मिली जानकारी अनुसार कुछ ने मंगलवार रात्रि तो कुछ ने आज बुधवार को सुबह धन की देवी श्री महालक्ष्मी जी की स्थापना अपने घरों में की।जो कि भाईदूज के दिन तक पूजी जाएगी और पर्व के उसी अंतिम दिवस विधिविधान के साथ विसर्जित होंगी।वैसे तो रोशनी के इस महापर्व को मनाने की अपनी अपनी मान्यता है।कुछ सीधे दीवाली के दिन सीधे दीवाली के दिन महालक्ष्मी जी की आरती करते है तो कुछ पांचों दिन मूर्ति के माध्यम से इनकी भक्ति करते है।लेकिन आस्था सभी जगहों पर विद्यमान होती है।
घरों में पूर्ण विधिविधान के साथ रस्मों को पूरा करते हुए पर्व के प्रथम दिन लक्ष्मी जी घरों में पधारी। मिट्टी के दिए , कलशा और मनभावन रंगोली के साज श्रृंगार से घर का वातावरण महकने लगा।उनकी मनमोहक मूर्ति सभी का मन भाने लगी और लोगों ने आस्था
-भक्ति के साथ उनके सम्मुख मत्था टेकते हुए परिवार एवं जनकल्याण की अर्जी लगाई।
जगमगाते दिए और गूंजते फटाखों की रौनकता से सजे मनभावन पर्व दीवाली सुआ गीतों की महक से समूचा वातावरण रोशनी के इस महाउत्सव का श्रृंगार कर रही है।अब सबको इंतजार है जब देवों के देव महादेव जी गौरी माता जी के साथ विवाह के रूप में विराजेंगे। वहीं गोवर्धन पूजा ,राउत भाइयों के दोहों और मातर की उमंग के साथ भाईदूज पर भाई-बहनों का स्नेह परिवार और मानव समाज में रोशनी के इस उत्सव का श्रृंगार करके लोगों में शांति ,समरसता और भाईचारे की परिणीति करते हुए सबको एक सूत्र में जोड़ने का कार्य करेगा और हमारे छत्तीसगढ़ की संस्कृति को महकाएगी।