रायपुर : देश में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां तेज आंधी की तरह जारी है! इस बीच भरे चुनाव में देश के विपक्षी सियासी राजनीतिक दल के ज्यादातर विपक्षी नेता गला फाड़कर चिखते हुए लोगों को दिखाई दे रहे हैं कि देश के अंदर संविधान खतरे में है लोकतंत्र खतरा में है। नागरिकों की मौलिक अधिकार खत्म किया जा रहा है! हालांकि केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार तमाम विपक्षी सियासतदानों की तमाम तरहों की ऐसी दलीलों को कोरा जूमला करार देते हुए यह कहते हुए दिखाई देती हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश की सच्ची सेवा करने के लिए ही बनी हुई है। भाजपा की विचारधारा में सबसे पहले नेशन फर्स्ट है और लोगों की सेवा ही धर्म है! लोकतंत्र और संविधान को खतरा बताने वाले इमरजेंसी के बारे में सवाल उठाना तो दूर बात तक करना पसंद नहीं करते हैं। अब ऐसे में लोगों के समक्ष एक सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता जो बात कह रहे हैं वह सही है या फिर विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता जो आरोप भाजपा की सरकार पर लगा रहे हैं वह सही है! बहरहाल बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि सच्चाई छुप नहीं सकती है बनावट के वसूलों से और खुशबू आ नहीं सकती है कागज के फूलों से। सत्य को कभी झुठलाया नहीं जा सकता है और न ही दबाया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जो आरोप विपक्षी सियासतदानों के द्वारा लगाई जा रहा है वह कई मायनों पर सही साबित होते हुए दिखाई दे रही है जिसके चलते विपक्षी सियासतदानों की आरोपो को नया बल मिल रहा है! परिणाम स्वरूप भारतीय जनता पार्टी की कई जगहों पर खूब किरकिरी हो रही है! ऐसे में आलम यह बना हुआ प्रतीत नजर आ रही है कि किरकिरी से आहत हो कर ज्यादातर भाजपाई नेता भरे चुनाव में मैदान छोड़कर बगले झांकने पर मजबूर हो चुके हैं। एक ऐसा ही वाकया बिते दिनों उत्तर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की चुनावी सभा के दरमियान घट गई। उतर प्रदेश के रायबरेली संसदीय क्षेत्र में आयोजित चुनावी सभा के लिए हजारों लाखों लोग गृहमंत्री अमित शाह को सुनने के लिए बुलाये गए थे। सभा में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा सरकार के द्वारा की जा रही विकास कार्यों और मोदी सरकार की सच्ची सेवा पर खूब चर्चा किया, लेकिन इस बीच एक पत्रकार को सभा के बाहर भाजपाई कार्यकताओं ने घेर कर पिट दिया। सोचिए देश के गृहमंत्री की सभा में कवरेज कर रहे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ की खुलेआम गरीमा भंग कर दी गई। मामले को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है वहीं दूसरी ओर छत्तिसगढ़ के बिलासपुर में अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा को बिलासपुर पुलिस अधीक्षक ने एक खबर के मामले में नोटिस जारी कर सोर्स पुछने को लेकर बवाल मच गया है! बता दें कि अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा जी ने बिलासपुर पुलिस महकमा में पदस्थ कुछ वर्दी धारीयो की आपसी विवाद को लेकर एवं शहर में बढ़ती हुई नशे की खपत को लेकर चिंता जाहिर करते हुए खबर प्रकाशित किया था। खबर में बिलासपुर पुलिस अधीक्षक को छत्तीसगढ़ राज्य की न्यायधानी बिलासपुर शहर में कानून व्यवस्था की बेहतर तरीके से बहाली चितन हेतू विचार प्रस्तुत किया गया था, लेकिन अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा जी के द्वारा प्रकाशित की गई खबर को बिलासपुर पुलिस अधीक्षक ने महकमा की तौहीन समझ लिया और आननफानन में नोटिस जारी कर एक पत्रकार से खबर प्रकाशित करने का सोर्स पर सोर्स पर पुछ लिया। कानूनी रूप से यदि देखा जाए तो पुलिस अधीक्षक का इस तरह से एक वरिष्ठ पत्रकार को नोटिस जारी कर खबर की सोर्स पुछना सही है या फिर नहीं यह हम नहीं कह सकते हैं,लेकिन मानवीय दृष्टिकोण के बिहाप पर पुलिस अधीक्षक की इस बरताव को तौला जाए तो यह एक निहायत ही घटिया मानसिकता की पाराकाष्ठा को पार करने वाली कवायद माना जा सकता है। बहरहाल मामले को लेकर अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ राज्य के पत्रकार छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और गृहमंत्री से मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि प्रदेश की सत्ता पर काबिज त्रिमूर्ति की सरकार मामले को लेकर क्या रवैया अख्तियार करती है।
Home
TOP BHARAT
बिलासपुर पुलिस अधीक्षक की करतूत से सकते में आई साय सरकार। पत्रकारों की नाराजगी से बिफरी छत्तीसगढ़ सरकार।