पटवारीयो की कार्य अवधि के दौरान शराब पीये जाने की सूचना से सकते में आई गुरूर एस डी एम प्रज्ञा ठाकुर, तत्काल गुरूर थाना को सूचना देते हुए प्रेट्रोलिंग गाड़ी को दौड़ाया। पुलिस की गाड़ी को देखकर शराबी पटवारीयो में मची हड़कंप। शराब की महफिल छोड़ शराबी पटवारीयो का झुंड इज्जत बचाने के खातिर खेत से दौड़ते भागते हुए फरार,

"सरकारी नौकरी के आड़ में गुलझर्रे मार रहे हैं राजस्व विभाग गुरूर के अफसर और बाबू, किसी ने उगाया तहसील परिसर के गमले में गांजा तो किसी ने कार्य अवधि के दौरान किसान के खेत में जमकर पीया दारू"
बालोद जिले के संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गुरूर तहसील क्षेत्र जिसे जिला में राजनीतिक रण भूमि की धरती भी कहा जाता है। वंही दूसरी ओर यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टिकोण के बिहाप पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर धान की डबल पैदावारी के लिए मशहूर है। धान की डबल पैदावारी के चलते यह क्षेत्र अन्य कई क्षेत्रों से काफी सम्पन्न माना जाता है, जबकि इस क्षेत्र में रहने लायक और खेती लायक जमीन की किमत आसमान पर पहुंच गई है। बहरहाल इस क्षेत्र में जमीन से जुड़े हुए विषयों को लेकर अन्य जगहों की भांति ही सरकार ने यंहा पर भी राजस्व विभाग की मौजूदगी तय कर रखी हुई है। जैसा कि हमारे सुधी पाठकों को यह बात भंली भांति से पता हैं कि धरती पर विश्वकर्मा भगवान के अलावा यदि कोई दूसरा भगवान है तो वह और कोई नहीं बल्कि राजस्व अमला के महत आने वाले पटवारी है,जो नरवा को पहाड़, पहाड़ को बांध और जंगल को रेगिस्तान में पल भर के अंदर तबदील कर सकता हैं। बहरहाल गुरूर तहसील कार्यालय अंतर्गत पदस्थ रहने वाले पटवारीयो की खूब चर्चा सुर्खियों की बाजार में सांय सांय सुर्खियां बटोर रही है। बता दें कि गुरूर तहसील कार्यालय परिसर में कुछ दिन पहले एक गमले में गांजा की खेती देखा गया था और कुछ दिन बाद एक बार फिर किसी किसान के खेत में पटवारीयो की एक समुह को खुलेआम कार्य अवधि के दरमियान देशी दारू पीते हुए देखा गया है। ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा हो रहा है कि आखिरकार तहसील अमला गुरूर जिला बालोद के अंदर पदस्थ धरती के ज्यादातर भगवान नशे में खोचका को पहाड़ और नदियों में तो तब्दील नहीं कर रहे हैं।
