है। एक जांबाज वीर जवान के द्वारा सरहद पर बहाई गई उसी लहू के चलते सवा अरब से भी अधिक देशवासी सकून से देश के भीतर आज निवास करते हैं और देश के मेहनतकश अन्नदाता भगवान माने जाने वाले किसानों की मेहनत के बदौलत पूरे देशवासियों का पेट भरता है"
देश की मिट्टी आखिर किसकी ? जवान का किसान का या फिर बेईमान का ..
जूम्मा जूम्मा कुछ दिन पहले लेह लद्दाख में आक्सीजन की कमी के चलते अपने प्राण को इस देश की मिट्टी के खातिर शरहद पर निवछावर करने वाले 19 महार रेजीमेंट के शहिद वीर जवान उमेश कुमार साहू की धर्मपत्नी योगेश्वरी साहू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,एवं सेना प्रमुख भारत सरकार,और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ शासन, कांकेर लोकसभा सांसद भोजराज नाग सहित जिला कलेक्टर बालोद के नाम एक संदेश भेजी है जिसमें उन्होंने ने जिक्र किया है कि उनके परिवार के लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं और उनके परिजन बुरी तरह से परेशान होकर आत्महत्या करने के कगार पर पहुंच चुके है। अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार देश के सरहद पर प्राण निछावर करने वाले हमारे देश के शहिद वीर जवानों के परिवार को अमृतकाल के इस दौर में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार के रहते हुए भी क्यों असुरक्षा का आभास महसूस करना पड़ रहा हैं? हैरानी की बात यह है कि एक तरफ जहां देश के सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले हमारे वीर जवान आज अपने दमखम का लोहा पूरे दुनिया भर में मनवा रही है, किंतु इस बीच हमारे यहीं उन्हीं में एक शहिद वीर जवान के परिजन अपने आप को देश के अंदर असुरक्षित मानकर चल रही हैं। निश्चित रूप से यह घटनाक्रम देश के सरहद पर प्राण न्यौछावर करने की इच्छा रखने वाले सभी जवानों के लिए यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है,बावजूद इसके अब छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला अंतर्गत ग्राम भूसरेंगा में शहिद जवान उमेश कुमार साहू के परिजनों का पौनी पसारी के साथ हुक्का पानी बंद करने की खबर हैरानी के साथ दिखाई और सुनाई दे रही है। जरा गौर कीजिए ऐसे में हमारे देश के सरहद पर अपने प्राण न्यौछावर करने की इच्छा रखने वाले शहिद वीर जवानों के परिजनों पर क्या गुजरती होगी? चूंकि दुनिया के तमाम देशों में जब एक शहिद जवान अपने देश की सरहद पर शहादत प्राप्त करता है, तब उस शहिद वीर जवान के लिए पूरा राष्ट्र नतमस्तक होकर सीमा पर अपना प्राण त्यागने वाले वीर जवान को नमन करता है और यह सिलसिला भारत की पवित्र भूमि पर भी बड़े शान से सदियों से निभाई जा रही है।
लेह लद्दाख में आक्सीजन की कमी से अपने शरीर को देश के सरहद पर निवछावर करने वाला शहिद वीर जवान उमेश कुमार साहू के परिजनों को ग्राम भूसरेंगा में बैगर हुक्का पानी के अब जीवन यापन करने के लिए मजबुर रहना पड़ रहा है। बता दें कि ग्राम कोड़िया जिला दुर्ग के निवासी रहे शहिद वीर जवान उमेश कुमार साहू का ग्राम पंचायत भुंसरेगा ससुराल है जंहा पर अक्सर शहिद वीर जवान उमेश कुमार साहू की पत्नी व बच्चे हर छोटे बड़े काम को लेकर अपने परिजनों से मिलने आते रहते हैं। ऐसे में ग्राम पंचायत भुंसरेगा में निवासरत कुछ दबंग टाईप के व्यक्तियों द्वारा तूगलगी फरमान जारी कर खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बतायें जा रहे हैं। दरअसल शहिद जवान उमेश कुमार साहू के साले योगेश कुमार साहू ने बालोद जिला के गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत मौजूद सनौद थाना में लिखित शिकायत प्रस्तुत किया है। शिकायत में योगेश कुमार साहू ने बताया गया है कि भुंसरेगा के कुछ दंबग टाईप के ग्रामीण उनके घर पर बुलडोजर चलवाने की धमकी देते हुए उनसे उनके पुरखों की 30 डिसमिल जमीन की मांग करते हैं। नहीं देने के एवज में उनके पूरा परिवार का हुक्का पानी यानी कि पौनी पसारी को बंद कर दिया है। बता दें कि भारत को गांवो का देश माना जाता है और भारत के अंदर मौजूद लगभग सभी गांवों का एक अलग परांपरागत रूढ़ीवादी संस्कृति और विरासत है। इन्हीं रूढ़ीवादी संस्कृति और विरासत के दायरे में रहकर सभी नागरिकों को जीवनयापन करना होता है। हालांकि कुछ पौराणिक रूढ़ीवादी परम्पराओं को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है क्योंकि इससे मानव अधिकार को छति पहुंचने का अंदेशा बरकरार रहता है। मानवाधिकार के तहत किसी भी नागरिक को अपनी समाजिक जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है और अपनी बात रखने के लिए सभी नागरिक स्वतंत्र है, लेकिन जिस तरह से बालोद जिला के सनौद थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भुंसरेगा में दंबगई के साथ दंबग ग्रामीण कानून व्यवस्था को ताक पर पौनी पसारी बंद करने का तूगलगी फरमान जारी कर रहे हैं निश्चित रूप से स्वतंत्र भारत में यह एक बड़ी चिंता का विषय माना जा सकता है।