शाम 5 बजे के बाद थम जायेगा प्रचार का दौर, लेकिन सवाल अब भी लोगों की जेहन में बार बार आखिरकार किसकी पूरी होगी दौड़।
बालोद :-छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मद्देनजर आज एक बार फिर नेताओं की मतदाताओं के चरण पकड़ने का आज आखिरी दिन है! शाम 5 बजे तक नेता जायेंगे मतदाताओं के घर घर, इसके बाद किसी भी नेता का चरण मतदाताओं को पूरे 5 साल तक उनके घर में जाकर पकड़ना है!बहरहाल प्रदेश के 70 विधानसभा सीटों पर 17 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान संपन्न होना है।
आज सभी 70 विधानसभा सीटों पर जारी चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। आज शाम 5 बजे से सभी तरह से चुनाव प्रचार का दौर थम जायेगा। यानि कि अब जैसे कि माना जाता है बिलकुल ठीक उसी तरह से दारू, कुकरी के जरिए मतदाताओं को रिझाने का काम शुरू हो जायेगा। वैसे भी रिवाज बन चुका है हर चुनाव में दारू पीओ तान के और नेता चुनो अपन जान के।
गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में होने वाले इस चुनाव में संजारी बालोद विधानसभा सीट भी शामिल हैं। इस विधानसभा सीट में त्रिशंकु मुकाबला होने की बात लोगों के मुंह से सुना जा सकता है। एक ओर लगातार इस विधानसभा सीट पर सत्ता का परचम लहरा रही सिन्हा परिवार की बहू और बतौर कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार संगीता सिन्हा मैदान में खड़ी है, तो वंही दूसरी ओर भाजपा ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की पत्थरीली जमीन पर कमल खिलाने का जिम्मा राजनीति में जबदस्त तरीके से गैरी मताने वाले राकेश यादव पर छोड़ा है। अब बात की जाए तीसरे उम्मीदवार मीना सत्येन्द्र साहू की जो कि राजनीति में वैसे तो कांग्रेस पार्टी के बदौलत राजनीतिक जीवन में कदम रखी है, लेकिन दिन रात कांग्रेस पार्टी की मां समान सेवा करने के बाद उन्हें पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है। मीना सत्येन्द्र साहू की इस फैसले ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक धरा में हड़कंप मचा दिया है।संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के सभी उम्मीदवार जीत के प्रबल दावेदार, लेकिन जीतेगा सिर्फ एक उम्मीदवार।
यह सर्व विदित है कि चुनाव में जीत सिर्फ एक ही उम्मीदवार की होती है। बावजूद इसके सभी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर कर जीत हासिल करने हेतू दिन रात मेहनत करते हैं। अब जैसा कि सभी को भंलिभांती पता है कि जीत सिर्फ एक उम्मीदवार की तय होती है लिहाजा लगभग हर उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने हेतू मेहनत करते हुए देखे जा रहे हैं।
बेसक चुनाव में जनता ही मालिक होता है लेकिन हुकूमत नेताओं का ही होता है। बहरहाल संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में यह चुनाव त्रिशंकु होने की बात कही जा रही है। राजनीति के विषय में जानकारी रखने वाले लोगों की मानें तो चुनाव और जंग एक समान होती है और इसमें जीत हासिल करने हेतू प्रतिभागी कुछ भी रणनीति अपना सकते है और यदि लड़ाई त्रिशंकु हो तो लड़ाई देखने में भी दिलचस्प हो सकता है। कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार संगीता सिन्हा पार्टी की घोषणा पत्र को लेकर आम मतदाताओं से वोट की अपील को बखूबी तरीके से निभाते हुए नजर आ रही है।

हालांकि संगीता सिन्हा का दम इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर बताई जा रही है। कारण कूनबे में शामिल साथीयों का कूनबा छोड़ देना। अब सवाल संगीता सिन्हा के लिए यह उठता है कि जो अपनों का साथ नहीं हुआ वो दूसरे का साथ ईमानदारी से कैसे निभायेगा इसकी क्या गारंटी है।
वंही भाजपा उम्मीदवार राकेश यादव को लेकर भी अपवाह की खबर सुनने को मिली थी कि वे बाहरी है और उन्होंने साहू समाज को आइल ब्रांड कहा है।
सूत्रों की मानें तो मामले को लेकर साहू समाज के जिम्मेदार लोगों ने समाज के भीतर मामले को लेकर कई दफा बैठकें की है, लेकिन इस अफवाह की असल माजरा क्या है यह किसी को अभी तक पता चल नहीं सका है। फिलहाल राकेश यादव के कई पुराने साथी उनका साथ छोड़कर अलग थलग पड़े हुए हैं जबकि राकेश यादव अपने बचे कुचे साथियों के साथ मैदान पर डटे हुए हैं। अब बात करते हैं मीना सत्येन्द्र साहू की जिसे कांग्रेस पार्टी ने राजनीति में उंगली पकड़कर चलना सिखाया है,जो कि इस बार मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मौजूद है और भाजपा प्रत्याशी राकेश यादव के साथ कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार संगीता सिन्हा को कड़ी चुनौती देते हुए दिखाई दे रही है। हालांकि मीना सत्येन्द्र साहू चुनाव मैदान में पहली बार बगैर किसी बैनर तले लड़ने की इच्छा रखते हुए, इस मैदान पर उतरी है, लेकिन अपने ही पार्टी से बागी हो चुनाव लड़ने का यह तरीका कंही आगे आने वाले दिनों में भारी न पड़ जाए भी एक सवाल जिंदा है।
हालांकि मीना सत्येन्द्र साहू को जबदस्त तरीके से लोगों का समर्थन मिलते हुए नजर आ रहा है लेकिन चुनाव में जीत किसे हासिल होगी यह अभी नहीं कहा जा सकता है।