गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर धान खरीदी केन्द्रों में अन्नदाताओं के साथ होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालने का एक सफल प्रयास किया गया था किन्तु कुछ दिनों पहले ही विधायक कुंवर सिंह निषाद के ही विधानसभा क्षेत्र के अंदर मौजूद एक किसान के साथ मोखा धान खरीदी केंद्र में हुई धांधली को लेकर जिला कलेक्टर इंद्रजीत चंन्द्रवाल ने कोई कार्रवाई नहीं करने की जानकारी प्राप्त हुई है। हालांकि भूमि पुत्र किसानों की इस सरजमीं पर मौजूद हर नौकरशाहो को अन्नदाता किसानों के मामले में संवेदशील रहना चाहिए ताकि सरदार का इकबाल बुलंद रहे। वहीं इस मामले में गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुंवर सिंह निषाद ने कहा है सरदार अन्नदाताओं की वेदना को लेकर बहुत खुश और उत्साहित है। इसलिए उनके राज में किसानों को गब्बर सिंह डाकू बनकर खुलेआम लूटा जा रहा है, जबकि जिले के जिम्मेदार नौकरशाह सिर्फ अमृतकाल के इस दौर में अंग्रेजो के जमाने वाले वसूली अधिकारी बनते हुए देखें जा रहे हैं।
सांय सांय के नाम पर महज खानापूर्ति बल्कि साय के नाम से जगह जगह दादागिरी
बालोद : किसी भी राज्य के विकास में उन्नत कृषि और सफल उद्योग का बहुत बड़ा योगदान माना जाता रहा है। इस बीच छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरा को सनातन धर्म के जानकार भगवान श्री राम चंद्र जी का ननिहाल मानकर चलते हैं,जबकि इस पवित्र उपजाऊ भूमि को अन्न खाने वाले हर अन्न खोर इंसान धान के कटोरा के रूप में देखते हैं। जाहिर सी बात है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के हर कण में धान और किसानों की मौजूदगी है। बहरहाल इस पवित्र भूमि पर अन्न देव भगवान साक्षत खेतों और खलिहानों पर अपना खून और पसीना बहाते हुए दिखाई देता है और इसी के बदौलत इस राज्य की इस सरजमीं पर मौजूद सरकार को भूमिपुत्रों का सरदार कहलाने का अधिकार होता है, लेकिन विडंबना इस बात को लेकर है कि भूमिपुत्र अन्नदाताओं के सरदार को इन दिनों अन्नदाताओं की समस्या न सिर्फ नजर नहीं रहा है बल्कि प्रदेश के अन्नदाताओं से जुड़े हुए मुख्य उद्योग राइस मिलों की उलझनें प्रमुखता से दिखाई भी नहीं दे रहा है। ऐसे में पूरे प्रदेश के किसानों का हैरान होने के साथ परेशान लाजमी सी बात है। सनद रहे प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में रहने वाले अन्नदाता भगवान इन दिनों रबी सीजन के फसल में चना,उड़द ,मसुर ,मटर,लाखड़ी,धनिया की खेती भली-भांति से उपजा चुके हैं किन्तु आज भी ऐसे बहुत सारे अन्नदाता भगवान छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं पर मौजूद हैं जिनकी मेहनत और पसीने से उपजाई गई धान का एक दाना नहीं बिका हुआ है। ऐसे में सोचिये क्या किसान बैगर पैसे के दूसरे फसल की खेती कर सकता है? क्या सरकार एक बार खाकर साल भर तक जिंदा रह सकता है? यदि नहीं तो किसानों को कार्तिक महिने के दौरान कांटे गए धान के फसल को अबतक अपने ठिकाना पर क्यों संम्हाल कर रखना पड़ रहा है। क्या सरकार सही मायने में मोदी की गारंटी का वायदा था उसे पूरा करने में सफल हो पा रही है या फिर मोदी की गारंटी के नाम पर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार सूबे के अंदर मौजूद अन्नदाताओं को चकमा देकर रफ्फूचक्कर होने की फिराक में जुटी हुई दिखाई दे है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राम का नाम लेकर रामजादो की सरकार में बैठे हुए कई नेताओं अपने मुखारबिंद से अन्नदाताओं को रिझाने के लिए बहुत कुछ कहा था जिसमें धान की प्रति क्विंटल एक मुस्त 3100 रूपये प्रदान करने की गारंटी भी शामिल हैं। हालांकि बालोद जिले के जुंगेरा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक बार फिर अन्नदाता किसानों को लेकर बड़े बड़े वायदा किया है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि अन्नदाता किसानों की समस्याओं से जुड़े हुए सवालों पर एक शब्द अपने मुखारबिंद से नहीं निकाल पाने वाले अन्नदाता भूमिपुत्र किसानों के असल सरदार विष्णुदेव साय अपने किये हुए वायदे को कब कैसे और किस तरह से अमल में लाने का प्रयास करते हैं।