प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिल रही अनाज को बेंचकर शराब खरीद रहे है लोग।
बालोद -: कहा तो यह जाता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सबसे पहले जरूरतमंदों लोगों को मिलना चाहिए, ताकी सरकारी योजनाओं से जुड़े हुए मुख्य आधारों की पूर्ति भंलिभांती तरीके से हो सके और सरकारी योजनाओं का लाभन्वित जरूरतमंदों लोगों की दैनिक दिनचर्या में सुधार लाया जा सके, उनके जीवन स्तर को बढ़िया बनाया जा सके, लेकिन कई बार यह देखा जाता है कि गैर जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों के साथ मिल जाता है। अब गैर जरुरतमंदों को गैर जरूरी संसाधन वह भी फोकट में रेवड़ी की भांति मिलेगा तो गैर जरूरतमंद लोग इसका इस्तेमाल कंहा पर करेगा और किस तरह से करेगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है। शायद इसलिए कहा गया है कि चोर का माल सब खाए, लेकिन चोर के साथ कोई न जाए, पर चोर की जान अकारथ जाए। बहरहाल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और 30 नवंबर 2023 को तेलंगाना में पांच राज्यों में हो रही विधानसभा चुनाव के आखरी दौर से पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। यह देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 साल तक अनाज देने वाली योजना है।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhQRcARmHs_5mdSgTSnIbArHoxRO_IY98SfSg2yfcQTapyhLBLDex2DLGkKTwZxzzdwrkd-jFwMsmMdjq_cJ5KuMFAfQxgKSARmV6hIRdK8i97_pLA1mniGn_KjsUeH2ku047YZ1wmWmOzid7lb1cXSNh3sF8iXMeit5YuAuVICLHBi4AQNWCdsSZvdII/w400-h226/IMG-20231130-WA0119.jpg)
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हालांकि इस योजना की शुरुआत कोविड महामारी के दौरान से की गई थी। सरकार ने इस योजना को 1 जनवरी 2024 के बाद अगले 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। योजना के लाभान्वितों को प्रति व्यक्ति 5 किलो मुक्त अनाज मिलेगा और 80 करोड़ भारतीयों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही अन्य योजना का लाभ पाने वाले हर परिवार को 35 किलो अनाज मिलता रहेगा।
योजना के तहत 31 दिसंबर 2023 तक जरूरतमंदों को मुक्त अनाज देना था, लेकिन फिलहाल लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने इस योजना को अगले आने वाले 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है, जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है।
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ज्ञात हो कि कांग्रेस शासित रह चुकी छत्तीसगढ़ राज्य में केन्द्रीय योजनाओं का सफल क्रियान्वयन को लेकर बिते कुछ वर्षों में काफी गंभीर सवाल खड़े किए जा चुके हैं। इन सवालों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना भी शामिल होने की बात जग जाहिर है। ऐसे में इस योजना में लाभन्वित कई लोग सरकार की मंशा और गरीबी का मज़ाक़ उड़ाते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के गली कूचों में खुलेआम देखें जा रहे है।
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विडंबना इस बात का है कि यह सब खुलेआम हो रहा है और दोनों राजनीतिक दलों के नेता इस वाक्या को देखकर चुपचाप पतली गली से निकल जा रहे है।
गैर जरूरतमंद लोग जिन्हें हर महीने मिल रही अनाज का इस्तेमाल कैसे करना है यह पता नहीं है, अक्सर ऐसे लोग प्रति किलो 25 रूपए के दर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाली चांवल को बेंच रहे हैं।
बेंचने वाले ज्यादातर लोग रूपए का इस्तेमाल शराब और अपने अन्य जरूरत के संसाधनों पर कर रहे हैं। प्रदेश के बालोद जिले अंतर्गत अनेक ग्राम पंचायतों में यह कार्य खुलेआम देखने को मिलता है। लोग राशन दुकान से चांवल प्राप्त करने के बाद इन चांवलो को खरीददार लोगों को 25 प्रति किलो के दाम पर बेंच रहे हैं
मामले को लेकर जिला खाद्य अधिकारी से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जानकारी दी गई है, लेकिन बावजूद इसके सरकारी योजनाओं में गरीबों की ग़रीबी का मजाक उड़ानें का यह सिलसिला अभी तर-बतर जारी है। जरा सोचिए क्या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी खेत में चावल की खेती करने जाते है, हरगिज नहीं फिर क्यों फोकट में बगैर अन्न की कीमत को जाने समझे फोकटचंद लोगों को मुफ्त में अनाज बांटते हुए फिर रहा है यह समझ के परे है। देश के असंख्य किसान दिन रात मेहनत पसीने एक एक करके एक एक अन्न की दाना को उपजाता है। एक एक अन्न की सफल उत्पादन हेतू किसान अपनी चमड़ी के साथ अपने परिवार तक की चमड़ी उतरवाता है, तब जाकर सरकार को मेहनत और पसीने से उपजाई हुई अन्न के एक एक दाना को खरीदने का मौका मिलता है। जिसके लिए भी हर साल किसानों को आवाज बुलंद करना पड़ता है।
अनाज बांटना ही है तो जो सच में हकदार हैं उन्हें बांटा जाए महज वोट बैंक की राजनीति चमकाने हेतू अन्न का अपमान कतई सही नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य की बालोद जिले के गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कवंर, परसुली, खोरदो, नरबदा,डोटोपार,सनौद,पलारी सरबदा,बासीन, गंगोरीपार, धनेली,बोडरा,सरबदा, दर्रा,खर्रा , फागुन्दाह,उसरवारा,तितुरगहन जैसे कई ग्राम पंचायतों से रोजाना राशन दुकान चलाने वाले लोग प्रति किलो 25 रूपए की दर से चांवल खरीद रहे हैं और इन चांवलो को राइस मिलों में ले जाकर बेंच रहे हैं।