बड़े बुजुर्ग कहते थे कि जेकर घर में भौजी करें सियानी वो घर में भैय्या के नी चले मनमानी, बहरहाल आधुनिकीकरण के इस दौर में कहावत का चाल चरित्र बदल चुका है। अब जे घर में भौजी के सियानी ऊंहा के भैय्या दूसरा मन के फोड़ते छानी।
बालोद : क्या छत्तीसगढ़ के अंदर पंचायती व्यवस्था में सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता (गांव) तक पहुंचने से पहले सांसद, विधायक, उच्च पदाधिकारियों, सरपंच, और पंचायत सचिवों के बीच बंट जाता है? क्या प्रदेश के अंदर सरकार की नीतियां और योजनाएं आम आदमी के खातिर सही तरीके से जमीनी धरातल पर लागू हो रही हैं? यदि हो रही है तो सन्नी लियोन बीच में कंहा से आ गई है? इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के सरकार ने लिए क्या कदम उठाए गए हैं। चूंकि माना जाता है कि ग्राम पंचायतों के भीतर होने वाले तमाम निर्माण कार्यों में सबका हिस्सा बराबर फिक्स होता है। लिहाजा सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि जवाबदेही सही तरीके से लागू हो ताकि जनता को ज्यादा लाभ मिल सके। वैसे भी सभी को आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई से बहुत कुछ प्रदान करता है। स्थानीय प्रशासन में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए क्या प्रभावी तंत्र मौजूद है? गांवों तक सरकारी योजनाओं के सीधे लाभ पहुंचाने में क्या बाधाएं हैं?आखिरकार कमीशनखोरी की जड़ें कंहा तक जमा हो चुकी इसकी भनक सरकारी सिस्टम को कंहा तक ज्ञात है? ऐसे अनगिनत सवाल आम आदमी के जेहन से निकल कर आमतौर पर सामने आती रहती है किन्तु दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंदर अमृतकाल के इस दौर में भी भ्रष्टाचार कमीशनखोरी और घोटालेबाजी को लेकर एक बात फौरी तौर पर कहा जाने लगा है कि अब भ्रष्टाचार के भेष में दिमक बनकर देश को घोघला करने वाले दिमक का स्वरूप शिष्टाचार में तब्दील हो चुका है। उदाहरण के लिए बालोद जिला के गुरूर जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बोहरा के सरपंच की कमीशनखोरी से ताल्लुक रखने वाला यह मामला है। दरअसल ग्राम पंचायत बोहारा के महिला सरपंच श्रीमती रेणुका साहू ने सांसद निधि से बनाई गई टिना शेड निर्माण कार्य में जमकर धांधली करने का एक नया इतिहास रचा है। बता दें कि टिना शेड निर्माण कार्य हेतू ग्राम पंचायत बोहारा को सरकार ने पांच लाख रुपया आंबटित किया था जिसमें से तीन लाख चालीस हजार रुपए खर्च करने के बावजूद आधा से ज्यादा रकम को हजम करने की जानकारी प्राप्त हुई है। बकायदा ग्राम पंचायत बोहारा सरपंच ने टिना शेड निर्माण कार्य के पैसा को हजम करने के लिए कृषि केंद्र का बिल लगाया है। जरा सोचिए क्या टिना शेड के ऊपर या फिर नीचे किटनाशक दवाई का छिड़काव करवाना जरूरी है। बता दें कि ग्राम पंचायत बोहारा के सरपंच श्रीमती रेणुका साहू के पति कुंजेश कुमार साहू इस तमाम घपलेबाजी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे हैं। उनके द्वारा टिना शेड निर्माण कार्य में धांधली करने के बाद निर्माण कार्य को अमलीजामा पहनाने वाले विजय गंजीर वेल्डिंग एंड इंजीनियरिंग को पैसा नहीं दिया जबकि विजय गंजीर शारीरिक रूप से काफी बिमार चल रहे है। इससे पहले उनके द्वारा ग्राम पंचायत बोहारा के अंदर सांसद निधि से बनाई गई टिना शेड को उखाड़ने की अनुमति जिला प्रशासन बालोद से मांगी गई थी। मामले को जिला प्रशासन बालोद ने गुरूर जनपद पंचायत कार्यालय को सही जांच कर उचित कार्यवाही करने हेतू निर्देशित किया था। उक्त मामले को लेकर बिते कल अधिकारीयों ने विजय गंजीर के साथ ग्राम पंचायत बोहारा का रूख किया था जहां पर सांसद निधि से बनाई गई टिना शेड निर्माण कार्य में हुई धांधली की एक एक कलाई खुल गई। बुरी तरह से फंस चुके ग्राम पंचायत सरपंच बोहारा ने काफी कलाई खुलने के बाद छटपटाते हुए विजय गंजीर को अपने निजी बैंक खाता का चेक सौंपा है,जबकि सरकारी पैसा को पहले ही निकाल कर हजम कर चुका है। बता दें कि सरकारी निर्माण में निजी बैंक का चेक मान्य नहीं है किन्तु जब पहले से ही पांच लाख रुपए को निकाल कर हजम कर लिया गया है ,तब ऐसे में किया ही क्या जा सकता है। वंही दूसरी ओर सरपंच पति कुंजेश कुमार साहू लगभग डेढ़ लाख रुपए नेताओं को उक्त निर्माण कार्य में कमीशन देने की बात कह रहे हैं। बहरहाल मामले को लेकर जांच पड़ताल जारी है और जल्द ही इस मामले में ग्राम पंचायत बोहारा के सरपंच पर कार्यवाही हो सकती है।