हिन्दू आस्था के प्रतिक भगवान श्री राम चंन्द्र जी के मामा जी का घर बताया जाता है छतिसगढ़ प्रदेश को,ऐसे में यंहा पग पग पर फैला है अशिक्षा का अंधियारा। विश्व गुरु भारत माता की कोरा में बैठें दूलौरिन बेटी छतिसगढ़ महतारी हालत पर चिंता क्यों नहीं?
@ विनोद नेताम #
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में पहले दिन ही गूंजा अशिक्षा से पिड़ित समाज को बाहर निकालने वाले शिक्षकों कमी को बात। सनद रहे बीते कल गुरू पूर्णिमा का महापर्व सभी देशवासियों के साथ छतिसगढ़ वासियों ने भी धूमधाम से मनाया है। ऐसे में शिक्षको की कमी इस महापर्व की व्यथा पर एक अलग कथा बंया कर रहा है। बस समझने वाली बात है। क्योंकि शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे जो पियेगा वो दहाड़ेगा। बहरहाल छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र आज सोमवार से आरंभ हो गया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन सर्व प्रथम दिवंगत पूर्व विधायकों को सह सम्मान श्रध्दाजंलि अर्पित किया गया। स्वर्ग सिधार गए पूर्व विधायकों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद शुरू हुए प्रश्नकाल के दौरान स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा गूंजा। स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा पूरे सदन को गंभीर चिंता में डाल दिया। निश्चित रूप से छतिसगढ़ प्रदेश जैसे कमाऊ खाऊ राज्य और दिन रात पसीना बहा कर कुंआ खोद पानी बहाऊ प्रदेश के लिए बहुत बड़ा गंभीर विषय का बात है।
इस मुद्दा को लेकर सदन में पहले दिन ही गहमागहमी देखने को मिली। रायपुर ग्रामीण से भाजपा विधायक मोतीलाल साहू के प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवाब देते हुए कहा कि पूरे भारत में 26 छात्रों पर एक शिक्षक है,जबकि पूरे छत्तीसगढ़ में 21 छात्रों पर एक शिक्षक मौजूद है। इसका मतलब यह नहीं है कि यंहा सब कुछ ठीक ठाक है,यंहा पर भी शिक्षक की कमी है। कुछ अव्यवस्थाओं ऐसी स्थिति बनी है। छत्तीसगढ़ में 300 स्कूल शिक्षक विहीन है। लगभग 5000 स्कूल एकल शिक्षकीय है। सीएम साय ने कहा कि हमने युक्ति युक्त कारण की प्रक्रिया शुरू की है। उसके बाद शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आगे बढ़ाया जायेगा।
शिक्षकों की कमी से संबंधित इस सवाल जवाब के दौरान अपना पूरक प्रश्न करते हुए कुरुद से भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने शहर के सरप्लस शिक्षकों वाले स्कूलों की जानकारी जाननी चाही, इसके जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि अभी इस संबंध जानकारी उपलब्ध नहीं है। बाद में उपलब्ध करवा दी जाएगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी बड़े शहरों में मौजूद सभी सरकारी स्कूलों के अंदर ज्यादातर शिक्षक अपने पद और पहुंच के दम पर कई सालों से बड़े ठाट-बाट के साथ पदस्थ हैं,जबकि प्रदेश के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में और जंगली अंदरुनी हिस्सों में स्कूल ही नहीं है और जब स्कूल ही मौजूद नहीं है 'तब ऐसे में शिक्षको को भैंस चराने हेतू तो नहीं पदस्थ किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर अशिक्षा एक भंयकर बिमारी है और इस बिमारी का इलाज बेहतर तरीके से करना होगा क्योंकि अशिक्षा से पिड़ित समाज कभी विकास और उन्नति का सपना नहीं देख सकता है। बहरहाल छतिसगढ़ राज्य के मौजूद डबल इंजन सरकार समूचे छतिसगढ़ प्रदेश के अंदर जल्द ही शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने वाली है। ऐसे में शिक्षको की कमी को दूर करने की सरकार यह प्रयास फिलहाल चर्चा का विषय बना हुआ है।