बालोद : ज़मीन जल चुकी है, आसमान बाकी है,
सूखे कुएं तुम्हारा इम्तहान बाकी है,
बादलों बरस जाना समय पर इस बार,
किसी का मकान गिरवी तो किसी का लगान बाकी है।
बालोद : जिला की पत्थरीली सरजमीं को अपने मेहनत और पसीने से उपजाऊ बनाने वाले मेहनतकश किसान भरे आषाढ़ के महिने में बारिश नहीं होने के चलते पिछले कई दिनों से हैरान और परेशान दिखाई दे रहे थे। इस दौरान कई किसान किस्मत पर रोते हुए अपने खेतो के पास मायुस और बेबस खड़े नजर आये तो वंही कई किसान सरकार और सिस्टम को कोसते हुए भी दिखाई दे रहे थे। इस बीच कुछ ऐसे भी किसान नजर आये है जो कुदरत के साथ हो रही खिलवाड़ को समझते हुए इसकी भरपाई का रास्ता निकालने के जुगाड़ में लगे हुए दिखाई दिए हैं।
हालांकि आधुनिकीकरण के इस दौर में कुदरत के साथ होने वाली अन्याय का भरपाई करना इतना आसान नहीं है। बावजूद इसके लोग कुदरत के साथ की जा रही अन्याय को अब समझ रहे हैं यह बड़ी बात है। शायद इसलिए अंधाधुंध वृक्षों की कटाई करने के बाद अब सरकार जागते हुए अंधाधुंध वृक्षों की बुआई करने की बात कह रही हैं। जिसके चलते इन दिनों वृक्षारोपण कार्य को लेकर जगह जगह होड़ मची हुई दिखाई दे रही है। हालांकि देखा-सेखी में की जा रही वृक्षारोपण कार्य सही तरीके से सफल हो पायेगी 'इसकी कोई गारंटी नहीं है,लेकिन वृक्ष तो हर साल कांटे जायेंगे इसके लिए भरपूर गांरटी है। बहरहाल लंबे समयांतराल के बाद बरखा रानी ने अब आंख मिचौली बंद करते हुए बरसना शुरू कर दिया है। अंचल में लगातार हो रही बारिश के चलते खेत, खलिहान,नरवा,डरबा, ढोंरंगा, तरीया, नदियां सब के सब लबालब भर चुकी है। पानी की लगातार भराव के चलते खारून नदी में आलम यह बना हुआ दिखाई दे रहा है कि कभी भी गुरूर विकासखंण्ड मुख्यालय से कई गांवों का संपर्क टूट सकता है। हालांकि जिला प्रशासन मामले को लेकर नजर बनाए हुए होंगे, लेकिन जिस तरह से उमड़ उमड़ कर बारिश हो रही है उसे देखकर लगता है कि इस बार भी किसानों की फसल अच्छी होगी।
हालांकि आधुनिकीकरण के इस दौर में कुदरत के साथ होने वाली अन्याय का भरपाई करना इतना आसान नहीं है। बावजूद इसके लोग कुदरत के साथ की जा रही अन्याय को अब समझ रहे हैं यह बड़ी बात है। शायद इसलिए अंधाधुंध वृक्षों की कटाई करने के बाद अब सरकार जागते हुए अंधाधुंध वृक्षों की बुआई करने की बात कह रही हैं। जिसके चलते इन दिनों वृक्षारोपण कार्य को लेकर जगह जगह होड़ मची हुई दिखाई दे रही है। हालांकि देखा-सेखी में की जा रही वृक्षारोपण कार्य सही तरीके से सफल हो पायेगी 'इसकी कोई गारंटी नहीं है,लेकिन वृक्ष तो हर साल कांटे जायेंगे इसके लिए भरपूर गांरटी है। बहरहाल लंबे समयांतराल के बाद बरखा रानी ने अब आंख मिचौली बंद करते हुए बरसना शुरू कर दिया है। अंचल में लगातार हो रही बारिश के चलते खेत, खलिहान,नरवा,डरबा, ढोंरंगा, तरीया, नदियां सब के सब लबालब भर चुकी है। पानी की लगातार भराव के चलते खारून नदी में आलम यह बना हुआ दिखाई दे रहा है कि कभी भी गुरूर विकासखंण्ड मुख्यालय से कई गांवों का संपर्क टूट सकता है। हालांकि जिला प्रशासन मामले को लेकर नजर बनाए हुए होंगे, लेकिन जिस तरह से उमड़ उमड़ कर बारिश हो रही है उसे देखकर लगता है कि इस बार भी किसानों की फसल अच्छी होगी।