बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रूपैया, गांधीगिरी के आड़ में सफेदपोशवर्दी धारी नेता के गुर्गे धरती की छाती को चीरकर निकाल रहे हैं खुलेआम मुरूम। नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकानदारी चलाने का वायदा करके अवैध तरीके से कर रहे हैं मुरूम की चोरी लो कर बात ....
बालोद : कहा जाता है कि पैसा इस दुनिया में सबका बाप है और इसलिए ज्यादातर लोगबाग यह मानकर चलते है कि पैसा सब करती है और पैसा ही सब कराती है। आज अमृतकाल के इस दौर में ज्यादातर पैसे वाले लोगों का संबंध हर सफेदपोश वर्दी धारी नेताओं से है यह कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा अलबत्ता ज्यादातर पैसे वाले लोग ही सफेदपोश वर्दी धारी नेता हैं यह कहना मुनासिब होगा। ऐसे में जाहिर सी बात है कि गरीब का गरीब ही सहारा है और वंही दूसरी ओर हर पैसा वाला रसूखदार सफेदपोश वर्दी धारी नेता का पैसा ही एक मात्र सहारा है। बता दें कि नेता सिर्फ सफेद वर्दी और गांधी वाली टोपी लगा लेने भर मात्र नहीं बनता है बल्कि नेता कहलाने लायक विचार उस नेता में होना चाहिए किन्तु वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के अंदर नेता वहीं है,जिसके आसपास टूच्चे और गुंडे किस्म के भाड़े के टट्टूओ की भरमार है। खैर इन कार्यकर्ताओं के बदौलत ही सफेदपोश वर्दी धारी नेता अपने आर्थिक आय को बरकरार रखने में कामयाब होता है और इसी फायदा का इस्तेमाल वह अपने आसपास रहने वाले टूच्चे और गुंडे किस्म के कार्यकर्ताओं को अपने करीब बनाये रखने के लिए करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हर सरकारी काम में इनका इनका ही दखल होता है और इसके पीछे भी पैसा का अहम रोल बताया जाता है।
बहरहाल बालोद जिला के पावन धरा पर अवतरित मां खारून की पवित्र आंगन जिसे समस्त मानव जाति राजनीतिक रण क्षेत्र की भूमि गुरूर के तौर पर जानते हैं। विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत लगभग 78 ग्राम पंचायत और 102 गांव है। विकासखण्ड का तहसील मुख्यालय गुरूर है। इस विकास खंड की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि ज्यादातर संजारी विधानसभा क्षेत्र में इसी क्षेत्र के रहने वाले व्यक्ति विधायक चुने गए हैं। इस बीच संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के नेतृत्व करने वाले ज्यादातर विधायक क्षेत्र में विकास और आम नागरिकों की भलाई में दिन रात काम करते हुए दिखाई दिए हैं। हालांकि क्षेत्र की जनता ने अपने विधायकों को इसी खातिर चुन कर उन्हें विधानसभा के अंदर भेजा था और है। विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जितने भी विकास कार्य हुए हैं उन सब विकास कार्यों में चुने गए विधायकों का बहुत बड़ा योगदान है। विदित हो कि विकासखण्ड क्षेत्र के अंदर मौजूद ज्यादातर गांव की जमीन काफी उपजाऊ है तो वंही ज्यादातर हिस्सों में खेती लायक जमीन ही नहीं है। यानी कि जमीन पर खेती न के बराबर की जा सकती है ज्यादातर जंगली क्षेत्र की जमीन मुरूम युक्त के साथ पत्थरीली है। विकासखण्ड क्षेत्र की उपजाऊ जमीन पर खेती के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता है लेकिन जंगल सबके लिए जरूरी माना जाता है लिहाजा जंगल में साधु और चोर से लेकर उचक्कों की ढेरी नजर बनी हुई आमतौर पर दिखाई देती है। ज्ञात हो कि बालोद जिला के अंदर मौजूद गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र के बहुत सारे गांव वन ग्राम के अंतर्गत दायरे में शुमार है, जहां की ज्यादातर जमीन पर एक फसली खेती की जाती है। इस क्षेत्र की ज्यादातर जमीन पत्थरीली और मुरूम युक्त होने के चलते खेती लायक नहीं है। किंतु इस क्षेत्र से लगातार मुरूम को अवैध तरीके से उत्खनन कर रसूखदार सफेदपोश वर्दी धारी चमचों के द्वारा खुलेआम महंगे दाम पर बेचा जा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह उत्कृष्ट कार्य क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से एक रसूखदार सफेदपोश वर्दी धारी नेता का पाले हुए गुर्गे शासन और प्रशासन के आंख में धूल झोंक कर रहे हैं। विडंबना इस बात को लेकर है कि जब शासन और प्रशासन में बैठे हुए प्रसाशनिक अधिकारियों को यह अवगत कराने हेतू संपर्क किया जाता है कि उनके आंख में धूल झोंका जा रहा है,तब भी अधिकारीयों को होश नहीं आता है कि उनकी आंखों में सचमुच धूल झोंका जा रहा है। ऐसे में जाहिर सी बात है मुरूम उत्खनन बेतहाशा तरीके से तरबतर जारी रहेगी और सफेदपोश वर्दी धारी के गुर्गे इस काम को बेखौफ तरीके से दिन दहाड़े करने में मसगूल रहेंगे।