देर आए दुरूस्त आए नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकानदारी चलाने वाले दुकानदार आखिरकार अपनों के बीच में वापस लौट आए...
छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे बड़े जिला में शुमार रहे दुर्ग जिला के तत्कालीन अंश और आज के बालोद जिला सियासी समीकरण के बिहाप पर छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सूबे के तीन विधानसभा क्षेत्र बालोद जिला के सियासी सरजमीं से ताल्लुक रखता है। राज्य गठन के पश्चात जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए हैं, लेकिन विगत कई विधानसभा चुनावो की परिणामों ने जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का एकतरफा दबदबा कायम कर रखा हुआ है। यंहा हम हमारे सुधी पाठकों को एक बार पुनः अवगत कराते हुए बताना चाहेंगे कि कांग्रेस पार्टी के तीनों विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ्फा दबदबा कायम रहने का एक ही मतलब है। जनता से लगाव और ईमानदारी से काम। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले सभी विधायकों ने बिते कई वर्षों से काफी विवादों के बावजूद जमीनी स्तर पर जनता के बीच अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने में कामयाब हुए हैं।
सत्ता के नशे में चूर जिला के अंदर मौजूद कई कांग्रेसी नेता सड़क पर गुंडागर्दी करते हुए नजर आए तो वंही पसंदीदा चेहरों को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज़ कांग्रेस पार्टी के बड़े और सम्मानित नेता पार्टी से खुद को किनारा कर खुश पाये
कांग्रेस पार्टी देश के अंदर सबसे बड़ी और पुरानी राजनीतिक दल मानी जाती है और कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने ही अंग्रेजों से देश को आजादी दिलाने हेतू अपना घर और परिवार तक को कुर्बान कर दिया है। आजादी के इतने सालों बाद कांग्रेस पार्टी की आज पूरे देश में क्या स्थिति है यह किसी से छुपी नहीं हुई है। इस बीच एन डी ए की मोदी सरकार के ग़लत नितियों के खिलाफ इन दिनों कांग्रेस पार्टी के एक से बढ़कर एक योद्धा देश के सियासी मैदान पर कथित रूप से छप्पन इंच के सीना तान कर चौकिदारी करने वाले लोगों के खिलाफ जनता के अधिकारों के लिए राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ते हुए साफ दिखाई दे रहे है। चूंकि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी को सत्य के साथ मिलकर जनता के लिए न डरते हुए काम करने की बात कहते हुए लगातार पूरे देश में दिखाई दे रहे हैं, किन्तु राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की इन विचारों को पार्टी के अंदर मौजूद हर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता ईमानदारी के साथ स्वीकार करते हुए निभाने का प्रयास करते होंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है?
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकानदारी चलाने की बात कहने वाले कई कांग्रेसी नेताओं ने, न बहन को छोड़ा न भाई को ,न बेटीयों को छोड़ा और न ही बहूओ को। ऐसे में माना जा रहा है कि जिला के अंदर आज के मौजूदा दौर में कांग्रेस पार्टी की जमीनी ताकत पहले की अपेक्षा कम हो चुकी है। हालांकि कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की कांग्रेस पार्टी में घर वापसी हो गई है, लेकिन बताया जाता है कि घर वापसी करने वाले ज्यादातर सम्मानित कांग्रेसी नेताओं का पार्टी के अंदर मौजूद कई बड़े नेताओं से तालमेल सही नहीं है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया गया था। तुकाराम साहू हलधर साहू, नूतन किशोर साहू और अन्य कांग्रेसी नेताओं की अपने अपने क्षेत्र में जमीनी पकड़ काफी मजबूत माना जाता है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आगे आने वाले दिनों में आम जनता के बीच कांग्रेस पार्टी अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए दमखम के साथ दिखाई देगी।
