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छत्तीसगढ़ में शराब बढ़िया या फिर शिक्षा

सूबे में एक तरफ सरकारी नौकरीयो के अंदर धांधली की खबर लगातार सामने आ रही है तो वंही दुसरी ओर सरकारी नौकरी के नाम पर भाजपा की घटिया मानसिकता भी जाहिर हो रही है। इस बीच छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश भर के अंदर शराब खपत के मामले में सबसे अव्वल बन चुका है। 

@ विनोद नेताम (गब्बर सिंह) की कलम से....यूं तो छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद रहने वाले बांसिदो ने पूर्व में कांग्रेस पार्टी के द्वारा दी जा रही नौकरी के नाम पर ढकोसला से तंग आकर अब न साहिबो बदल के रहिबो कहने वाले भाजपाईयों को भारी बहुमत के साथ अपना सरकार चुन कर सत्ता पर काबिज किया है और इसी के सत्ता पर काबिज होने से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओ ने बकायदा सूबे के अंदर फैली बेरोजगारी की बिमारी को दूर करने का वायदा करते हुए हर योग्य बेरोजगार को नौकरी प्रदान करने की बात कही थी लेकिन कहा जाता है कि समय के साथ सरकार की नियत भी बदलती है। बहरहाल छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश के सरकारी विभागों में 3000 से अधिक पदों पर नियमित भर्ती की मंजूरी दी थी, लेकिन वादे और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर नजर आ रहा है। सालभर में मात्र 716 पदों की भर्ती निकालना न केवल प्रशासनिक सुस्ती को उजागर करता है, बल्कि युवाओं के साथ धोखा भी है। जबकि खाली पड़े पद सरकारी विभागीय कार्यों को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ये 3000 पद महज़ घोषणाओं तक सीमित रहेंगे या वास्तव में युवाओं को असल मायने में रोजगार मिलेगा? 

शिक्षा को शेरनी का दूध बताया जाता है और शराब को मानवता के लिए विष किन्तु इस विष को समाज के भीतर फैलाने में छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर मौजूद भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। परिणामस्वरूप एक तरफ सूबे के अंदर शिक्षा का अलख जगाने वाले शिक्षकों की नौकरी तेल लेने की लायक तक में भी नहीं बची हुई बताई जा रही है तो वंही दुसरी ओर प्रदेश के अंदर तेज गति से बढ़ रही सरकारी शराब दुकानों पर शराब परोसने वाले कर्मचारियों की संख्या के साथ शराब दुकान की संख्या भी बढ़ रही है। इस बीच शिक्षक की नौकरी से हाल के दिनो मे निकाले गए युवाओं ने युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद जी की जंयती के दिन सड़कों पर दंडवत होकर सरकार से निवेदन हेतू अनुनय यात्रा निकालते हुए देखा गया हैं। ऐसे में विचार करने वाली योग्य बात यह है कि मौजूदा सरकार को आखिरकार क्या चाहिए शिक्षा रूपी शेरनी का दूध या फिर मानव विष के लिए कुख्यात शराब। बता दें कि पिछली सरकार टामन सोनवानी के जरिए कई फर्जी नियुक्तियों को अंजाम दे चुके हैं। ऐसे में काबिल युवा नवजवान नौकरी से पहले ही वंचित रह गए हैं और जो भी पेल ठकेल कर कंही पर लग चुके हैं उन्हें सारे आम दुत्कार कर भगाया जा रहा है।बहरहाल सरकार को समझना होगा कि कागजों पर मंजूरी देना काफी नहीं, ज़मीन पर अमल भी ज़रूरी है। वरना ये घोषणाएं सिर्फ चुनावी हथकंडा बनकर रह जाएंगी।

anutrickz

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