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शराब और सट्टा कारोबार की अपार सफलता के बाद अब अवैध मुरूम खनन के जरिए गुर्गों की जिविका चलाने को मजबूर हुए सैंया राम

 खनिज विभाग बालोद के साथ राजस्व विभाग गुरूर की निष्क्रियता के चलते सैंया राम भैय्या के गुर्गों को बढ़ा हौसला, दिन दहाड़े मुरूम उत्खनन कर महंगे दाम पर बेंच रहे हैं और मुंह मांगे मुनाफा कमाते हुए सरकार को लगा रहे हैं लाखों रूपए का चूना जबकि मामले को लेकर उत्खनन क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले हल्का पटवारी की अवैध मुरूम उत्खनन की शिकायत पर राजस्व विभाग गुरूर में पदस्थ नयाब तहसीलदार कई दिन बित जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करने की दिलचस्प जानकारी मिली है। वंही मामले को लेकर जब नयाब तहसीलदार से मिडिया के द्वारा अवैध मुरूम खनन पर कार्यवाही नहीं करने की वजह पुछा गया तो नयाब तहसीलदार शेखी बघारते हुए बताया कि उनके द्वारा कार्यवाही की जावेगी किन्तु कार्यवाही के नाम पर अवैध मुरूम उत्खनन का उत्कृष्ट अवैध कार्य जोरों पर जारी रहने की सूचना प्राप्त हुई है। अब ऐसे में राजस्व अमला के अंदर मौजूद नयाब तहसीलदार साहब की कथनी-करनी में फर्क समझा जा सकता है। बहरहाल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बालोद जिला आगमन से पहले खनिज विभाग बालोद के द्वारा अवैध खनिज परिवहन करने वाली वाहन और खनन कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चैन माउंटेन को जप्त करने की खबर जग जाहिर हुई है, किन्तु खनिज विभाग बालोद के द्वारा की गई अचानक कार्यवाही से जिलावासी हैरान बतायें जा रहे हैं। सूत्रों कि माने तो आये दिन सांय सांय करते हुए रेत और मुरूम से भरी हुई हाईवा सड़क पर तेज रफ्तार से निकलना आम बात है ऐसे में इन गाड़ियों पर कभी लगाम नहीं लगती हैं और न ही खनिज विभाग खनिज संपदा की रक्षा हेतू सचेत रहती है ऐसे में अचानक की गई कार्यवाही महज वाहवाही लूटने का एक जरिया है। हकीकत के धरातल पर बालोद जिला के अंदर मौजूद हर मंजर चिख चिख कर सवाल बंया करता है कि जिला अंदर बैगर सरकारी संरक्षण के कोई धनिया नहीं बों सकता है तो मुरूम और रेत उत्खनन कैसे कर सकता है? यानी कि बैगर संरक्षण के अवैध उत्खनन संभव ही नहीं है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार अवैध खनिज उत्खनन कर दिन दहाड़े और रात के अंधियारे में परिवहन कर बेंच खाने वाले तुर्रम खां कौन लोग हैं और उन्हें किसका संरक्षण प्राप्त है?बालोद जिला के कुख्यात अवैध रेत और मुरूम तस्कर जो कि एक स्थानीय सफेदपोश वर्दी धारी नेता के खास करीबीयों में एक ओमू साहू के नाम से जाना जाता है। 

यह सर्व विदित है कि बिते कई सालो तक बालोद जिला की पावन धरा चंद हरामखोर सफेदपोश वर्दी धारी नेताओं के चलते अवैध सट्टा कारोबार और अवैध शराब तस्करी में खूब ख्याति बटोरी है और हैरान करने वाली यह बात है कि यह सिलसिला अमृतकाल के दौर में मौजूद रामजादो की सरकार में भी कायम है बल्कि एक कदम आगे बढ़ कर इसका दायरा अवैध मुरूम खनन तक पहुंच गया है। लोगों की मानें तो इस महत्वपूर्ण कार्य में एक स्थानीय सफेदपोश वर्दी धारी की भूमिका संदेहास्पद है,क्योंकि इस उत्कृष्ट कार्य में उनके ही करीबीयों का नाम बार बार लिया जाता है। जबकि अवैध शराब के खप्त के मामले से लेकर अवैध सट्टा कारोबार में बालोद जिला का स्थान आज चरम पर पहुंचाने वाले लोग भी यही है। हैरत की बात यह है कि खनिज विभाग बालोद इनकी अवैध गतिविधियों पर लगाम लगा पाने में बुरी तरह से असफल साबित हुए हैं। परिणामस्वरूप पूरे जिला भर में ओमू साहू एक कुशल खनिज तस्कर के रूप में जाना जाता है। अवैध खनन उत्खनन कर ओमू साहू ने करोड़ रुपए छाप लिए है। वंही कई मंहगी गाड़ियों का मालिक भी बन चुका है। ऐसे में खनिज विभाग बालोद की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।

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