@Vinod netam
बालोद : बालोद की माटी ने इस बार इतिहास रचते हुए अपने कर्णधारों को फिर से सेवा करने का मौका दे दिया है। कांग्रेस पार्टी के तीनों उम्मीदवारों ने अपनी राजनीतिक कार्यकुशलता के दम पर पूरे जिले भर में परचम लहराने का काम बखूबी तरीके से किया है।
हांलांकि दुनिया भर में मौजूद राजनीतिक दलों में सबसे बड़े राजनीतिक दल होने का दम भरने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बार भी छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला में कुछ हासिल नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने मेहनत में कोई कमी और कसर बाकी नहीं छोड़ी है। अब आलाकमान जमीनी हकीकत को जाने और समझें बगैर जब फैसला लेगा तो दुनिया के कितनी भी बड़े राजनीतिक दल होने का तूर्रा कोई भी राजनीतिक दल छोड़ ले, होगा वही जो कार्यकर्ता चाहेंगे।
बहरहाल प्रदेश में भाजपा की सरकार बन रही है, भले जिला के तीनों विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के विधायक मौजूद रहेंगे, लेकिन सत्ता की हुनक इस बार पहले की माफिक कांग्रेसी विधायको के पास रहने की बजाए भाजपा के हर पार्टी कार्यकर्ताओं में होगी। चुनाव रिजल्ट घोषित होने के बाद जिला मुख्यालय में फुटे जमकर फटाखे और खूब चली नारे बाजी।
भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं ने तीनों विधानसभा सीट पर हार होने के बावजूद प्रदेश में सरकार बनने की खुशी में फोड़े फटाखे हालांकि ज्यादातर फटाखे कांग्रेस पार्टी के विजेता उम्मीदवारों की जीत के खुशी में फोड़ने हेतू कांग्रेसी समर्थकों ने खरीद कर लाई जाने की सूचना है। इस दौरान प्रदेश में सरकार नहीं बनने से कांग्रेस पार्टी के जमीन से जुड़े हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी साफ देखी गई।
भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं ने लगाया नारा। ना बाबा ना बघेल। दोनों मिलकर गली गली में बेंचें धनिया मिर्च नून तेल।
बालोद जिले के तीनों विधानसभा सीटों में मिली जीत कांग्रेस पार्टी के लिए बेसक एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है लेकिन हकीकत के धरातल पर जो मंजर जमीनी स्तर पर मौजूद है वह बिलकुल ठीक इसके विपरित बताई जा रही थी। दरअसल भाजपा ने जिले के तीनों विधानसभा सीटों पर जीन उम्मीदवारों को इस विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतारा था उनके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में ही जोश कम होने की खबर जग जाहिर है।
वंही कांग्रेस पार्टी के अंदर भी गुटबाजी चरम पर पहुंच चुकी थी बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी ने जिला के तीनों विधानसभा सीटों पर जबरदस्त तरीके से जीत हासिल करने में सफलता हासिल किया है।
चुनाव परिणाम आने के बाद बालोद की जनता के लिए अब दोनों राजनीतिक दल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता को एक नये अंदाज में राजनीति की मुख्यधारा से रूबरू होने का मौका मिलेगा या फिर जनता अपनी छोटी छोटी मांगों को लेकर विधायकों और बाबूओं के दफ्तरों में चक्कर कांटने हेतू फिर मजबूर होना पड़ेगा।