@विनोद नेताम#
रायपुर: छत्तीसगढ़ रायपुर शहर के संस्थापक राजा रायसिंह जगत गोंड़ की मुर्ती पूरे रायपुर शहर में आपको कंही देखने को नहीं मिलेगी और न ही कभी उनका सम्मान समारोह आयोजित होता है, जबकि बाहरी मूल के व्यक्तियों के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में आये दिन किसी न किसी तरह से उत्साह देखने को मिलती रहती है। हैरानी की बात यह है कि उत्साह दिखाने वाले लोग कोई बाहरी नहीं बल्कि छत्तिसगढ़ प्रदेश के चुने हुए जनप्रतिनिधि है। बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी उसकी सभ्यता और संस्कृति होती है यदि उसे नष्ट कर दिया जाए तो वह राष्ट्र स्वंय खत्म हो जाता है। अब गौर करने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर मौजूद ज्यादातर जनप्रतिनिधि बड़े बुजुर्गो के द्वारा सुझाई गई इस सभ्यता और संस्कृति बचाऊं योजना से कितना इत्तफाक रखते हैं। गौरतलब हो कि बिते दिनों वैशालीनगर के सत्ताधारी विधायक ने जिस तरह से अपनी मातृभूमि से जुड़ी हुई सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतू कदम उठाया है 'उसे देखकर लगता है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में अब सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेता और मंत्री विशेष रूप से छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद रहने वाले पुरखों की सम्मान के खातिर एक से बढ़कर एक कदम उठायेंगे। हां इस बीच कोई भी सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेता किसी भी आम छतिसगढ़ीहा का टेटूआ नहीं दबायेंगे बल्कि सभी सत्ताधारी राजनीतिक दल से ताल्लुक रखने वाले जनप्रतिनिधि आम से आम और खास से खास छतिसगढ़ीहा चिंन्हारीयों के सम्मान में सर झुकायेंगे। बहरहाल देखने वाली दिलचस्प बात यह है कि क्या वाकई में ऐसा कुछ हो सकता है? खैर जो भी आगे किसने देखा है? इस बीच राजधानी रायपुर के अंदर स्थित लालपुर में छत्तीसगढ़ीहा क्रांति सेना के द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी का मूर्ति स्थापित किया गया है। मूर्ति स्थापना कार्यक्रम के दौरान क्रांति सेना और स्थानीय लोगों के बिच छत्तीसगढ़ महतारी की मुर्ति को लेकर विषेश संवेदना दिखाई देने की खबर है। स्थानीय लोगों ने क्रांति सेना को इस विषेश समाजिक कार्यक्रम और छत्तीसगढ़ महतारी की मुर्ति स्थापित करने को लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया है।