सूत्रों की मानें तो अवैध लकड़ी परिवहन करने वाले ज्यादातर लकड़ी तस्कारों का वन विभाग बालोद के अंदर पदस्थ ज्यादातर अधिकारीयों और कर्मचारियों के साथ सांठ गांठ है और लगभग सभी लकड़ी तस्कर पुष्पराज झुकेगा नहीं वाले अंदाज में वन विभाग बालोद के अंदर मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अवैध लकड़ी कटाई और परिवहन करने के एवज में खर्च करता है मोटी रकम। रकम तय समय पर नहीं मिलने पर वन विभाग बालोद के द्वारा की जाती है धर पकड़, वहीं रकम मिलने के बाद लकड़ी से भरी हुई गाड़ियों को कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर छोड़ दिया जाता है। बता दें कि हर साल अवैध कटाई के चलते हजारों वृक्ष अंधाधुंध तरीके से कांटा जा चुका है। परिणामस्वरूप पूरे जिला के अंदर वृक्षों की संख्या में गिरावट देखा जा सकता है।
बालोद :
अंचल के नेता लींबू मिर्च कांट कर मां बहन की गालीयां बके सरे राह,और क्षेत्र के पुष्पाराज अपने बाप के नाम पर लकड़ी कांटे खुलेआम" निश्चित रूप से यह दोनो बात संजोग नहीं है बल्कि धरातल पर दिखने वाला प्रयोग है। बहरहाल धरातल पर दिखाई देने वाला प्रयोग का नजारा इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरा पर इन दिनों खुलेआम दिखाई दे रहा है।
एक ओर जहां सांसद और विधायक खुलेआम पब्लिक प्लेस पर चादर मांदर कर रहे हैं तो वंही सूबे के अंदर मौजूद लकड़ी तस्कर वन विभाग की मौजूदगी के बावजूद पुष्पाराज के अंदाज में अवैध तरीके से हरे वृक्षों की कटाई कर तस्करी को अंजाम देने में लगे हुए हैं। गौरतलब हो कि बालोद जिले में दिसंबर महीने के आखिरी दिनों के अंदर वन विभाग की ओर से अवैध लकड़ी काटकर परिवहन करने वाले कई गाड़ियों को जप्त करने की जानकारी प्राप्त हुई है। जानकारी के मुताबिक गाड़ीयों की संख्या बालोद और करहीभदर डिपो को मिलाकर लगभग एक दर्जन हो सकती है। लगभग सभी गाड़ियों में किमती और बहुमूल्य एवं प्रतिबंधित वृक्ष को कांटकर भरा गया है। किंतु सवाल यह उठता है कि आखिरकार वन विभाग बालोद की आंखें भैरों सिंह शेखावत वाली अंदाज में अचानक कैसे खुल गई? चूंकि जिले में ऐसे कई पुष्पा राज मौजूद बतायें जाते हैं जो कि झुकेगा नहीं कहते हुए रात दिन अवैध तरीके से हरे वृक्षों को कांटकर परिवहन करने में माहिर हो चुके और इन सभी पुष्पा राज तस्करो को बढ़ावा वन विभाग बालोद ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का शुभ कार्य किया है। करहीभदर डिपो में अजुर्न वृक्ष से लदी हुई टैक्टर को आज से कुछ दिन पहले वन विभाग गुरूर ने पकड़ा था किन्तु पैसा के बलबूते उसे उस वक्त छोड़ दिया गया दोबारा हरे वृक्षों को कांटकर परिवहन करने हेतू। ट्रैक्टर की तस्वीर खबर में देख सकते हैं। तस्वीर में दिखाई देने वाला यह ट्रैक्टर बब्लू निषाद जग्नाथपुर वाले का है जिसे दिपावली के समय आधी रात को वन विभाग गुरूर ने पकड़ा था किन्तु कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर इस ट्रैक्टर को छोड़ दिया गया। फलस्वरूप यह ट्रैक्टर वन ग्राम गोड़पाल से आधी रात फिर से पकड़ लिया गया है। अब ऐसे में बालोद वन विभाग की भूमिका को भैरों सिंह शेखावत की भूमिका में नहीं माना जाए ?
