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सहारा का छीन गया आज सहारा ।

असंख्य गरीबों और मजलूमों की मेहनत और पसीने की कमाई का आखिरी सहारा छीना। महशूर सहारा ग्रुप के प्रमोटर सुब्रत राय सहारा का हुआ अंत। 
नई दिल्ली :सुब्रत रॉय सहारा एक करिश्माई व्यक्ति थे। वो भारत के उद्योग जगत के पहले सुपर स्टार थे। एक दौर था। उनकी शोहरत का सूरज कभी अस्त नही होता था। बड़े बड़े नेता लाइन लगाकर  खड़े रहते थे। बॉलीवुड के सुपर स्टार उनके घर चाय वितरण करते थे। उद्योग जगत नतमस्तक था सुब्रत रॉय के सामने। पत्रकार उन्हें सहारा प्रणाम करके गौरवान्वित महसूस करते थे। रॉय ने जिस पर भी हाथ रख दिया वो दौलत, शोहरत और ताकत की बुलंदी पर होता था। चिट फंड से लेकर एयरलाइंस तक सब धंधा किया। उनके बेटों की शादी हुई थी लखनऊ से। भारत के प्रधानमंत्री, दर्जन भर से अधिक केंद्रीय मंत्री,कितने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और पूरा उद्योग जगत रॉय के बुलावे पर आया था। क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी मेहमानो को खाना परोसते थे। वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सभी सदस्यों को अम्बे वैली को घर गिफ्ट में दिए। बड़े क्रिकेटर उनके बच्चों की शादी हो या घरेलू आयोजन बिना सहारा श्री के पूरा नहीं होता था। सुपर स्टार महोदय तो खाना परोसते थे। बेहिसाब दौलत और बेशुमार ताकत। तब सिर्फ नाम ही काफी था। सुब्रत रॉय। लेकिन एक राजनीतिक भूल ने सुब्रत रॉय के एंपायर को लगभग धूल में मिला दिया। उनके आलोचक भी बहुत हैं जो आज भी इलजाम लगाते हैं। लेकिन वक्त बदला तो जो ताकतवर लोग रॉय के घर झाड़ू पोछा करके भी गौरव की अनुभूति करते थे उन्होंने भी पीठ दिखा दी। सुब्रत रॉय का साथ उन सबने छोड़ दिया जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था। वो घिरते गए। जेल गए। साम्राज्य सिकुड़ता गया। कैसे तैसे जेल से निकले। कभी शान ओ शौकत का एंपायर उनके ही सामने खंडहर हो गया। किसी ने उनका साथ नहीं दिया। आज भी सेबी के पास सहारा का 25 हजार करोड़ है। लेकिन सहारा ग्रुप का पतन हो गया। वो जितने बड़े शो मैन थे आज उतनी ही खामोशी से चले गए। सर, इसीलिए कहता हूं समय न लड़ो। आजतक कोई जीत नही पाया। जीत भी नही सकता।
सुब्रत राय,एक समय का ऐसा ताकतवर नाम जिसके आस पास देश के शीर्ष राजनेता, फिल्मी सितारे और उद्योगपति मंडराते थे, पास आने की होड़ में लगे रहते थे।
...और फिर अचानक सब कुछ ख़त्म सा हो गया, तेज़ी से पतन होता चला गया,जेल भी जाना पड़ा।
शायद ही किसी पार्टी का कोई बड़ा नेता हो, जिसने सुब्रत राय से पैसा न लिया हो, कुछ का पता है तो कुछ के राज आज दफ़न हो गए।
सहारा इंडिया में देश के करोड़ों छोटे बड़े निवेशकों का पैसा लगा था,कुछ का वापिस  मिला,अधिकांश का नहीं।
सुब्रत राय जैसे पूंजीपति का जीवन एक सबक है कि इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं- चाहे सत्ता हो, पद, पैसा या फ़िर स्वार्थी मित्रों की भीड़।
विनम्र श्रद्धांजलि।

anutrickz

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