एक माह पूर्व इसी मामले के एक और आरोपी को दल्ली राजहरा पुलिस ने धर दबोचा था।
आरोपी के द्वारा गुरूर पुलिस को तीन दिन से दिया जा रहा था चकमा,अंततः गुरूर पुलिस की सुझबुझ और तत्परता के चलते आरोपी हुआ गिरफ्तार।
बालोद : निश्चित रूप से आज के वर्तमान युग में सरकारी नौकरी का समाज के अंदर भारी डिमांड है, क्योंकि बेरोज़गारी को समाज एक भंयकर बिमारी के तौर पर देखती है और किसी भी बिमार को समाज स्वीकार नहीं करता है, 'यह आज के जमाने की जमीनी सच्चाई है। ऐसे में इस बख्त देश के अंदर बेरोज़गारी का आलम यह बना हुआ दिखाई दे रहा है कि कई मां बाप को अपने बेटियों के लायक सरकारी नौकरी वाले दामाद का मुखड़ा देखना नशिब होना तो दूर लड़की देखने हेतू उनके घरों में सरकारी नौकरी वाले दामाद का कदम तक नहीं पड़ रहा हैं। सरकारी नौकरी वाले दामाद का कदम आखिरकार कंहा से पड़ेगा? जब नौकरी सरकार युवाओं को देगी, तब बेरोज़गारी की बिमारी से पिड़ित देश के युवा किसी बेटियों मां बाप के घरों में अपने लिए दुल्हन तलाशने जायेंगे बैगर नौकरी के बेरोज़गारी की बिमारी से पिड़ित युवा क्या खाक अपने लिए दुल्हन तलाशने जायेंगे? वैसे भी बेरोज़गारी से पिड़ित देश के युवाओं को लड़की के मां बाप लड़की देखने जाते ही सवाल पुछने लग जाते हैं कि वह दिन में कितना शराब पीता है। सोचिए ऐसे में हर बेरोजगार युवाओं के लिए सरकारी नौकरी की क्या मायने हो सकती है। लगभग हर मां बाप अपने बच्चों को सरकारी नौकरी में पदस्थ होना देखना चाहता है जिसके लिए हर मां बाप अपने सपने तक को निलाम कर देता है ताकि उनके बच्चे सरकारी नौकरी में लग सके और धूमधाम से अपने लिए घोड़ी चढ़ कर दुल्हन ला सकें, लेकिन कितने मां बाप का यह सपना बीच रास्ते में ही तहस नहस होकर चकनाचूर हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार और नौकरी लगाने के नाम पर ठगी है। छत्तीसगढ़ राज्य में सरकारी नौकरी को लेकर भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। कई मामलों की जांच चल रही है तो वंही कई मामले कोर्ट में लंबित बताई जा रही है! इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले के अंदर भी बेरोज़गारो को सरकारी नौकरी में लगाने के नाम पर कई मामला पुलिस के रिकार्ड में दर्ज है! दर्ज मामले को लेकर बालोद पुलिस जीरो टॉलरेंस करने हेतू कड़ी से कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार खड़ी हुई बताई जा रही है। एक बेरोजगार युवक को सरकारी नौकरी में लगाने का झांसा देकर लाखों रुपए की ठगी करने वाले आरोपी को गुरूर पुलिस ने संतरा नगरी नागपुर से धर दबोचा है। बता दें कि पूरे जिले भर में एक बढ़ कर एक तुर्रम खानों ने बेरोजगार युवाओं की सपनों को बेंच खाने का काम किया है। बावजूद इसके समाज में अपनी भूमिका को बेहतर बताने के लिए ऐसे सपनों के सौदागर अगवा बनकर खड़े हुए दिखाई देते हैं, जबकि किसी के सपनों को बेंच खाना कुदरत के सबसे बड़ा गुनाह में से एक माना जाता है। समाज को यह तय करना चाहिए कि जब एक बेरोजगार समाज के लिए एक भंयकर बिमारी बन सकता है,तो एक बेरोजगार की सपने को बेंच खाने वाला सपनों के सौदागर समाज का अगवा क्यों और कैसे बन सकता है। समाज के अंदर मौजूद ऐसे लोगों को हमें पहचाना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि कोई दुसरा बेरोजगार ऐसे लोगों का शिकार न बन सके।