
मुर्गा और दारू पीने के लिए कर्जा लेने वाले लोगों का कर्जा सरकार क्यों भरेगी, कोई बड़े लोगो का कर्जा माफ नहीं होता है, ज्यादा हेकड़ी दिखाई तो पुलिस से फिंकवा देंगे....

वाह रे हमरे बनाये नेता हमरे ल खा के अऊ हमी ल दिही धमकी, बड़े बड़े उद्योगपतियों का जब कर्जा माफ हो सकता है तो गरीबों का कर्जा क्यों नहीं माफ़ हो सकता है? नेता हमने आपको हमारी तकलीफ सुनने और समझने के लिए बनाया है धमकाने के लिए नहीं.... जरीया फंस गई गुंडों के बीच में उक्त तर्ज के आधार पर घिरे भोले भाले और सिधे से नजर आने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के कृषि मंत्री राम विचार नेताम और उसके साथ में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज केन्द्रीय श्रम राज्य मंत्री लखन लाल देवांगन, लेकिन कर्ज से बेहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश के गरीब महिलाओं ने किया महतारी वंदन के नाम पर जूमला ठोंकने वाले भाजपाई मंत्रियों को ऐसे ही बिना कारण और बैगर मतलब के नहीं घेरा था बल्कि महिलाओं की मजबूरी ही ऐसे थी कि मंत्रियों को अवगत कराना जरूरी था, लेकिन परिणाम क्या हुआ सब जानते हैं। बहरहाल उक्त मामले को लेकर पूरे राज्य में सियासी पारा पूरी तरह से गरम हो चुकी है और जगह जगह महतारी वंदन के आड़ में गरीब महिलाओं को धमकाने वाले बीजेपी नेताओं को बुरी तरह से कोसा जा रहा है।
समस्त चराचर जगत के अंदर विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य के नाम का डंका बजाने वाली कोरबा की सरजमीं आज लज्जित और शर्मिंदगी से छत्तीसगढ़ महतारी की पवित्र आंगन में आंसू बहाने के लिए मजबुर हो चली है। दरअसल कोरबा की सरजमीं पर रहने वाली गरीब कर्जधारी महिलाओं को छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने खुलेआम फिंकवा देंगे यदि ज्यादा हेकड़ी दिखाई तो यह कहते हुए उन गरीब कर्जधारी महिलाओं को सिधा जेल का रास्ता दिखा दिया है,जबकि इन्हीं महिलाओं से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के अंदर मौजूद सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र धारी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हर महीने महतारी वंदन योजना के जरिए इनका चरण छूकर प्रणाम करते सुरक्षा की गारंटी प्रदान करते हुए दिखाई देते हैं। अब ऐसे में जाहिर सी बात है सवाल तो बनता है भाई एक तरफ जहां महतारी वंदन के आड़ में महतारीयो के साथ दो दो केबिनेट मंत्रीयों का गलत मुंह बंधन वंही दुसरी ओर कोरबा और सरगुजा की सरजमीं पर मौजूद हसदेव के जंगलों की हत्यारे के साथ गहरा गठबन्धन आखिरकार क्यों और कैसे?

@विनोद नेताम (गब्बर सिंह) के कलम से....