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भारत के जंगल खदानें समुन्दर के तट नदियाँ सब बेचा जा रहा है, जबकि लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
लोग विरोध कर रहे हैं जो वहाँ रहते हैं ज्यादातर आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए गरीब तबकों के आदिवासियों का बसेरा भारत के इन हिस्सों में पाई जाती है
विरोध करने में आदमी औरतें बच्चे सभी शामिल हैं। विरोध करने वालों को जेलों में डाला जा रहा है। आदिवासियों के संघर्ष का समर्थन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी जेलों में डाला जा रहा है।
इनमें वकील लेखक मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार शामिल होने की बात जग जाहिर है।
छत्तीसगढ़ की सोनी सोरी और झारखंड की दयामनी बारला को तो हम जानते हैं
लेकिन हजारों ऐसी आदिवासी किसान महिलाएं हैं जो अभी भी जेलों में बंद हैं जिन्हें कोई नहीं जानता है।
हजारों ऐसी महिला किसान हैं जिनके साथ भारतीय सुरक्षा बलों ने बलात्कार कर मौत के घाट तक उतार दिया है।
भारत के मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कबूल किया कि सोलह महिलाओं के पास उन्हें प्राथमिक साक्ष्य मिले जिससे यह साबित होता है कि उनके साथ सुरक्षा बलों के सिपाहियों ने बलात्कार किये है ।
फादर स्टेन स्वामी जिन्हें हाल ही में शहीद होना पड़ा उनका कसूर क्या था, आजतक किसी को समझ नहीं आई है। उन्होंने जेलों में बंद चार हज़ार आदिवासियों की सूची जारी कर दी थी जिन्हें फर्जी मुकदमें बना कर बरसों से जेलों में सड़ाया जा रहा है।
भारत के राष्ट्रपति को भारत के संविधान ने आदिवासियों का संरक्षक नियुक्त किया है।
राष्ट्रपति बिना सरकार से पूछे आदिवासियों के मानवाधिकार जीवन और आजीविका को खतरे में देख कर किसी भी कानून का आदिवासी क्षेत्रों में लागू होने पर रोक लगा सकता है।
राष्ट्रपति किसी भी ऐसी परियोजना को रोकने का आदेश दे सकता है जिससे आदिवसियों के जीवन आजीविका या समुदाय की परम्पराओं के मिटने का खतरा हो,लेकिन आज़ादी के बाद से आज तक एक भी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया है।
आजादी के बाद सबसे पहले बने दामोदर वैली बाँध के झारखंड के आदिवासी आज तक पुनर्वास का इंतज़ार कर रहे हैं।
आप कहेंगे कि क्या देश को बिजली नहीं चाहिए ?
ठीक है आपको बिजली चाहिए आपने आदिवासियों को उजाड़ दिया है।
आपका अधिकार बिजली पर है लेकिन आदिवासी को दुबारा बसा दिया जाय उसकी जीविका की जिम्मेदारी किसकी है?
जब आजादी आ रही थी गांधी ने कहा था कि अगर भारत अंग्रेज़ी विकास का माडल चुनेगा तो उसे अपने ही देशवासियों से युद्ध करना पड़ेगा।
अंग्रेज़ी विकास का माडल कहता है विकसित वही है जिसके पास ज्यादा हो
लेकिन प्रकृति ने सबको बराबर दिया है
आपके पास ज्यादा तभी हो सकता है जब आप दुसरे के हिस्से का भी ले लें
दूसरा देगा नहीं तो आप उसे छीनेंगे
छीन आप तभी सकते हैं जब आपके पास ताकत हो।
कहा जाता था अंग्रेज़ी राज में कभी सूरज नहीं डूबता । एक अँगरेज़ ने लिखा यह भी सच है अंग्रेज़ी राज में कभी खून नहीं सूखता।
अंग्रेज अपने इस विकास के माडल को बनाये रखने के लिए सारी दुनिया में युद्ध करते थे।
गाँधी ने कहा था अगर भारत इस अंग्रेज़ी विकास के माडल को अपनाएगा तो वह किस पर हमला करेगा
गांधी ने कहा लिख कर रख लो एक दिन आप अपने ही गावों पर हमला कर देंगे
वो हमला जारी है
आज हमारे सुरक्षा बलों के सिपाही सबसे ज्यादा कहाँ हैं
वो आदिवासी इलाकों में हैं
वो वहाँ क्या करने गये हैं
वो वहाँ ज़मीनों पर कब्ज़ा करने गये हैं
ज़मीनों पर कब्ज़ा किसके लिए किया जा रहा है क्या देश की गरीबी दूर करने के लिए
नहीं बल्कि पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए
सिपाही भी गरीब किसान का बच्चा है
जिस आदिवासी को वह मार रहा है वह भी गरीब किसान है
किसान किसान को मार रहा है
पूंजीपति फायदा उठा रहा है
यही है पूंजीवाद का किसान पर हमला
किसानों के हाथों में बंदूकें पकड़ा दी हैं कि मारो एक दुसरे को फायदा हम उठाएंगे
आज जो युद्ध आदिवासी इलाकों में चल रहा है वह युद्ध एक दिन पंजाब हरियाणा यूपी में भी दिखाई देगा
इन सूबों में भी सीआरपीएफ बिठाई जायेगी और जमीनों पर पूंजीपतियों का कब्जा कराया जाएगा
यहाँ के किसानों को भी आपस में युद्ध में झोंका जाएगा
पूंजीवाद बिना हिंसा के ना फ़ैल सकता है ना जिंदा रह सकता हैं।
आदिवासी अपनी पूरी ताकत से इसके खिलाफ लड़ रहा है
हाल फिलहाल भी सिल्गेर में आदिवासी फौजी तैनाती के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं
इसमें चार आदिवासियों को गोली से भून दिया गया जिसमें एक गर्भवती महिला किसान भी शामिल थी
आदिवासी कार्यकर्ता हिडमे को कुछ ही महीनें पहले गिरफ्तार कर युएपीए लगा कर जेल में डाल दिया गया है
हम सब जानते हैं कि यह पूंजीवादी लूट मानवाधिकार लोकतंत्र संविधान सबको कुचल देगी
हम अपने सामने देख रहे हैं कि पूंजीवाद ने गुंडों को सत्ता पर बैठा दिया है और देश के भले के लिए काम करने वाले लोगों को जेल में डाल दिया गया है
जनता को बेरोजगार बना दिया गया है काम धंधों को ख़तम कर दिया गया है
एक एक करके बैंकों को खाली किया जा रहा है और उन्हें दिवालिया घोषित किया जा रहा है
सरकार ने घोषित किया कि आपके घर में रखे पैसे अवैध हैं
सरकार ने व्यवस्था करी जिससे बैंक में रखा पैसा पूंजीपति लूट ले
यानी आपकी ज़मीन कानून बना कर और सीआरपीएफ के दम पर छीन ली जायेगी
आपकी नौकरी भी पूंजीपति का मुनाफा बढाने के लिए ख़त्म कर दी जायेगी
आपका पैसा भी पूंजीपति हडप कर जाएगा
जो इस सबके खिलाफ आवाज़ उठाएगा उसे युएपीए लगा कर जेल में डाल दिया जाएगा
यह सब साफ़ साफ़ हो रहा है
लाखों किसान इसके खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं
करोड़ों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं
करोड़ों पढ़े लिखे नौजवान नौकरी खो चुके हैं
हाल ही में एक बीमारी में सरकार ने जनता को कैसे सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया था वह हमने देखा
स्कूली पढ़ाई बंद हो चुकी है
इस व्यवस्था में आपके लिए कुछ नहीं बचा है ना पढ़ाई ना इलाज ना नौकरी ना काम धंधा
बल्कि आपका कमाया हुआ पैसा भी यह लूट लेंगे आपकी ज़मीन भी छीन लेंगे
कमाल देखिये फिर भी एक तबका इस व्यवस्था का समर्थक है
उसके लिए समस्या मुसलमान या दलितों मिलने वाला आरक्षण है
हमारी लड़ाई ही गलत दिशा में है
समस्या मुसलमान या आरक्षण नहीं है
हमें अपनी लड़ाई को सही दिशा में मोड़ना पड़ेगा
तभी हम आने वाली पीढ़ियों को बचा सकेंगे।
समाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार के फेसबुक वॉल से साभार।