आखिरकार सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि को एक शिक्षक अपने निजी खाता में कैसे ट्रांसफर कर सकता है? बालोद शिक्षा विभाग सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि की समीक्षा किस तरह से सुनिश्चित करती है? यदि शिक्षा विभाग समीक्षा सही तरीके से करती है तो गुरू जी शासन से मिलने वाली अनुदान राशि को अपने खाता में ट्रांसफर कैसे करा लेता है?
बालोद: समस्त संसार भर में भारत को विश्व गुरु होने का दर्जा प्राप्त है और शायद इसलिए आज भी भारत विश्व गुरु है यह बताया जा रहा है,लेकिन विश्व गुरु भारत में भी शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार की आवश्यकता गुंजाइश बताई जा रही है। सरकार भी लगातार सुधार करने की दिशा में आगे कदम बढ़ा रही है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग में चली आ रही भर्राशाही के चलते ही लोगबाग आमतौर पर यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि गुरू जी,गुरू जी चार चकिया गुरू जी मर गे उठावो खटिया। हालांकि यह शब्द शिक्षकों के लिए और शिक्षा विभाग के लिए कतैई उचित नहीं माना जा सकता है,लेकिन हकीकत के धरातल पर जिस हिसाब से मंजर दिखाई देता है उस हिसाब से लोग बाग अपनी विचारधारा को इस तरह कभी कभी अति उत्साह में बंया करते हुए दिखाई देते हैं।
बहरहाल हम भी उसी भर्राशाही को लेकर हमारे सुधी पाठकों के मध्य एक छोटा सा विचार प्रकट कर रहे हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग में फैली उस भर्राशाही को लेकर जगह जगह बात चल रही है। दरअसल शिक्षा के अंधियारे से जुझ रही छतिसगढ़ राज्य की सरजमीं पर स्थित बालोद जिला के संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत रमतरा में मौजूद सरकारी स्कूल की ज़हां पर पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाली पोषण आहार से उनका निवाला एक शिक्षक के माध्यम से खुलेआम डकारे जाने की सूचना मिली है,जबकि डकारने के लिए सरकार शिक्षकों को तय समय के मुताबिक हर महीने पगार उनके खातों में भेज रही है। बावजूद इसके बालोद जिले के गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत रमतरा के सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक को शासन से मिलने वाली अनुदान राशि को डकारने की क्यों आवश्यकता पड़ गई ? यह जांच का विषय है। उक्त मामले को लेकर गुरूर विकासखंण्ड शिक्षा अधिकारी ललीत चंन्द्रकार ने जांच की बात कही है,लेकिन शिक्षा विभाग के अंदर इस तरह से चली आ रही भर्राशाही को लेकर उनके विभाग के द्वारा क्या प्रयास किया गया है इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह पाए। बहरहाल मामले को लेकर यह भी जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि मामले को उजागर करने वाले पत्रकारों पर मामले में आरोपी शिक्षक द्वारा किसी ओहदेदार व्यक्ति की हनूक से सराबोर होकर झूठी मनगढ़ंत कहानी बनाने के फिराक में है। अब आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि मामले में आखिरकार होता क्या है।
बहरहाल हम भी उसी भर्राशाही को लेकर हमारे सुधी पाठकों के मध्य एक छोटा सा विचार प्रकट कर रहे हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग में फैली उस भर्राशाही को लेकर जगह जगह बात चल रही है। दरअसल शिक्षा के अंधियारे से जुझ रही छतिसगढ़ राज्य की सरजमीं पर स्थित बालोद जिला के संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत रमतरा में मौजूद सरकारी स्कूल की ज़हां पर पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाली पोषण आहार से उनका निवाला एक शिक्षक के माध्यम से खुलेआम डकारे जाने की सूचना मिली है,जबकि डकारने के लिए सरकार शिक्षकों को तय समय के मुताबिक हर महीने पगार उनके खातों में भेज रही है। बावजूद इसके बालोद जिले के गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत रमतरा के सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक को शासन से मिलने वाली अनुदान राशि को डकारने की क्यों आवश्यकता पड़ गई ? यह जांच का विषय है। उक्त मामले को लेकर गुरूर विकासखंण्ड शिक्षा अधिकारी ललीत चंन्द्रकार ने जांच की बात कही है,लेकिन शिक्षा विभाग के अंदर इस तरह से चली आ रही भर्राशाही को लेकर उनके विभाग के द्वारा क्या प्रयास किया गया है इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह पाए। बहरहाल मामले को लेकर यह भी जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि मामले को उजागर करने वाले पत्रकारों पर मामले में आरोपी शिक्षक द्वारा किसी ओहदेदार व्यक्ति की हनूक से सराबोर होकर झूठी मनगढ़ंत कहानी बनाने के फिराक में है। अब आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि मामले में आखिरकार होता क्या है।