@ Vinod netam #
रायपुर : क्या बुरी तरह से हारने के बाद कांग्रेस पार्टी सत्य के राह पर चलने वाले सतनामी समाज को हथियार बनाकर छत्तिसगढ़ में समाजिक अस्थिरता फैलाने का काम कर रही है? आखिरकार हिंसा रोक पाने में नाकाम रहने के बाद अपनी नाकामियों पर बेसुध नजर आने वाली भाजपा की त्रिदेव सरकार कांग्रेस पार्टी को हिंसा भड़काने का गुहेनगार क्यों मान कर चल रही है? मनखे मनखे एक समान का संदेश देने वाले समाजिक क्रांति के पुरोधा गुरू घासीदास जी के अनुयायियों को आखिरकार किस राजनीति के लिए राजनीति के अखाड़ा में मोहरा बनाया जा रहा है? कांग्रेस पार्टी के विधायक रूद्र गुरु और देवेन्द्र यादव सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं पर आखिरकार विष्णुदेव साय के केबिनेट में शामिल तीन मंत्रियों ने क्यों सवाल खड़े किए? मंत्रीयो के सवाल के बाद कांग्रेस पार्टी के विधायक रूद्र गुरु गिरफ्तारी देने रायपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय क्यों पहुंचे? बलौदा बाजार की हिंसा में राहुल गांधी के बयानों की चर्चा तेज क्यों हुई? आखिरकार 16 जून तक बलौदा बाजार जिला मुख्यालय में लगाई गई धारा 144 के बाद कांग्रेसी जांच कमेटी दल 14 जून को ही घटनास्थल का दौरा क्यों करने के लिए गई? मामले में भीम आर्मी की इंट्री कैसे और किस हालत में हुई? ऐसे अनगिनत सवालत है,बिते दिनों जो बलौदा बाजार में घटनाक्रम घटित हुआ है 'उसे लेकर,लेकिन इस बीच कई सवालत घटना के बाद दब गई और कई सवालत घटना के बाद से फिर जिंदा हो चुका है। उन्हीं सवालतो में से कुछ सवालत हमने अपने सुधी पाठकों के मध्य रखने का प्रयास किया है। इस प्रयास में से चंद शब्द निकालकर हम एक और सवालत आपके समक्ष में प्रस्तुत कर रहे हैं, जरा गंभीरता से विचार किजियेगा। बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि राजनीति और समाज दो अलग अलग चीजें हैं, इसे समान बिलकुल न समझा जाए। राजनीति एक दरीया है सत्ता में डूबकी लगाने का,जबकि समाज एक गंगा है ज़हां पर हर पापी और हर पुण्य आत्मा डूबकी लगाकर मोक्ष प्राप्ति का सपना संजोता है या फिर खुशहाल जीवन का कामना करता है। ऐसे में राजनीति और समाज का मिश्रण सही नहीं माना जाता है। जानकारों की मानें तो समाज और राजनीति का मिश्रण समाज के भीतर भारी तबाही लाता है,क्योंकि राजनीति का मकसद सिर्फ कुर्सी है,वंही समाज का लक्ष्य समाजिक मुल्यो की नैतिक जिम्मेदारीयो का भरपाई है। ऐसे में दोनों का मिश्रण उचित नहीं माना गया है। हालांकि अमिर धरती और गरीबों की भूमि के तौर पर मशहूर छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर मौजूद ज्यादातर राजनेता समाज को अपना जागिर मान कर चल रहे हैं और इन्ही के चलते कई बार छत्तीसगढ़ महतारी की इस पावन धरती पर समाजिक फसाद आमतौर पर देखने को मिलता है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरा जिसे भगवान श्री राम चंन्द्र जी का मामा घर बताया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य के कण कण में मौजूद हर मामा भगवान श्री राम चंन्द्र जी की तरह आज भी उन्हें स्मरण करते हुए अपने भांजों का सम्मान करते हुए नजर आते हैं। वंही इस भूमि पर मनखे मनखे एक समान की विचारधारा को समाजिक क्रांति का जरिया बनाते हुए समाज में एकता की अलख को जगाने वाले महान संत गुरू घासीदास जी ने सत्य और एकता का संदेश दिया है। शहिद वीर नारायण सिंह जैसे क्रांतिकारीयो ने अपनी लहू से इस मिट्टी को सींचा है। तब जाकर आज तीन करोड़ छतसिगढ़ीहा करिया बेटा बेटियों को यह सम्मान सुनने को मिलता है कि छतसिगढ़ीहा सबले बढ़िया। बावजूद इसके बिते दिनों बलौदा बाजार में जो भी घटनाक्रम देखने को मिला है 'उस मामले को लेकर छतिसगढ़ राज्य की सरजमीं पर मौजूद सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार बेहद गर्म चुका है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी एक दूसरे के बिलकुल सामने खड़े हुए दिखाई दे रही है। वंही सतनामी समाज से जुड़े हुए कई दंगाईयों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और उन पर कानूनी कार्रवाई की गई है। इस बीच हमारे सुधी पाठकों के लिए यह समझना जरूरी है कि फायदा किसका हुआ और नुकसान किसका हुआ। क्या सतनामी समाज इस नुकसान की भरपाई और छत्तिसगढ़ प्रदेश सरकार दोनों मिलकर कर पायेगी? गौरतलब हो कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस बख्त सत्ता की कुर्सी पर आसीन है। मुख्यमंत्री बकायदा एक आदीवासी समाज से ताल्लुक रखने वाला व्यक्ति हैं तो वहीं दूसरी ओर दोनों उप मुख्यमंत्री समाज की मुख्यधारा में शामिल बहेतरीन समाज से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के नेता इन्हीं समाजिक मर्यादाओं के जिम्मेदार दोनों उप मुख्यमंत्री में से एक उप मुख्यमंत्री जो कि प्रदेश के गृहमंत्री भी है। उनके कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए बलौदा बाजार की घटनाक्रम को उनके नफरत की आंधी से जोड़ कर देख रहे हैं।