रायपुर: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकली हुई अमृत को हथियाने के लिए राक्षसों की सेना में से एक राक्षस देवताओं की वेशभूषा में देवता बनकर शामिल हो गया और अमृतपान करने में सफल हो गया था। बिलकुल ठीक उसी तरह कलजुग के इस दौर में भी सरकार के द्वारा परोसी जा रही जहर जिसे आधुनिक युग के शौकीन लोग शराब के नाम से जानते है। शराब को बुद्धिवर्ग जहर मानते हैं, जिसमें अंदेशा जताया जा रहा है कि घटिया मानसिकता से लबरेज लोग इस जहर भी घपलों को अंजाम देते हुए जनता को परोसने का काम किया हैं। हालांकि शराब घोटाले की असल सच्चाई क्या है यह अबतक साबित नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से मामले में कोर्ट का फैसला सुनने को मिल राहा है। उसे देखकर लोगों को लगता है कि दाल में कुछ तो काला है, तभी तो मामले में कोर्ट भी आरोपियों के खिलाफ जुटाए गए सबूतों को ध्यान में रखकर जमानत याचिका तक को आसानी से खारिज कर दे रही है।
हालांकि विपक्षी राजनीतिक दल ईडी और सीबीआई की ओर से की जाने वाली कार्यवाहियों को राजनीतिक साजिश करार देने में लगी हुई है। चूंकि सामने चुनाव है इसलिए राजनीतिक लाभ उठाने के लिए केन्द्र में मौजूद बीजेपी सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी राजनीतिक दल के नेताओं को झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेज रही है और घोटाले घोटाले चिल्ला चिल्ला कर लोकतंत्र की आवाज को बुलंद तरीके से उठाने वाले लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।

गौरतलब हो कि देश के सियासी गलियारों में इस बख्त ईडी और सीबीआई की कार्यवाहियों पर कोहराम मचा हुआ प्रतीत नजर आ रहा है। दिल्ली शराब घोटाले मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह तक लपेटे जा चुके हैं। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले से ईडी के गिरफ्त में हैं। वंही शराब घोटाले की जांच ईडी की टीम छत्तीसगढ़ राज्य में भी कर रही है। जिसमें सत्ताधारी पार्टी के कई नेता और उनके करीबी कारोबारी संदेह के दायरे में बताए जा रहे हैं। कहा तो यंहा तक जा रहा है कि जल्द ही छतिसगढ़ राज्य में भी कांग्रेस पार्टी के बड़े राजनेताओं का नाम शराब घोटाले में सामने आ सकता है और उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले के आरोपित अनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित और अरुणपति त्रिपाठी की ज़मानत याचिका हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने ख़ारिज कर दी है। अनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित स्वास्थ्यगत कारणों के चलते अंतरिम ज़मानत पर थे। स्थाई जमानत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद सभी आरोपितों को सरेंडर करना पड़ेगा। यानी कि वापस ईडी के हवाले।

दो हजार करोड़ रूपये का शराब घोटाला
ईडी ने छापामार कार्रवाई के बाद आरोप लगाया कि प्रदेश में दो हजार करोड़ रूपये का शराब घोटाला हुआ है। साथ ही टैक्स की चोरी हुई है। पूछताछ के बाद बाद ईडी ने रायपुर निवासी कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था। ईडी ने लंबी जांच के बाद उन्हें हिरासत में लिया था। मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्हें किडनी और गालब्लैडर स्टोन की दिक्कत थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में इससे जुड़े आरोपियों को राहत दी थी। स्वास्थ्यगत कारणों से अंतरिम जमानत पर चल रहे आरोपितों ने अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्थाई जमानत की गुहार लगाई थी।जिसे सुनवाई के बाद जस्टिस भादुड़ी ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद अब इनकी परेशानी बढ़ जाएगी। जमानत याचिका खारिज होने के बाद सभी आराेपितों को निचली अदालत के समक्ष सरेंडर करना पड़ेगा। वहां से जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब कारोबारी अनवर ढेबर को शराब घोटाले में आरोपित बनाया था। ईडी की ओर से छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला होने की बात कही थी। साथ ही 13 हजार पन्नों की चार्जशीट भी पेश की गई थी। दो हजार करोड़ शराब घोटाले का आरोप ईडी ने लगाया है, जिसे कांग्रेस ने लगातार निराधार बता रही है। ईडी ने शराब में राज्य में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग का दावा किया है। जिसमें कहा गया कि, राज्य में 2019 से 2022 तक दो हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इसमें राज्य के बड़े नेताओं और अधिकारियों का समर्थन था। कच्ची शराब सरकारी शराब दुकान में बेचने और इससे मुनाफा कमाने का आरोप अनवर ढेबर पर लगाया गया है।
