मनुराज पचौरी ( political editor )
कहते हैं यदि गंदगी साफ करनी हो तो कीचड़ में उतरना पड़ता है। यह उक्ति आज धमतरी में चरितार्थ होती दिख रही है । यूं तो पत्रकारिता से राजनीति में आने वालों का इतिहास काफी लंबा और समृद्ध है । भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई भी पत्रकारिता से ही राजनीति के क्षेत्र में आए थे। अब इस फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ रहा है धमतरी के वरिष्ठ पत्रकार रंजीत छाबड़ा का।
रंजीत के पीछे पत्रकारिता की एक लंबी और समृद्ध पृष्ठभूमि है,वे धमतरी के उन मुट्ठी भर पत्रकारों में से एक है जिनके समाचारों में विचारों का भी समावेश होता है। और शायद विचारों की इसी तीव्रता ने उन्हें धमतरी की स्थानीय राजनीति में उतरने प्रेरित किया। रंजीत छाबड़ा महापौर प्रत्याशी के रूप में अभी धमतरी के सियासी अखाड़े में अपनी ताल ठोक रहे हैं ।
अब इस चुनाव का परिणाम क्या होता है वह चुनाव में किस स्थान पर अपनी पहचान बना पाते हैं यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है,लेकिन उनके द्वारा उठाए गए इस कदम की सभी और प्रशंसा हो रही है और उन्हें पर्याप्त समर्थन भी कई जगहों से मिल रहा है। रंजीत छाबड़ा पत्रकारिता व साहित्य का जाना माना नाम है इस नाते एक बुद्धिजीवी व विचारशील व्यक्ति की उनकी छवि धमतरी के जनमानस में बनी हुई है उनके ज़हन में धमतरी के व्यवस्थित विकास को लेकर कई योजनाएं हैं जिनके क्रियान्वयन के लिए हाथ में सत्ता की शक्ति बेहद आवश्यक है और यही कारण है कि वह आज इस चुनावी समर में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। रंजीत छाबड़ा यह चुनाव अपने एक सूत्रीय एजेंडा भ्रष्टाचार उन्मूलन को लेकर लड़ रहे हैं । उनके पास भूतकाल में हुए भ्रष्टाचारों की इतनी लंबी फेहरिस्त है कि उनका दावा है कि यदि भ्रष्टाचार की यह रकम आज धमतरी निगम के पास होती तो धमतरी का चेहरा कुछ और होता। उदाहरण के लिए वे पेंटिंनगंज का मामला सामने रखते हैं,कोरोना काल में हुए भ्रष्टाचार को सामने रखते हैं, कचरा निष्पादन में हुए भ्रष्टाचार की कलई खोलते हुए वे यह भी जोड़ते हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी निगम और निगम कर्मचारियों पर ध्यान नहीं दिया। जिसका कारण है कि निगम में चार-चार पांच-पांच महीने तक कर्मचारियों के हाथ खाली रहते हैं,उन्हें वेतन नहीं दिया जा सकता । उनका दावा है कि यदि ईमानदारी से निगम की सरकार चलाई जाए तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि जिससे धमतरी का विकास ना किया जा सके और निगम कर्मचारियों को तनख्वाह न दी जा सके । रंजीत का कहना है कि यदि धमतरी की जनता उन्हें अपना प्यार देती है और उन पर अपना विश्वास व्यक्त करती है तो वह पूरे कार्यकाल में अपने घर नहीं जाएंगे और निगम कर्मचारियों समेत वे अपना दोपहर का भजन निगम कार्यालय में ही करेंगे जिससे आम जनता को कभी निगम कर्मचारियों की कुर्सियां खाली ना मिले कुल मिलाकर वह निगम और निगम कर्मचारी को पटरी पर लाने चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं उनका कहना है-
कि कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ,जो घर फूंके आपना वो चले हमारे साथ।
तो अब देखना होगा कि क्या धमतरी की जनता रंजीत छाबड़ा पर अपना विश्वास जताती है या फिर से चांदी के चंद सिक्को के एवज में 5 साल तक भ्रष्टाचार झेलती है।
इधर भाजपा और कांग्रेस भी अपने मुद्दों को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रही हैं । भाजपा के प्रत्याशी रामू रोहरा भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी हैं,जिससे लोगों के बीच यह संदेश जा रहा है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो धमतरी निगम को फंड की कोई परेशानी नहीं होगी । दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी विजय गोलछा एक जाना माना नाम है । वे कांग्रेस की पिछली निगम सरकार के कार्यों को लेकर और अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर वह भी मतदाताओं से मतयाचना कर रहे हैं।कुल मिलाकर निर्दलीय प्रत्याशी रंजीत छावड़ा के चलते यह पूरा मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है अब देखें कि निगम चुनाव का यह ऊंट किस करवट बैठता है।