बालोद : भारतीय लोकतंत्र की प्रथम पायदान मानें जाने वाले ग्राम पंचायतों के अंदर विराजमान ग्रामीणों के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को कई जगहों पर समस्त ग्रामवासियों का माई बाप माना जाता है। लिहाजा देश के अंदर मौजूद ज्यादातर ग्राम पंचायतों में रहने वाले ग्रामवासी इन जनप्रतिनिधियों को अपना सुख और दुख का तारणहार समझकर इन्हें अपना परिवार का मुखिया मानकर चलते है। वंही ग्राम पंचायत के अंदर विराजमान चुने गए जनप्रतिनिधि भी ग्रामवासियों की हर उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करते हुए नजर आते है। हां यह अलग बात है कि यदि ग्राम पंचायत के अंदर ग्रामवासियों के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ग्राम पंचायत या फिर ग्रामवासियों के खिलाफ ग़लत आचरण या व्यवहार का प्रदर्शन करता है,तब ग्राम वासियों के द्वारा उक्त जनप्रतिनिधि के खिलाफ लामबंद हो कर विरोध करना जायज ठहराया जा सकता है,लेकिन जब किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि को राजनीतिक जाल में फंसाकर उसके विरुद्ध ग्रामवासियों को भड़काते हुए उसे ग़लत ठहराया जाए तब क्या यह गतिविधि नाजायज नहीं माना जाएगा ? दरअसल कुछ इसी तरह का घटनाक्रम बालोद जिला के ग्राम पंचायत चारवाही से जानकारी में आई है। उक्त घटनाक्रम को लेकर आदीवासी महिला पंच सुलोचनी ध्रुव ने आज से कुछ दिन पहले बालोद थाना में अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।
हालांकि महिला पंच सुलोचनी ध्रुव की लिखित शिकायत पर बालोद पुलिस ने ग्राम पंचायत और राजस्व विभाग का मामला बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है,लेकिन जिस तरह से आदीवासी महिला पंच होने के नाते सुलोचनी ध्रुव ने अपनी वेदना को इस शिकायत पत्र के माध्यम से जाहिर करने का प्रयास किया था,वह मानव समाज के भीतर एक महिला के खिलाफ होने वाले जमीनी धरातल पर दबंगई को साफ दर्शाता है। दरअसल ग्राम पंचायत चारवाही के अंदर विगत कई वर्षों से आबादी जमीन की खरीदी बिक्री ग्रामीण अपने मन मुताबिक शासन और प्रशासन को अंधेरे में रखकर करते हुए आ रहे हैं। ग्राम पंचायत चारवाही के अंदर वर्षों से हो रही जमीन खरीदी बिक्री की बराबर जानकारी ग्राम पंचायत और गांव में मौजूद जिम्मेदार लोगों को है। सरकारी नियमानुसार ग्राम पंचायत के अंदर मौजूद एक एक इंच जमीन की जवाबदेही ग्राम पंचायत की होती है। ऐसे में बैगर शासन और प्रशासन को जानकारी दिए बिना किसी भी तरह की जमीन की खरीदी ब्रिक्री ग्रामीणों को करने की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके पहले से चली आ रही परंपरा के अनुरूप सुलोचनी ध्रुव ने अपनी पारिवारिक व्यक्ति जिसे सरकारी आवास योजना के तहत ग्राम पंचायत चारवाही ने आवास के तौर पर दिया गया था। उक्त व्यक्ति की मृत्यु होने पर पिड़िता ने उसके बेटे से आवास घर को खरीद लिया। मृतक आवास धारी के पुत्र चारवाही ग्राम पंचायत के अंदर निवासरत नहीं है।
हालांकि आवास घर को खरीदने से पहले सुलोचनी ध्रुव ने ग्राम पंचायत सरपंच चारवाही और ग्रामीण अध्यक्ष हुकुमचंद साहू चारवाही से बकायदा इजाजत ली थी। जमीन खरीदी ब्रिक्री की लिखा-पढ़ी जिस स्टांप पेपर पर दर्शाया गया है वहां पर ग्रामीण अध्यक्ष हुकुमचंद साहू बकायदा गवाह के रूप में दस्तखत मौजूद हैं। अब ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि आखिरकार ग्राम पंचायत चारवाही के अंदर मौजूद चंद दबंग टाइप के ग्रामीण महिला पंच के खिलाफ लामबंद होकर क्यों भिड़े हुए हैं। गौरतलब हो कि ग्राम पंचायत चारवाही के अंदर पहले से ही सरकारी जमीनों को शासन और प्रशासन को बैगर जानकारी दिए बिना बेंच खाने की पंरपरा चली आ रही है। ऐसे में सुलोचनी ध्रुव का ग्रामीण अध्यक्ष हुकुमचंद साहू की गवाही में सरकारी जमीन पर बनाई गई आवास घर को खरीदना क्या वाकई ग़लत है?