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मीडिया की सक्रियता से प्रशासन के हस्ताक्षेप के बाद पीड़ित लोहार परिवार को मिला तीन साल बाद न्याय।


तीन साल से हुक्का पानी और पौनी पसारी बंद होने से पिड़ित था लोहार परिवार। लोहे को पीट कर औजार बनाने वाले कारिगर को आधुनिकीकरण की इस दौर में भोगना पड़ा समाजिक दंश। मानवता को शर्मसार करने वाली गरीब लोहार परिवार की दर्दनाक कहानी 


बालोद : जिले के वनांचल ग्राम गोड़पाल में बीते तीन वर्षो से ग्राम के दबंग कस्तू राम केवट एवं उनके कुछ सहयोगी लोगों के द्वारा ग्राम के भोले भाले ग्रामीणों को अपने झांसे में लेकर तुगलकी फरमान जारी कर लोहार परिवार को बहिष्कार कर प्रताड़ित करते हुए उनके मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा था। मामले को लेकर राष्ट्रीय अखबारों सहित स्थानीय मीडिया ने सरकार पर तीखे सवालों की झड़ी लगा दी थी, अंततः प्रशासन को मामले पर संज्ञान लेना पड़ा तथा दिनांक 03 अक्टूबर 2024 को प्रशासन के द्वारा ग्राम गोंड़पाल में बैठक कर पीड़ित परिवार एवं ग्रामीणों को संयुक्त रूप से बैठाकर समझौता कराया गया जहां पर पीड़ित लोहार परिवार एवं ग्रामीणों के बीच प्रशासन के मध्यस्थता में आपसी सहमति बनी तथा तीन वर्षो से चली आ रही गतिरोध को दूर किया गया। वहीं पीड़ित लोहार परिवार को ग्रामीण समाज के मुख्यधारा में जोड़कर ग्राम में शांति बहाली किया गया।

मिली जानकारी के अनुसार ग्राम गोड़पाल की नदी से विगत पांच–छः वर्षों से लगातार कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाला एक विवादित एवं हरामखोर किस्म के नेता अपने गुंडों के संरक्षण में अवैध रूप से रेत उत्खनन कर चोरी करने का काम रहा था जिसमे कस्तू राम केवट एवं उनके सहयोगियों के द्वारा दलाली कर हराम की मोटी रकम कमाई किए जाने की जानकारी जग जाहिर है। मामले को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों सहित मीडिया संस्थानों ने खबर के माध्यम से जिला प्रशासन एवं खनिज विभाग को कटघड़े में इस बाबत कई दफा खड़ा किया है। फलस्वरूप किए जा रहे रेत की अवैध उत्खनन पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए उक्त अवैध उत्खनन पर पाबंदी लगा दि‌या था, जिसके चलते दलाली कर रहे दबंगों को मिल रहे मोटी रकम से महरूम होना पड़ गया। परिणाम स्वरूप बौखलाहट में उन दबंगों ने लोहार परिवार पर मुखबिरी का झूठा आरोप लगाते हुए उन्हें सबक सिखाने की नियत से बंधुआ मजदूर बना कर प्रताड़ित एवं अपमानित करने की साजिश रचकर ग्राम के भोले भाले ग्रामीणों को अपने झांसे में लेकर लोहार परिवार को विगत तीन सालों से बहिष्कृत कर उनके मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा था।


     ऐसे रचा गया था साजिश 


ग्राम गोंड़पाल में लोहार परिवार के भी लोग निवासरत है जिनके पूर्वज पूर्व में पारम्परिक रूप से कारीगरी का काम कर पौनी पसारी के माध्यम से अपना जीवनयापन कर रहें थे। इस दरमियान बुजुर्ग कारीगर आशाराम विश्वकर्मा की मौत होने के पश्चात उनके बेटे कलेश्वर विश्वकर्मा एवं उनके भाई को भी बंधुआ मजदूर बनकर लोहारी कार्य करने हेतु ग्राम के उक्त दबंग किस्म के लोगों के द्वारा दबाव डाला जा रहा था। जबकि कलेश्वर विश्वकर्मा स्वतंत्र रूप से नगद पारिश्रमिक लेकर लोहारी कार्य करना चाहता था तथा उन्होंने बंधुवा मजदूर बनकर लोहारी कार्य करने से मना कर दिया था। अपने मंसूबे पर पानी फिरता देख बौखलाहट में कस्तू राम एवं उनके सहयोगी लोगों के द्वारा उनके पिता स्वर्गीय श्री आशा राम विश्वकर्मा के द्वारा विगत साठ–पैसठ वर्षों से काबिज लोहारी दुकान से बेदखल कर उन्हें बेरोजगार कर देना चाह रहे थे। कलेश्वर विश्वकर्मा के द्वारा लोहारी दुकान खाली करने से उनके परिवार के समक्ष रोजी रोटी की समस्या खड़ा हो जाने का हवाला देते हुए दुकान खाली करने से इंकार करने पर बौखलाहट में पूरे लोहार परिवार को ग्रामीण समाज से बहिष्कृत कर उनके मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा था। जिसके बाद विवाद की स्थिति बढ़ती गई और पीड़ितों पर प्रताड़ना तीन वर्षो तक चलता रहा। इस दौरान पीड़ितों के द्वारा लगातार प्रशासन से न्याय बाबत गुहार लगाता रहा बाऊजूद प्रशासन कुंभकर्णीय नींद में सोता रहा।


मामले में पहली बार अतिरिक्त तहसीलदार ने दिखाया संवेदनशीलता 


वहीं मामले की जानकारी होने पर कुछ दिनों पहले ही संवेदनशीलता का परिचय देते हुए अतिरिक्त तहसीलदार बालोद श्री आशुतोष शर्मा जी के द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीण व लोहार परिवार के बीच तहसील कार्यालय बालोद में समझौता करवाया गया था। तथा किए गए समझौता की समीक्षा करने स्वयं ग्राम गोंड़पाल पहुंचकर एक बार फिर पीड़ित परिवार एवं ग्रामीणों का बैठककर दोनो पक्षों को शांति बहाली बाबत समझाइस दिया गया था। तथा गांव में तनाव की स्थिति निर्मित न हो इस आशय से कलेश्वर विश्वकर्मा को भी उक्त लोहारी दुकान को खाली कर देने का सुझाव दिया गया था जिसके परिपालन में कलेश्वर विश्वकर्मा के द्वारा उक्त लोहारी दुकान को खाली भी कर दिया गया था। बाऊजुद दबंगों के द्वारा पीड़ितों पर प्रताड़ना जारी रखा था जिसके संबंध में पीड़ितों के द्वारा पुनः अतिरिक्त तहसीलदार महोदय के समक्ष गुहार लगाया गया तब तहसीलदार महोदय के द्वारा उच्च अधिकारियों से सलाह मशविरा कर अनुविभागीय अधिकारी बालोद श्रीमती प्रतिमा ठाकरे झा के नेतृत्व में ग्राम गोड़पाल में एक बार पुनः राजस्व विभाग और पुलिस विभाग कि अगुवाई में ग्रामीणों के बीच उक्त मामले पर बैठक की गई जिसमें ग्रामीणों के साथ लोहार परिवार के लोग भी शामिल हुए, इस दरमियान वाद विवाद का दौर चलता रहा अंततः प्रशासन के द्वारा दोनों पक्षो को सुनने के बाद मामले में दोनों पक्षों में सुलह कराया गया। इस दरमियान एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा, तहसीलदार आसुतोष शर्मा, टीआई रविशंकर पाण्डेय, सरपंच जितेन्द्र कुमार पटेल सहित ग्रामीणजन उपस्थिति थे।


कथन:–

सरपंच जितेंद्र कुमार पटेल ने बताया कि ग्राम के कस्तू राम केवट के द्वारा भोले भाले ग्रामीणों को बरगला कर लोहार परिवार को ग्रामीण समाज से बहिष्कृत कर उनके मानव अधिकारों का तीन सालों से लगातार हनन किया जा रहा था जिसे प्रशासनिक हस्ताक्षेप के बाद पीड़ित परिवारों एवं ग्रामीणों की संयुक्त बैठक कर सुलझा लिया गया है।


एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा ने बताया कि मामला कारीगरी काम के पौनी पसारी से जुडा हुआ था जिसके कारण ग्रामीणों व लोहार परिवार के बीच आपसी विवाद का दौर चल रहा था जिसपर राजस्व विभाग और पुलिस विभाग कि अगुवाई में ग्रामीणों के बीच बैठक कर आपसी विवाद के मामले को सुलह कराया गया है।

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