छत्तीसगढ़ राज्य की त्रिमूर्ति सरकार भी प्रदेश के गरीब मजदूर की मौत पर भी साथ नहीं है,जबकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके सुशील मोदी की मौत पर आंसू बहाते हुए दिखाई देते हैं!
आज टॉप भारत को ऐसी हेडिंग लगाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि टॉप भारत की नजरों से आज एक ऐसा वाक़या गुजरा जिसने यह सिद्ध कर दिया की मालिकों के लिए नौकरों की जान की कीमत दो कौड़ी की भी नहीं होती।
बात आज से कुछ तीन दिनों पहले की है जब धमतरी जिले के ग्राम बटनहर्रा का एक युवक काम जो राजधानी रायपु में विद्युत ठेकेदार के यहां नौकरी करता है ।यह विद्युत ठेकेदार विद्युत विभाग के ठेके लेकर काम करने के अलावा विद्युत विभाग को मजदूर भी सप्लाई करता है ।अब एक दिन यह होता है कि इनका प्रशिक्षित लाइन मिस्त्री काम पर से गैरहाजिर होता है,और विभाग को इसी समय एक लाइन मैन की सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है । विभाग के द्वारा इस ठेकेदार को सूचना दी जाती है कि हमें समय ग्राम कचना में लाइन का कार्य करना है,इसके लिए एक मिस्त्री भेजिए,और इस ठेकेदार के द्वारा अपने सुपरवाइजर को आदेश दिया जाता है,कि वहाँ लाइन मिस्त्री भेजो। तब सुपरवाइजर इस बटनहर्रा वाले युवक को जो कि वहाँ ड्राइवरी जैसे छोटे-मोटे कामों के लिए गया था और विद्युत का बहुत छोटा-मोटा काम करने का अनुभव जिसके पास था,उसे मेनलाइन पर काम करने भेज दिया जाता है । और काम करते हुए इसकी मृत्यु हो जाती है । अब जब इस बात की खबर ठेकेदार तक पहुंचती है तो वह मामला रफा दफा करने की नीयत से आनन-फानन में अपनी सेटिंग वाले डॉक्टर से इसका पोस्टमार्टम करवाता है और अपने सुपरवाइजर के हाथों क्रिया कर्म के लिए ₹20000 देकर उसकी लाश विदा कर देता है ।और रातों-रात उसका अंतिम संस्कार करवा दिया जाता है।
अब जब इस बात की खबर विभागीय सूत्रों और परिवार जनों से टॉप भारत को मिलती है और हम उक्त ठेकेदार से तथा विभागीय अधिकारियों से बात करते हैं तो हमें हर एक के द्वारा गोल-गोल जवाब दिया जाता है । इस संबंध में जब ठेकेदार से बात की गई तो पहले तो उसने ऐसी किसी घटना से अनिभिज्ञता जाहिर कर दी उसने कहा कि मैं अपने कर्मचारियों से बात करके आपको बताता हूं। इसके बाद जब वापस उससे बात की गई तो उसने कहा कि हां ऐसी घटना हुई है लेकिन यह कोई बड़ी बात नहीं है इस तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं और मैंने उक्त कर्मचारी के परिवार को अपनी तरफ से आर्थिक सहायता की है और आगे की कागजी कार्रवाई में लगा हुआ हूं ताकि उसे मुआवजा मिल सके । जब इस संबंध में उससे यह पूछा गया कि क्या एक अप्रशिक्षित मजदूर को लाइनमैन के कार्य पर भेजना उचित था तो उसने कहा कि इसकी मुझे जानकारी नहीं है।अब इस संबंध में इस ठेकेदार के सुपरवाइजर से बात की गई जिसने उस व्यक्ति को वहां काम पर भेजा था तो उसने कहा कि मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है ।आप मलिक से बात करें ।हमने फिर मलिक को फोन लगाया तो उसने कहा कि आपको इस संबंध में मेरा सुपरवाइजर ही सारी जानकारियां दे पाएगा । जब वापस सुपरवाइजर को लगाया गया तो उसका कहना था कि आप इस मामले में विभागीय अधिकारी से बात करें मुझे कोई जानकारी नहीं ।जबकि इस अप्रशिक्षित कर्मचारी को लाइन पर भेजने वाला व्यक्ति यही सुपरवाइजर था। इस बात के पुख्ता प्रमाण टॉप भारत के पास है ।बहरहाल जब हमने इस संबंध में अधिकारी से बात की तो उन्होंने निपटाऊ जवाब दिया उन्होंने कहा कि हां ऐसी जानकारी हमें है मेंटेनेंस के कार्य के लिए ठेकेदार के द्वारा हमें मजदूर मुहैया कराए गए थे लेकिन प्रशिक्षित मजदूर के लाइन पर चढ़ने की जानकारी मेरे पास नहीं है ।फिलहाल मैं इतना ही कह सकता हूं की जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।
इस पूरे वाकये से और तथाकथित आरोपियों से बात करने के बाद यही समझ में आ रहा है कि इन बड़े लोगों के लिए गरीब मजदूरों की जान की कीमत दो पैसों की भी नहीं है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद टॉप भारत द्वारा अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए यह मामला अब जनता की अदालत में खींचकर लाया गया है देखें जनता जनार्दन क्या फैसला लेती है? और देखना यह भी होगा कि इस समाचार का संज्ञान लेकर क्या संबंधित मंत्री व सचिव संबंधितों पर कोई कार्रवाई करते हैं?