@ विनोद नेताम #
रायपुर :छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में पहले दिन ही पराजय से विचलित विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों ने भी जोरशोर से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। विपक्षी कांग्रेसी विधायकों ने अपनी उपस्थिति का फायदा उठाते हुए सदन में बलौदाबाजार में हुई हिंसा का मामला उठाया। कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने मांग किया कि इस विषय पर शून्यकाल के दौरान स्थगन प्रस्ताव लाया जाए। स्थगन प्रस्ताव की मांग पर सत्ता पक्ष के विधायक अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक और धरमजीत सिंह ने इस आपत्ति दर्ज करवाई। बावजूद इसके विधानसभा अध्यक्ष डाक्टर रमन सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सभी विधायकों को सुनने और समझने की सलाह देते हुए कार्यवाही को जारी रहने दिया। हालांकि इस दौरान स्थगन प्रस्ताव पर पूर्व सीएम और कांग्रेस पार्टी के पाटन विधायक भूपेश बघेल ने कहा कि हमारा स्थगन आयोग के कार्यक्षेत्र से बाहर के मामला पर है। विधानसभा अध्यक्ष इस विषय पर अपनी अनुमति दे सकते है। इसपर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर इस आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यदि चर्चा होगी, तो पूरे विषय पर बात होगी। जांच आयोग का कार्य प्रभावित होगा, लिहाजा इस पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। हालांकि अध्यक्ष ने पक्ष-विपक्ष के मध्य तीखी बहस के बाद विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की स्वीकृति दी।
विपक्ष का आरोप, हिंसा में शामिल होने नागपुर से आये थे लोग,जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार दुर्भावना से प्रेरित होकर कांग्रेस पार्टी सहित सतनामी समाज के निर्दोष लोग और अन्य संगठनों के लोगों को जबदस्ती उठा कर कानूनी कार्रवाई कर रहे है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने स्थगन प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस घटना में नागपुर से लोग आकर शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि नागपुर से आये,लोग रात्रि में बलौदाबाजार में रुके थे। घटना से पूर्व हजारों लोग शहर में आ रहे थे, लेकिन उन्हें रोका नहीं गया। बघेल ने आरोप लगाया कि बलौदाबाजार कलेक्टर और एसपी ने बाहर से आये लोगों के भोजन और रहने की व्यवस्था कराई थी। साथ ही पुलिस ने सतनाम भवन का वाहन जलाने का प्रयास किया। इन सबके लिए भाजपा की सरकार जिम्मेदार है। पुलिस दुर्भावनापूर्ण से कार्रवाई कर रही है। इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए बलौदाबाजार आंदोलन को भड़काने में भारतीय जनता पार्टी,बजरंग दल और विहिप को जिम्मेदार ठहराया था। बता दें कि यह सभी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के दायरे में रहकर काम करते हैं। इस बीच केन्द्र सरकार ने आज ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगी हुई प्रतिबंध को हटा दिया है। अब ऐसे में कांग्रेस पार्टी की ओर से बलौदाबाजार हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए इन संगठनों को लेकर बड़ा सवाल उठाया है। बहरहाल बलौदाबाजार हिंसा की जांच जारी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार मामले में कौन कौन दोषी है।