▪️छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एक से बढ़कर एक लबरो को इन दिनों सूबे की अवाम एक टक बड़े गौर से देख रही है और देखते देखते सोंच रही है कि ये दारी फेर लबरो की बारी ▪️
रायपुर : चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी कल्चर को लेकर बिते कुछ वर्षों से लगातार बात चल रही है, लेकिन जानकारी में यह भी सुनने को मिला है,कि मुफ़्त रेवड़ी कल्चर पर सवाल खड़े करने वाले लोग तक इन दिनों छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जनता के पीछे पीछे रेवड़ी का डब्बा लेकर घुमते हुए देखे जा रहे है। भूपेश कका,30 टका। अब बात उनकी भी कर लेते हैं जिनके ऊपर मुफ्त में रेवड़ी बांटने का आरोप रेवड़ी का डब्बा लेकर जनता के पीछे पीछे इन दिनों घुम रहे लोग लगाते हुए देखे जाते रहे है।
कुछ पुराने बयानात है जरा गौर कीजिए :-विधायक और मंत्री कमीशनखोरी करना छोड़ दें हमारी सरकार तीस साल तक राज करेगी।

कुछ पुराने बयानात है जरा गौर कीजिए :-विधायक और मंत्री कमीशनखोरी करना छोड़ दें हमारी सरकार तीस साल तक राज करेगी।
देश में छत्तीसगढ़ राज्य को आर्थिक रूप से कमजोर राज्य माना जाता है। यंहा के मेहनतकश बांसिदे रोज कुंआ खोदकर पानी पीते हैं। 2018 से कांग्रेस पार्टी की सरकार राज्य में बनी है, तब से प्रदेश में कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है,जबकि पूरे पांच साल तक कांग्रेस पार्टी के हर बड़े नेता बड़े बड़े मंचों पर यह कहते हुए दिखाई दिए है कि उनकी सरकार जब से प्रदेश की सत्ता में आई है, तब से उनकी सरकार ने गांव,गरीब, किसान और मजदूरों के लिए दिन रात मेहनत किया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि कांग्रेस पार्टी की छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीनी स्तर पर मेहनत किया है,तो मेहनत के बदले राज्य में कर्ज कैसा?अचानक ऐसी क्या मजबूरी आ खड़ी हुई कि कांग्रेस पार्टी को रोज रोज रेवड़ी का डब्बा लेकर जनता के पीछे-पीछे घुमंतू टाइप चक्कर लगाना पड़ रहा है? छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव का पहले चरण का मतदान 20 सीटों पर सफल तरीके से संपन्न हो गया है,वंही दूसरे चरण का मतदान बांकी 70 सीटों पर 17 नवंबर को होगा।

इस बीच मतदाताओं को रिझाने और लूभाने का दौर, वह भी बकायदा रेवड़ी का डब्बा लेकर बखूबी तरीके से निर्वाचित आयोग का नाक के नीचे से किया जा रहा है। किसी भी व्यक्ति को अगर मेहनत और ईमानदारी से उनके द्वारा किए गए कामों पर पैसा मिलता है, तो वह व्यक्ति ना सिर्फ स्वंय पैसा की वैल्यूज और किमत को समझेगा बल्कि दूसरों को भी इसकी वैल्यूज और किमत बतायेगा और सोंच समझ कर पैसा खर्च करेगा क्योंकि कहा जाता है कि पैसा खूदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम नहीं है। यदि किसी व्यक्ति को बेवजह पैसे मिल जाए तो वह इन पैसों की कीमत और वैल्यूज को समझ नहीं पायेगा और उसे फ्री का पैसा समझकर कंहा खर्च करेगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है। अगर यही चीज रेवड़ी का डब्बा लेकर जनता के पीछे-पीछे घुमंतू टाइप घुमने वाले नेताओं को समझ आ जाए तो हमारा देश प्रदेश कंहा से कंहा पहुंच जायेगा। छत्तीसगढ़ चुनाव घोषणा पर घोषणा।
Bjp: महिलाओं को 12000
कांग्रेस: 20 क्विंटल धान खरीदी 3200
Bjp: 21क्विंटल धान खरीदी 3100
कांग्रेस: पहले की तरह कर्ज माफी
Bjp:1लाख सरकारी नौकरी।
इस बीच यह भी एक सवाल है कि राज्य का रिवेन्यू में इजाफा कैसे होगा और रिवेन्यू का सोर्स क्या होगा? यदि रेवड़ी का डब्बा लेकर जनता के पीछे -पीछे घुमन्तू टाइप घुमने वाले हमारे नेता घोषणा पत्र में शामिल कर लिया होता तो शायद और बढ़िया होता और जनता को भी साफ -साफ समझ में आ जाती कि आगे घोषणा की पूर्ति हेतू वे गोबर उठायेंगे या फिर इंसानी मल।बहरहाल इसके लिए कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी समकालीन दलों ने इस चीज को समझने में 60 साल लगा दिया है, जिसके चलते शायद आज सवाल पूछा जाता है कि आखिरकार 60 सालों में क्या किया है? फिलहाल आज सत्ता की हुनक ही प्रमुख साध्य है और इसे कोई धर्म का आड़ लेकर हथिया रहा है तो कोई रेवड़ी का डब्बा खैरात में बांट कर, बांकी स्वंय विचार करें।