बोरसी बारूद धमाके में मृतक मजदूरों की परिवारों को चालिस लाख मुआवजा दिलाने के बाद छतिसगढ़ीहा सेना की एक बार फिर दहाड़। क्रान्ति सेना ने दिलाया चालीस लाख मुआवजा
बोरसी बारूद फैक्ट्री आंदोलन समाप्त।
पैंतालिस डिग्री तापमान में सात दिन चला आंदोलन।
भौगोलिक दृष्टिकोण और आर्थिक दृष्टिकोण के बिहाप पर यदि देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य निहायत ही एक पिछड़ा और गरीब राज्य है। प्रदेश के ज्यादातर लोग खेती और किसानी से जुड़े हुए कार्यों पर निर्भर है,जबकि प्रदेश में ज्यादातर बड़े कारोबारी और धन्नासेठ बाहरी है। यानी कि दुसरे राज्यों से आकर छत्तीसगढ़ राज्य की भूमि को अपना बसेरा समझने वाले ज्यादातर लोग कारोबारी और धन्नासेठ है। प्रदेश में मौजूद सभी लोग उन्नति और तरक्की के लिए रात दिन मेहनत करते हुए पसीना छत्तीसगढ़ की इस सरजमीं पर बहा रहे हैं। अब जाहिर सी बात है, ऐसे में कंही न कंही पर थोड़ा बहुत भूलचुक तो होगा ही 'क्योंकि सभी को जल्दी और कम समय में सफलता चाहिए मानव की यही तो सबसे बड़ी भूल है और इसी इच्छा और चाह के चक्कर में कभी कभी मनुष्य अपना विवेक नष्ट कर देता है और विवेक हिन व्यक्ति क्या कर सकता है 'यह हमारे श्रुधि पाठकों को याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है। निश्चित तौर पर विवाद के तीन कारण होते हैं जोरू, जर,और जमीन। जब जब इन तीनों पर आघात होता है तब तब बवाल मचता है जबकि कुदरत के नियमानुसार बड़े छोटे को मार खाता है। गरीब और अक्षित होने के चलते कई बार आम छतिसगढ़ीहा तन्हा मर कर रह जाता है। ऐसे में ग़रीबी और अशिक्षा से पिड़ित छत्तीसगढ़ राज्य के आम लोगों को जमीनी धरातल पर एक मजबूत साथी का साथ मिलना बहुत बड़ी बात है।
क्रांति सेना छत्तीसगढ़ के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को पढ़िए...👇🏻
विगत 25 मई को बेमेतरा जिला, बेरला ब्लॉक स्थित स्पेशल ब्लास्ट बारुद कंपनी में हुए भयानक विस्फोट से वहां कार्यरत नौ मजदूरों के चिथड़े उड़ गये थे । सभी मजदूर आसपास के गांवो के गरीब लोग थे । छत्तीसगढ़ में अपने तरह का यह पहला हादसा था जो पूर्णतया फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही और राज्य सरकार के औद्योगिक सुरक्षा विभाग एवं श्रम विभाग की अनदेखी और भ्रष्टाचार की वजह से हुआ जिसमें एक ही पल में अनेक घरों के चिराग हमेशा के लिये बुझ गये ।
इस तरह के मामलों में न्यायिक हक के लिये तत्पर संगठन छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने घटना के तत्काल बाद वहां जाकर मोर्चा संभाल लिया क्योंकि हमेशा की तरह इस वीभत्स घटना में भी प्रशासन की लीपापोती का अंदेशा बना हुआ था ।
प्रबंधन और राज्य प्रशासन के काफी हील हवाला के बाद भी छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना वहां क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हुए स्थानीय जनमानस को जनआंदोलन के साथ जोड़ने में सफल रही एवं ठीक सातवें दिन प्रत्येक मृतक परिवार को चालीस-चालीस लाख का मुआवजा दिलाने में सफल रही ।
क्रान्ति सेना के अन्य मांग जैसे न्यायिक जांच की मांग, प्रबंधन के उपर एफआईआर आदि भी मान लिये गये ।
क्रान्ति सेना के बेमेतरा जिला अध्यक्ष नीलेश साहू ने बताया कि देश के अन्य राज्यों में क्षेत्र विशेष को ही उद्योगों के लिये आरक्षित किया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जिसके गैरजिम्मेदार भस्मासुर हुक्मरानों ने पूरे प्रदेश को ही उद्योग क्षेत्र में तब्दील कर दिया है । इसी का भयानक परिणाम ऐसे भयंकर हादसों के रुप में सामने आ रहे हैं । गांवो के बीच हमारे खेती जमीनों, दईहानों, गौठानों, भाठा-परिया और नजूल एवं घासभूमि पर स्थापित ऐसे उद्योगों पर प्रतिबंध लगाकर वह जमीनें वापस किसानों को सौंप देना चाहिए । चवालीस प्रतिशत वन आच्छादित हमारे प्रदेश को हमें ऊद्योग दानवों और बाहरी भू-माफियाओं से बचाना ही होगा । जंगलो को काटकर, खेत-बस्तियों को उजाड़कर खदानों और फैक्ट्रियों मे तब्दील किये जा रहें हैं । छत्तीसगढ़िया कौम को बरबाद करने की साजिशें जारी हैं ।
प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रकांत यदु ने स्पष्ट किया कि हम उद्योग विरोधी नहीं हैं लेकिन औद्योगिकीकरण संतुलित होना चाहिए ।आंदोलन की सफलता के बाद धरना-स्थल में गमछा बिछाकर आम जनता से आर्थिक सहयोग मांगा जिसमें हजारों रुपये एकत्रित हुए ।
उन्होने आंदोलन में सहभागी बनने के लिये जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी, बाईस गांव समाज, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों,पीड़ित परिवारों, आस पास के ग्रामीणों,महिला संगठनों, समानधर्मी जन आंदोलनकारी समर्थक संगठनो का हृदय से आभार जताया तथा आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़िया लोगों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों के खिलाफ एकजुट रह के लड़ाई लड़ने का आह्वान किया ।
केंद्रीय कार्यालय
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना