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ग्राम पंचायत अकलवारा के आश्रित ग्राम खोरदो के गोठान की हालत गंभीर स्थिति में। मौजूदा शासन और प्रशासन से तत्काल ठीक करने हेतू एंबुलेंस की मांग।

"कांग्रेस पार्टी के विधायक होते हुए भी कांग्रेस पार्टी के द्वारा निर्मित की गई महत्वाकांक्षी योजना जमींदोज होने की कगार पर,बावजूद इसके सूध लेने वाला कोई नहीं, न तो कांग्रेसी और न ही भाजपाई और तो और ग्राम पंचायत के चुने हुए मुखिया तक गायब है। संजारी विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक रणभूमि गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत अकलवारा के आश्रित ग्राम खोरदो की काया पलटने वाली विकास गाथा। गोठान की हालत कांग्रेस पार्टी की सरकार जाने के बाद बनी दयनीय स्थिति में। उक्त मामले को मौजूदा सरपंच महोदया की जबरदस्त जवाबदेही। लोगों की मानें तो सरपंच महोदया कम और ज्यादा एस पी साहब ( सरपंच पति) का ज्यादा चलता हैं। हालांकि गोठान की दुर्दशा पर गतर नहीं चलता है "
बालोद : किसी भी राजनीतिक दल के सरकार के पास पैसे का पेड़ या झाड़ नहीं होती है अपितु सभी राजनीतिक दल की सरकारें अपनी सरकारी तिजोरी को भरने हेतू जनता से ट्रैक्स वसूल करती है 'ताकि सरकारी खजाने को भरा जा सकें और भरे हुए खाजाने का इस्तेमाल आम जनता से जुड़े हुए कल्याणकारी योजनाओं में खर्च किया जा सके। कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकारी पैसा मेहनतकश आम जनता के द्वारा मेहनत से कमाई गई पसीने का पैसा होता है। सरकार भी इस बात की तस्दीक करती है कि उनके खाजाने का पाई पाई आम जनता की मेहनत और पसीने की कमाई से जुटाई गई पैसा है,लेकिन सरकारी खजाने में जाने के बाद सरकार ही इस पैसे का इस्तेमाल जनहित कार्यों के लिए खर्च कर सकता है। जनहित कार्यों में खर्च करने हेतू सरकार विभिन्न प्रकार के कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर लेकर आती है जिसे सदन से पहले पास कराया जाता है और सदन के द्वारा पारित सरकारी योजनाओं को बेहतरीन तरीके से बनाए रखने की जवाबदेही सभी लोगों की होती है। जिसमें लगभग जनप्रतिनिधियों से लेकर मौजूदा सत्ताधारी सरकार की तमाम मशेनरी शामिल हैं। बता दें कि पूर्व कांग्रेस पार्टी की सरकार में माटी पुत्र के तौर पहचाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गांव गरीब मजदूर और किसानों के लिए जो योजनाएं जमीनी धरातल पर लागू किया था उनमें से कई योजनाएं आज भी बेहतर बेहतरीन बताई जाती है। यदि इन योजनाओं को बैगर राजनीतिक विचारधारा के अपनाया जाए तो निश्चित रूप से गांव गरीब मजदूर और किसानों को इसका फायदा मिलेगा लेकिन राजनीतिक विचारधारा के विरोधी होने के चलते छत्तीसगढ़ प्रदेश में सत्ता पर काबिज विष्णुदेव साय की सरकार इस बेहतर से बेहतरीन योजना के तरफ मुंह उठाकर देखना भी नहीं चाह रही है, जबकि सरकारी योजनाओं में आम आदमी की मेहनत और पसीने की कमाई से जुटाई गई पैसा लगा हुआ है। कहा जाता है कि सरकार का एक काम यह भी है कि वह सरकारी पैसा की दुरोपयोग होने से बचाये रखें। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गांव की काया पलटने हेतू नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी योजना की शुरुआत को अमलीजामा पहनाया था और इस योजना के जरिए ग्रामीण अंचल क्षेत्र में आर्थिक विकास करने का दम भरा था।
हालांकि इस योजना के जरिए जितना फायदा ग्रामीण अंचल क्षेत्रों को मिलना था उससे कहीं ज्यादा कांग्रेसी कमीशनखोर ठेकेदारों ने कमीशनखोरी करते हुए इस योजना की पूरा काया को पलट कर दिया है। काया पलटने के चलते आलम यह बना हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार तो खैर मुंह उठाकर नहीं देखना चाहती है शायद उनकी सोच होगी यह दूसरे सरकार की योजना है, लेकिन जिला और विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस पार्टी की विधायक हैं। आखिरकार वे अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को जमीनी धरातल पर जमींदोज होते हुए देखकर चूप क्यों बैठी हुई है? सूत्रों की मानें तो पूरे विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय विधायक के चुनिंदे ठेकेदारों ने ही माटी पुत्र कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी पर बड़े उत्साहित तरीके से पलीता लगाने का काम किया है। इन ठेकेदारों के लगायें हुए पलीता का असर इतना भयानक बताया जा है कि सरकार हाथ से जाने के महज तीन साढ़े बाद ही चूरा चूर होकर टूट रहा है।

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