कबीर दास जी कहते हैं कि..
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए। वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए।।
अर्थात चिंता एक ऐसी डायन है जो व्यक्ति का कलेजा काट कर खा जाती है। इसका इलाज वैद्य नहीं कर सकता। वह कितनी दवा लगाएगा। अर्थात चिंता जैसी खतरनाक बीमारी का कोई इलाज नहीं है बिलकुल ठीक उसी समान शक एक लाईलाज बिमारी है जिसका कोई इलाज नहीं हो सकता है।
@Vinod Netam # 9202262963
बालोद : माना जाता है कि मनुष्य जाति तीन कारणों के चलते मरने मारने पर उतारू हो जाता है। आमतौर पर देखा जाए तो यह तीन कारण जोरू जर और जमीन से ताल्लुक रखने वाला विवाद है। जिसके चलते लोगबाग अक्सर एक दूसरे को मारने कांटने पर उतारू नजर आते है। इस बीच यदि समाज के भीतर नशा उबाल मार रहा हो,तब इन तीन कारणों के चलते समाज के भीतर असंतुलन पैदा होना स्वाभाविक बात है। वैसे भी नशा को नाश का जड़ माना गया है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि नशे का समाज के भीतर सदुपयोग न के बराबर ही होगा। गौरतलब हो कि आधुनिकीकरण और कलजुग के इस दौर में ज्यादातर युवा पीढ़ी अपनी स्वंय की जिम्मेदारीयो को लेकर इतना सजग दिखाई नहीं दे रहा हैं 'जितना कि होना चाहिए लिहाजा ज्यादातर विवाहित युवा पीढ़ी अपनी अंधी जवानी के आगोश में अपनी वर्तमान जीवन को दांव पर लगा कर अपनी पसंद मुताबिक जीवनशैली अपनाने के फिराक में जुटे हुए हैं। इस क्रम में यह देखा जा रहा है कि ज्यादातर विवाहित युवा पीढ़ी की विवाहित जीवन आमतौर पर तेज गति से टुट रही है। वैसे भी समाज में ज्यादातर युवतियों की शादी उनकी पसंद के मुताबिक कम और दबाव में अधिक होती हुई चली आ रही है। चूंकि लगभग सभी मां बाप को अपना बेवड़ा बेटा हद से प्यारा होता लेकिन दमाद नो बेवड़ा ऊपर से नौकरी वाला या दौलत वाला होना चाहिए। ऐसे में समय अपना असर एक एक न दिन जरूर दिखाता है। संतुलन कुदरत का नियम है और जब संतुलन कुदरत के बनाए उसूलों के खिलाफ जाता है,
तब कुदरत अपना रंग दिखाता है। सीधी सी बात है विवाह के बाद अवैध संबंध का दौर समाज के भीतर तेज गति से बढ़ रहा है। इस गति में गांव शहर अमीर गरीब सब शामिल हैं और सभी तरह के लोग शामिल होने के चलते समाज में इसका व्यापक असर फैल रहा है। परिणाम स्वरूप आये दिन टूटते और बिखरते विवाहित युवा पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाला अपराधों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के बालोद जिले अंतर्गत पुरूर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिदौद में एक पति ने अपनी पत्नी की चरित्र पर संदेह करते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया। आरोपी पति ने मृतक पत्नी के हाथ और पैर को पलंग में बांधकर गमछे से गला घोंटकर हत्या को अंजाम दिया गया है। पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि आरोपी पति अर्जुन मंडावी अपनी पत्नी अंजलि मंडावी के चरित्र पर शक करता था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच अक्सर विवाद होता रहता था। बीती रात करीब 11 बजे भी दोनों के बीच विवाद हुआ। इस दौरान गुस्से में पति ने पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर आरोपी पति अर्जुन मंडावी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। पति पत्नी के अलावा इनके दो छोटे बच्चे भी हैं। पति अर्जुन मंडावी सरकारी वेयर हाउस चिटौद में हमाली करता है और अंजलि धमतरी किसी मिल पर मजदुरी करने जाती थी। बहरहाल इस घटनाक्रम के बाद से इनके दो मासूम बच्चों का जीवन अधर पर लटक गया है। ऐसे में समाज के लिए इस तरह की घटनाक्रम चिंतन करने लायक है।