नफ़रत को मिटाने और मोहब्बत को अवाम तक पहुंचाने के लिए अब कांटा जाए लींबू। गरीबों की उन्नति और खुशहाली के लिए कांकेर सांसद भोजराज नाग कांटते रहे लींबू। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में बैग्गा भोजराज नाग कांकेर सांसद को लेकर लींबू कांटने की कही गई थी।
बालोद : गुटबाजी के भंयकर जिल्लत से जमीन दोज होने की स्थिति को पार करते हुए नजर आने वाली बालोद भाजपा को कांकेर सांसद भोजराज नाग क्या दे पायेंगे मोहब्बत और भाईचारा की संजीवनी वह भी लींबू कांट के? राजनीतिक सुत्रो के जानकारों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी के अंदर गुटबाजी बालोद जिले में एक बड़ी समस्या के तौर पर माना जाता रहा है। शायद इसलिए बरसों से बालोद जिला के इस उपजाऊ भूमि पर भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकताओं की लाख मेहनत और काबिलियत के बावजूद कमल नहीं खिल सका है। ज्ञात हो कि इसी गुटबाजी के चलते पूर्व कांकेर लोकसभा भाजपा सांसद मोहन मंडावी काफी प्रयासों के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं संग अपने पूरे पांच साल के संसदीय कार्यकाल में प्रभू श्री राम चंन्द्र की एक चौपाई तक नहीं गा पाए हैं। अलबत्ता मोहन मंडावी जी को अपनी बहुमुखी प्रतिभा का गुणगान उन्हें स्वयं भरे संसद में करना पड़ गया था। ऐसे में मौजूदा सांसद भोजराज नाग के लिए बालोद जिला के अंदर भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी कलह किसी मामूली समस्या से कहीं अधिक चिंता करने वाली समस्या है यह समझा जाए तो भी कोई ग़लत नहीं होगा। इसलिए कांकेर लोकसभा सांसद भोजराज नाग के लिए बालोद भाजपा में एकजुटता बनाए रखना बेहद जरूरी माना जा रहा है। आमतौर पर छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर मौजूद बालोद जिला जिसे अविभाजित दुर्ग जिला के दुसरे अंश के तौर पर पुराने जमाने में पहचाना जाता था,लेकिन वर्तमान समय में बालोद जिला एक अलग जिला के तौर पर जाना जाता है। छत्तीसगढ़ के सरजमीं पर जब भारतीय जनता पार्टी की पुराने दिनों में डाक्टर रमन सिंह की सरकार रही 'तब उस दौरान भारतीय जनता पार्टी बालोद जिला के इसी पत्थरीली और उपजाऊ सहित जंगली भूमि पर काफी मजबूत स्थिति में नजर आती रही है। जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकताओं ने अपने मेहनत और काबिलियत के दम पर लगातार जिला के तीनों विधानसभा सीटों पर परचम लहराने का काम बखूबी तरीके से कर दिखाया है,लेकिन विगत कई वर्षों से बालोद जिला के तीनों विधानसभा सीटों से भाजपा लगातार सिमटी जा रही है। इस बीच कांग्रेस पार्टी और अन्य राजनीतिक दल भाजपा की जगह अपनी जड़ें मजबूत बनाए रखने में सफल साबित होते हुए दिखाई दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप जिले के अंदर भाजपा को मिल रही लगातार एक हार के बाद दूसरी हार से पार्टी के ईमानदार और कर्मठ कार्यकताओं में हताशा घर चुका हैं। अब जब प्रदेश में और केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन चुकी है 'तब क्या बालोद जिला के सरजमीं पर कमल खिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी अपने कर्मठ और ईमानदार कार्यकताओं को एक बार फिर मोहब्बत और अमन का पैगाम देते हुए उन्हें एकजुट करने में सफल हो पायेगी यह एक बड़ा सवाल है,क्योंकि कहा जा रहा है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद शहरी भाजपाई नेता और कार्यकर्ता सत्ता का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। वंही दूसरी ओर पार्टी के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कार्यकताओं को अभी भी नजरंदाज किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर नेताओं को बालोद जिला में सत्ता परिवर्तन होने के बाद अवैध रेत उत्खनन में लिप्त बताया जा रहा है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कार्यकताओं को खुलेआम नजरांदाज करने की खबर है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी जाहिर सी बात है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि छत्तीसगढ़ की डबल इंजन सरकार बालोद जिला की बोगी को किस करवट पर ले जाकर छोड़ती है।