जिला के ज्यादातर बड़े गांव और कस्बों के अंदर मौजूद सरकारी आबादी जमीन को ग्रामवासियों की बजाए रसूखदार लोगों को बेंचने की खबर जग जाहिर है। ऐसे में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हर गरीब के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनवा रही है,लेकिन इस बीच जिला के अंदर मौजूद कई गरीब परिवारों के पास घर बनवाने के लिए जगह तक नहीं है, जबकि रसूखदारों के पास अपने घरों में रहने के लिए समय नहीं है। यानी कि रसूखदारों के पास इतना घर है जहां पर उन्हें रूकने तक के लिए समय तक नहीं है। सोचिए ऐसे में समाज के भीतर तेज गति से फैलने वाली इस असमानता का कितना असर पड़ेगा और इसका परिणाम क्या होगा?
@vinod netam 28 /12/2024
बालोद : गौरतलब हो कि मनुष्य जाति आमतौर पर तीन चीजों को लेकर ही सदैव विवाद करते हुए दिखाई देता हैं। यह तीन चीज जोरू, जर और जमीन बताई जाती है। निश्चित रूप से यह तीन चीज मनुष्य जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अतः विवाद स्वाभाविक रूप से जायज माना जा सकता है। बहरहाल आधुनिकीकरण की इस दौर में बढ़ती हुई जनसंख्या का दबाव जमीनी धरातल पर मौजूद खेती और रहने लायक जमीनों पर स्पष्ट रूप से पड़ रही है। परिणाम स्वरूप जगह जगह पर जमीन विवाद की खबर सुर्खियां बनकर छाई हुई रहती है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला भी शामिल हैं। जहां पर बिते कई वर्षों से जमीनो की लूट और मारामारी मची हुई बताई जा रही है। विश्वनिय सूत्रों की मानें तो एक ओर जहां दंबग और रसूखदार लोग सरकारी जमीनों को हड़प कर अपने बाप दादाओ के जागीर में शामिल कर रहे हैं तो वंही दुसरी ओर गरीब और मजलूमों की जमीन को ताकतवर लोग कौड़ियों के दाम में खरीद रहे हैं और मंहगी दामों पर बेच रहे हैं। जमीन की हेराफेरी का आलम यंहा तक पहुंच चुका है कि बंया तक नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लाखों रूपए की सरकारी जमीन को कौड़ियों के दाम पर गरीबों से लूटने वाले गद्दारों को आखिरकार कौन सबक सिखायेगा और कब सबक सिखायेगा? रसूखदार और चंद अमिर पैसों के दम पर स्थानीय सफेदपोशों के साथ मिल के सरकारी जमीनों को लूटने का रिकॉर्ड बना रहे हैं और वंही इस लूट को सरकारी अधिकारी लालच में अमलीजामा पहना रहे हैं। बता दें कि बालोद जिले के अंदर ऐसे कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं किन्तु कार्यवाही के नाम पर जीरो बट्टा सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि कुछ एकात जगहों पर कार्यवाही भी देखने को मिली हुई है लेकिन लूट का सिलसिला कार्यवाही से कंही ज्यादा अधिक बताई जा रही है।