चारामा / कांकेर : जैसा कि हमारे सुधी पाठकों को यह भली-भांति से पता है कि छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं की पहचान न सिर्फ धान और किसान है अपितु इस सरजमीं की छाती के अंदर दफन बहुमूल्य खनिज संपदा भी है। वर्तमान परिदृश्य के अंदर प्रदेश की छाती के अंदर दफन बहुमूल्य खनिज संपदा को लूटने के लिए जो रणनीति अपनाया जा रहा है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। बहरहाल लूट के इस सिलसिले में इन दिनो प्रदेश के अंदर कल कल करती हुई बहने वाली नदियों की छाती को चीर कर खूब लूटा जा रहा है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मौजूद रेत खदान सरकार ने हरी झंडी दिखाकर शुरू करवा दी गई है। सरकार से अनुमति मिलने के बाद ज्यादातर रेत खदानों में नदियों की छाती को चीर कर बकायदा बड़े बड़े मशीनों से रेत उत्खनन किया जा रहा है और इसके साथ ही इन मशीनों से हाईवा ऊपर हाइवा में ओवरलोड रेत को पूरे दमखम के साथ भरा जा रहा है। इस बीच ओवर लोड वाहनों के चलते सड़कों की हालत तो गंभीर बनी ही हुई है,लेकिन इसके साथ ही यातायात पुलिस महकमा की भी हालत पतली नजर आ रही है। महिलाओं और बच्चों तक को बीच सड़क पर रोककर यातायात का पाठ पढ़ाने वाली महकमा के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की ओवरलोड रेत से भरी हुई हाईवा पर बेइंतहा मेहरबानी के चलते आलम यह बना हुआ है कि जगह जगह ओवरलोड रेत से भरी हुई गाड़ियां खुलेआम सड़कों पर दौड़ रही है।
बेशर्म के पौधों का इस्तेमाल रेत खदान के लिए बनी उपयोगी यानी कि घुरवा के बाद अब बेशर्म की भी हुई बल्ले-बल्ले
देश के ज्यादातर हिस्सों में बेशर्म नाम का पौधा अनचाहे कंही पर भी पनप कर उस जगह पर अपना कब्जा जमा लेता है और यह पौधा इतनी आसानी से खत्म भी नहीं होता है जिसके चलते लोगबाग इसके पौधे को बेशर्म का पौधा कहकर संबोधित करते हुए दिखाई देते हैं। हालांकि अमृतकाल के इस दौर में जिस तरह से कभी नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी योजना के जरिए घुरवा के दिन भी बौरा था ठीक उसी प्रकार से रेत उत्खनन योजना के जरिए बेकार समझे जाने वाली बेशर्म के पौधे का दिन बौर रहा है। प्रदेश के ज्यादातर रेत खदानों में बेशर्म के पौधे का इस्तेमाल रेत से भरी हुई बड़ी बड़ी गाड़ियों को निकलने के लिए बनाई जाने वाली रैम में किया जाता है। जरा सोचिए जब प्रदेश के अंदर बेशर्म और घुरवा का दिन बौर रहा है तब ऐसे में टुच्चे और बदमाशों का क्या हाल होगा। बहरहाल बेशर्म और घुरवा बहुत ही उपयोगी संसाधन हैं।
कांकेर जिला के चारामा विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत कई रेत खदान धड़ल्ले से नियमों को ताक पर रख कर शुरू
रेत आधुनिक युग के अंदर हिरा से भी किमती और बहुमूल्य हो चला है। आधुनिकीकरण के इस दौर में इसका कारण लगभग सभी को पता है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के उतर बस्त्तर जिला कांकेर में स्थित चारामा विकासखण्ड क्षेत्र में मौजूद ज्यादातर रेत खदान सरकार के विधीवत अनुमति से शुरू कर दी गई है। साल के इन दिनों महानदी के छाती को चीर कर रेत उत्खनन करने का यह सिलसिला विगत कुछ वर्षों से भयानक रूप ले लिया है और इसके चलते स्थानीय रेत उत्खनन वाले ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों की हालत गंभीर स्थिति में पहुंच चुकी है। हालांकि ज्यादातर रेत से भरी हुई गाड़ियां नियम विरुद्ध तरीके से रेत परिवहन लगातार करने का जोखिम मोल ले रही है, लेकिन जब जिम्मेदार ही चुप बैठकर तमाशा देखने में उतारू हो तब कोई क्या कर सकता है। वैसे बता दें कि प्रदेश के अंदर मौजूद लगभग सभी रेत खदानों में बड़े बड़े माफिया और सफेदपोश नेताओं का अंदरूनी हाथ होने की जानकारी सर्व विदित है ऐसे में जाहिर सी बात है कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर किस बात का वैसे कहा जा रहा है कि लगातार हो रही नदियों से रेत उत्खनन के चलते नदी की पारिस्थितिकी तंत्र में तेज गति से बदलाव हो रहा है। यदि इसी माफिक रेत उत्खनन करने का यह सिलसिला जारी रहा तो आगे आने वाले दिनों में नदियां विकराल रूप ले लेगी। अब नदियों के विकराल रूप लेने से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं बांकी स्वंय विचार करे।
@ विनोद नेताम #