बालोद :- भारतीय संविधान के अंदर उल्लिखित लोकतांत्रिक मर्यादाओं में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कुर्सी जनता की सेवा के लिए बनाई गई है अतः जनसेवक जनता की सेवा पर ही ध्यान दें। सरकार जन सेवकों की मर्यादित कर्मों को देखकर लगभग हर जनसेवक को सेवा के बदले मेहताना बराबर दे रही है ऊपर से करोड़ों रुपया जनता से जुड़े हुए विकास कार्यों को करने हेतू अलग से प्रदान कर रही है। बावजूद इसके जनसेवक मर्यादित तरीके से अमर्यादित गतिविधियों को संचालित करते हुए देखे जाते है।
वंही सरकारी कार्यों में कमीशनखोरी कोई नई बात नहीं है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए काफी दिन हो गए हैं और एक एक दिन महिनों की भांति इन दिनों गुजर रहा है। लिहाजा लगभग हर छोटे बड़े, पिछलग्गू, और अगलग्गु टाइप के सभी नेताओं की धड़कनें बढ़ीं हुई बताई जा रही है।
इनमें से कुछ नेताओं की उत्तेजना चुनाव के रिजल्ट आने से पहले काफी बढ़ी हुई बताई जा रही है। कुछ लोग यह कहते हुए पाए जा रहे है कि वे रिज्लट आने के बाद अवैध रेत उत्खनन के जरिए पैसा कमायेगा तो वंही कुछ लोग अवैध सट्टा कारोबार में किस्मत आजमाने की बात कह रहे हैं। कुछ लोग तो महिनों से ढप्प पड़ी अवैध शराब कारोबार को चुनाव का रिजल्ट घोषित होने की तुंरत बाद वापस शुरू करने की बात कह रहे हैं तो कोई सरकारी निर्माण कार्यों में जमकर धांधली बरतने की बात कह रहे हैं। जिसके चलते कयास यह लगाया जा रहा है कि चुनाव का रिजल्ट आने के बाद सभी तरह के अवैध कारोबार पहले की तरह वापस शुरू हो जायेगा।
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इन दिनों चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू है और पुलिस महकमा से लेकर सभी तरह के सरकारी विभाग तुस्तदुरूस्त है, जिसके चलते अवैध गतिविधियों से संबंधित जुड़े हुए सभी अनैतिक कार्य लगभग बंद है,लेकिन चुनाव की रिजल्ट घोषित होने के बाद ज्यादातर सत्ता सरकार में शामिल लोगों के शरण में लगभग सभी तरह के अनैतिक कार्य शरणागत हो जाते हैं।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgOAJdv4r6jrjm1ltNDc1f9K9aIQIv6JWKF1Gk9TntocHEOc-3ExUIsJ8rS_fVf0rinofF7AFLiNVGRWMFuJKO021FX54k-x1mjbXuCC5ftZjLyISEg_x_efunRcTOh6JNnHjLbWwO0Ov1rNLGT0C5YmcgE9p4kq7pSYc2LCsP_JKB5PLVF6nmzAs1b_EI/w400-h225/IMG-20231201-WA0035.jpg)
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इसलिए माना जा रहा है कि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में फिर से अवैध कार्यक्रमों का बोलबाला होगा हालांकि इस तरह के मामलों में नेताओं को टांग नहीं अड़ना चाहिए, लेकिन नेताओं की मानसिकता में जब सम्मान की जगह पैसा छा जाए तब कहा नहीं जा सकता है।
भारतीय राजनीतिक संस्कृति के लिए इस तरह की नेतागिरी को नेतागिरी के नाम पर धब्बे के तौर पर जाना जाता है, लिहाजा इस तरह की मानसिकता रखने वाले हर तरह के पिछलग्गू और अगवा टाइप के नेताओं को भारतीय राजनीति की इतिहास को एक बार जरूर झांकना चाहिए ताकी राजनीति में रहते हुए समाज सेवा करने की इच्छा रखने वाले सभी जनसेवक राजनीति की असली परिभाषा को भंलिभांती समझ जाएं।