रायपुर : लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव का रिजल्ट लगभग आज घोषित हो गया है। इस दौरान कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर कार्यलय कार्यकर्ता और नेता विहीन बनकर दिखाई दे रहे हैं।
सिवाय तेलंगाना को छोड़कर।
अब ऐसे में चुनाव का परिणाम क्या आया होगा यह समझा जा सकता है।
तीन बड़े राज्यों में कांग्रेस पार्टी को करारी मात तो वंही भाजपा को जबदस्त तरीके से जीत हासिल हुई है। ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiIcwFQAMTLjuro0Tcax7n42VGMCYTr8BjfNpXGYUucXkji_RFDUCpTLM0I48hYso_MBxNm7cW4dWtGqRpcds3cNj2rqdiHI-l3ewnOmcCg6dTQfKLDit7OKeRPRmih8XDrSa3DMJh3KzYbFKxCkwufFGgUgrJbbAVYjq-1YGxFQMEc-q1DcgE_VfTOUiQ/w400-h225/lok_sabha_elections_2019_bahraich_39_s_lok_sabha_seat_election_news_latest_news__1556779347.jpg)
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जीत को लेकर सोसल मीडिया में यह खबर चल रही है कि दिल्ली के मिठाई वाले हलवाईयों को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय भोपाल, रायपुर और जयपुर भाजपा कार्यालय हेलिकॉप्टर से भेजा गया है।
निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए तीन राज्यों में हुए चुनाव का परिणाम खुशी की लहर बढ़ाने वाली बात साबित हुई है। भारतीय जनता पार्टी के रणबांकुरों ने तीन राज्यों में काफी मेहनत किया है। वंही कांग्रेस पार्टी के नेताओं को विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक बार और लोकसभा चुनाव से पहले पीछे ढकेल दिया है।
कांग्रेस की हार के कारण : India गठबंधन अलग-अलग लड़ा, परिणाम सामने है।
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कांग्रेस पार्टी को सबको साथ लेकर चलना था,लेकिन अहम ले डूबा।
यानि कि मोहब्बत के नाम पर बनियागिरी बनी हार का मुख्य वजह
राजस्थान -अंदरूनी कलह
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई को कौन भूल सकता है। कुछ महीने पहले मंत्री मंडल में शामिल एक मंत्री को हटा दिया गया जबकि अशोक गहलोत सचिन पायलट को लेकर मिडिया में कुछ भी बयान देते हुए दिखाई दिए हैं।
मध्यप्रदेश -अहंकारी नेतृत्व
मध्यप्रदेश की जनता पिछले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की सरकार और उनकी सरकारी सनक की तासीर को भंलिभांती समझ चुकी थी।
विपक्ष में रहने के दौरान पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को मजबूत करने के बजाए मध्यप्रदेश के ज्यादातर बड़े कांग्रेसी नेता केन्द्र में मौजूद मोदी सरकार को घेरते हुए दिल्ली में दिखाई दिए हैं, जबकि जमीनी स्तर पर शिवराज सरकार के खिलाफ नदारद मिले हैं।
छत्तीसगढ़ में पीएस सी घोटाले मामले को लेकर जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूपेश बघेल की भरोसे को चकमा देते हुए इस बार 75 पार कहने वाले लोगों से सत्ता की चाबी खिंच सकते हैं, तो यही काम मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेता शिवराज सिंह सरकार में हुए पी एस घोटाले पर लड़ाई लड़ने के बजाए दिल्ली में अखाड़े खेलते हुए जाते रहे है।
छत्तीसगढ़ -अति आत्मविश्वास
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निश्चित रूप से एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले माटीपुत्र नेता हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन जिस तरह से उनकी सरकार ने कानून व्यवस्था, कमीशनखोरी और नशा को बढ़ावा दिया है।
इसे प्रदेश की जनता भंलिभांती पहचान चुकी थी है। भाजपा पूरे राज्य भर में काफी कमजोर दिखाई दे रही थी जबकि कांग्रेस पार्टी के नेता अंदर ही अंदर अपनी जीत तय समझकर मनमानी और अनदेखी में दृष्ट्रराष्ट्र बने रहे।
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यंहा तक एक दूसरे से लड़ते और भिड़ते हुए पाए गए हैं,जबकि सभी कांग्रेसी नेताओं को पार्टी आलाकमान के ओर से नसीहत दी गई थी। आब जिसने पार्टी आलाकमान की नसीहत को समझा और परखा उनके सर आज जीत का सेहरा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ राज्य की सत्ता में पांच साल बाद दोबारा नहीं बन सकी यह चिंता की बात है।
वक़्त का तक़ाज़ा : आत्मचिंतन
दिन रात मजबूती के साथ जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर सवालों के जरिए तीर छोड़ने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए विधानसभा में बढ़त और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद सभी को थी, लेकिन जिस तरह से चुनाव का परिणाम आया है वह कांग्रेस पार्टी के नेताओं और प्रसंशको के लिए निराशा जनक है
चूंकि लोकसभा चुनाव में ज्यादा दिन शेष बांकी रह नहीं गए है ऐसे में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी और तमाम कांग्रेसी नेताओं को यह समझना होगा कि सिर्फ चुनावी घोषणाओं के जरिए चुनाव की परिणामों को बदला नहीं जा सकता है बल्कि धरातल पर काम दिखाना पड़ता है। कांग्रेस शासित राज्यों में निश्चित रूप से कांग्रेसी सरकारों ने जनता से जुड़े हुए कई बेहतरीन योजनाएं संचालित कर रखे हुए हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित कर्नाटक उदाहरण है। बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी को इसका फायदा क्यों नहीं मिल सका यह एक बड़ा सवाल है।
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