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इधर भी संविधान और उधर भी संविधान।

 विपक्षी हाथ में लेकर बोलें जय संविधान तो सत्ता पक्ष दिल पर हाथ रखते हुए बोले जय संविधान,लेकिन आखिरकार संविधान बचा कंहा पर है पूछे पूरा हिन्दुस्तान। 
@ विनोद नेताम # 
रायपुर : 18रवी लोकसभा के पहले सत्र के दरमियान इन दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के धन्यवाद भविवादन प्रस्ताव भाषण पर दोनों सदनों में जबरदस्त चर्चा चल रही है। इस दौरान दोनों सदन के अंदर काफी गहमागहमी की स्थिति बनी हुई दिखाई दे रही है। इस बीच दोनों सदन के सभापतियो के द्वारा सभी सम्मानित सदस्यों को सदन में पर्याप्त बोलने का मौक़ा दिया जा रहा है। जिसके चलते विपक्ष के हर सांसद ने अपने मन की हर बात कह डाली है। इस बीच कोई नारेबाज़ी नहीं, कोई हंगामा नहीं देखने को नहीं मिला है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी लगभग 90 मिनिट बोले साथ ही कई और विपक्षी सांसदों ने तय समयावधि के अनुसार अपनी बात कर पाये।पीएम हो या बाक़ी मंत्री और सांसद, सबने उन्हें सुना। इस बीच कंही कंही थोड़ी बहुत टोका-टाकी हुई,लेकिन सभी विपक्षी सांसदों ने बेरोकटोक अपनी कही,लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बारी तब विपक्ष ने संसद की गरिमा का कोई ख़्याल नहीं रखा।पीएम के पहले शब्द से नारेबाज़ी शुरू कर दी गई। हालांकि विपक्षी सांसदों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जवाब सुनना चाहिए ताकि उन्हें भी पता चल सके कि उन्होंने ने जो सरकार पर आरोप लगाये है उन आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किस तरह से जवाब रखते हैं। विपक्ष की इस बर्ताव को कोई समझदार व्यक्ति जायज़ नहीं ठहरा सकता। सदन में चर्चा होनी चाहिए बहस होना चाहिए,लेकिन चर्चा और बहस का जवाब के अलावा शोरगुल यह उचित परंपरा नहीं है। सत्ता पक्ष की जितनी जिम्मेदारी सदन को सुचारू से संचालित करने की होती है। उतना ही विपक्षी राजनीतिक दलों की भी क्योंकि सदन को चलाने के लिए जनता का प्रति एक मिनट ढाई लाख रुपए खर्च होता है। प्रधानमंत्री यदि गलत बायनबाजी कर रहे हैं तो विपक्ष उन्हें नियमों के जानकारी देते हुए सदन में घेरे,लेकिन नैतिक जिम्मेदारीयो के पीछे भी संसदीय मर्यादा होती है और चुने हुए जनप्रतिनिधियो को इस मर्यादा का ख्याल रखते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी सहित इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम राजनीतिक दलों ने इन दिनों वाकई में सत्ताधारी राजनीतिक दल से काफी नाम कमाया है,लेकिन सदन में उनका इस तरह से बर्ताव उनके नाम और शोहरत को जनता के मध्य कमजोर कर सकता है। वंही दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार देश की सत्ता संम्हालते ही नये जोश में दिखाई दे रहे हैं। दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी राजनीतिक दल के सांसदों को राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू की धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पुछे गए सवालों पर जवाब देते हुए अपने अंदाज में बखूबी तरीके से जवाब देते हुए दिखाई दिए हैं। दोनों सदनों के सभापतियो ने विपक्षी राजनीतिक दल के सांसदों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जवाब नहीं सुनने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे संविधान का अपमान करार दिया है। सदन में चल रही घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे ने कहा कि INDIA पार्टियों ने राज्य सभा से इसलिए walk-out किया क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी झूठ बोल रहे थे। वे कहते हैं कि हम संविधान के विरोध में हैं, बल्कि सच्चाई यह है कि BJP-RSS, जनसंघ और उनके राजनीतिक पुरखों ने भारत के संविधान का जमकर विरोध किया था। उन लोगों ने डॉ बाबासाहेब अंबेडकर व पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के उस समय पुतले फूंके थे। ये शर्मनाक बात थी। 

सच्चाई ये है कि डॉ बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान के प्रारूप बनाने का श्रेय कांग्रेस को दिया था। 

मुझे ये दो बातें भारत की जनता को सदन के माध्यम से बतानी थी। 

1) RSS के मुखपत्र Organiser ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था कि — 

“भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमे भारतीय कुछ भी नहीं है... प्राचीन भारत के अ‌द्भुत संवैधानिक विकास के बारे में इसमें कोई ज़िक्र ही नहीं है... आज तक मनुस्मृति में दर्ज मनु के कानून दुनिया की प्रशंसा का कारण हैं और वे स्वयंस्फूर्त आज्ञाकारिता और अनुरूपता पैदा करते हैं... हमारे संवैधानिक विशेषज्ञों के लिए यह सब निरर्थक है।" यहां आरएसएस साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी अंबेडकर के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में खड़ी है।

2) बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने संविधान का प्रस्ताव पेश करते हुए कांग्रेस की तारीफ करते हुए 1949 में कहा था कि — 

66 मुझे बहुत आश्चर्य हुआ था जब प्रारूप समिति ने मुझे अपना अध्यक्ष चुना। समिति में मुझसे बड़े, मुझसे बेहतर और मुझसे सक्षम लोग थे। यह कांग्रेस पार्टी के अनुशासन का ही कमाल था कि प्रारूप समित, संविधान सभा में संविधान को हर धारा और हर संशोधन के बारे में निश्चित जानकारी के साथ प्रस्तुत कर सकी। इस लिए संविधान सभा के समक्ष, संविधान के प्रारूप को अबाध रूप से प्रस्तुत किए जाने के समस्त श्रेय पर कांग्रेस पार्टी का हक बनता है।“

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