नगरीय निकाय चुनाव में बंपर जित के हासिल करने बाद भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार की रफ्तार सांय सांय तीबल इंजन की रफ्तार बनने की दिशा में बढ़ चुकी है,किन्तु त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब भी सर पर सवार होकर सुशासन रूपी सुदर्शन चक्रधारी विष्णुदेव साय सरकार को सोचने पर मजबूर कर रही है,क्योंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा देश के ग्रामीण इलाकों में निवासरत है और इस बीच माना जा रहा है कि ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में मोदी की ज्यादातर गारंटी फुस्सी और जूमला साबित होने की कगार पर पहुंच चुकी है। ऐसे में नगरीय निकाय चुनाव के अंदर कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह से नाकों चने चबवाने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार सख्ते में बताईं जा रही है। बालोद जिला के अंदर नगरीय निकाय चुनाव बेहतरीन तरीके से सम्पन्न होने के बाद अब बारी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की रह गई है। ऐसे में राजनीतिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर जानकारों की मानें तो किसी भी सरकार को अपनी सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने हेतू पंचायत स्तर पर भी उनके ही सियासी जमात से ताल्लुक रखने वाले नेताओं की आवश्यकता होती है, जबकि सत्ताधारी राजनीतिक दल के विरोधी राजनीतिक दलों की भी इच्छा होती है कि उनके जमात से ताल्लुक रखने वाले नेताओं की भूमिका भी जनता के बीच में मजबूती के साथ बना हुआ रहे ताकि सरकारी चोंचलेबाजीयों का उन्हें भी सटिक तरीके से पता चलता रहे। इस बीच पंचायत चुनाव में अपनी बढ़त को बनाये रखने हेतू सत्ताधारी राजनीतिक और उसके समक्ष उपस्थित लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दल इन दिनों एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए नजर आ रहे हैं। देखने वाली दिलचस्प बात यह है कि जिला के अंदर में कुछ दिन बाद होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कौन सा राजनीतिक दल का उम्मीदवार किस राजनीतिक दल के उम्मीदवार पर भारी पड़ता है।
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 14 में कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवार अपने ही गांव की जमीन को परदेशिया लोटा धारी सेठों को बेंच देने के बाद अब जिला पंचायत उम्मीदवार के तौर पर पंजा की साख बचाने हेतू जद्दोजहद करते हुए दिखाई दे रहे हैं तो वंही स्वंतत्र उम्मीदवार के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता तेज राम साहू दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य हेतू ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि किसी एक उम्मीदवार की छवि मट जोड़ने के लिए काफी फायदेमंद बताई जाती है। ऐसे में कयास यह लगाया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की तीबल इंजन सरकार में मट जोड़ने वाली योजना को लेकर काफी महत्वपूर्ण कार्य आगे आने वाले दिनों में संचालित किए जायेंगे।
बालोद जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस पार्टी के समक्ष विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से नाक कांटा चुकी सत्ता धारी राजनितिक दल भारतीय जनता पार्टी नगरीय निकाय चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद एक बार पुनः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में झोंक रही है पूरी ताकत,किंतु कई जगहों पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कमजोर उम्मीदवार इस चुनाव में खड़ा किए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सियासी समीकरण कांग्रेस पार्टी की अपेक्षा बहुत ज्यादा कमजोर दिखाई दे रही है। वंही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले बड़े नेताओं की विशेष रूप से जिला पंचायत रह चुके कुछ कांग्रेसी नेताओं से अनबन की खबर पूर्व में जग जाहिर हो चुकी और इसी अनबन के कारण आज कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता अलग-थलग हो चुके हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले कुछ बड़े और मानें गए चेहरों का कांग्रेस पार्टी के अंदर पुनः वापसी हाल के दिनो मे संभव हुई है,लेकिन इस बीच इनके भी वापसी को लेकर यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिरकार सब कुछ गंवा देने के बाद पार्टी आलाकमान को पहले सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है यह बताने वाले कांग्रेसी नेताओं की वापसी के चलते क्या कांग्रेस पार्टी की जो की साख को बट्टा लगा है उसकी भरपाई क्या हकिकत के धरातल पर संभव हो पायेगी या फिर नहीं?

