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क्या मीना सत्येन्द्र साहू और ललीता पीमन साहू के बगैर संगीता सिन्हा विधानसभा चुनाव भाजपा के मुकाबले जीत पायेगी।

बालोद: संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के सियासी गलियारों में इन दिनों एक ही चर्चा ने सुर्ख़ियो के बाजार को गर्म कर रखा हुआ है। पूरे विधानसभा के बाजारों में यह चर्चा आम है कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी के दोनों महिला जिला पंचायत सभापति मीना सत्येन्द्र साहू और ललीता पीमन साहू ने पार्टी और कांग्रेसी उम्मीदवार संगीता सिन्हा के खिलाफ बगावती सुर क्यों अख्तियार कर लिया है, जबकि कांग्रेस पार्टी के दोनों नेता कर्मठ कार्यकर्ता मानें जाते है और बतौर कांग्रेस पार्टी से दोनों बगावती सुर अख्तियार करने वाली महिला जिला पंचायत सभापतियो को विधानसभा के अंदर मौजूद मतदाता अपना नेता चुनते हुए आए हैं। पार्टी के बदौलत इन्होंने जन सेवा में बहुत बढ़िया मुकाम हासिल किया है। ऐसे में बीते कल जिला मुख्यालय के अंदर कांग्रेस पार्टी के सभी उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया जंहा पर इन दोनों महिला जिला पंचायत सभापति कांग्रेसी नेत्रीयों के साथ साथ कई और कांग्रेसी नेता कांग्रेस पार्टी के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नादरद पाये गए जो कि चर्चा की बाजार में बरकरार सुर्खियों को और ज्यादा गर्मी से भड़का दिया है। हालांकि मामले में कांग्रेस पार्टी के कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति और नेता कुछ भी कहने से साफ बचते हुए दिखाई देते है, लेकिन पार्टी के अंदर मची बग़ावत को देखते हुए यह माना जा रहा है कि यदि समय रहते हुए उठ रही इस बगावत को कांग्रेस पार्टी यदि भूल से भी शांत करने में असफल होती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह सर्व विदित है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी के बगावती सुर अख्तियार करने वाले नेताओं को पार्टी से इस बात को लेकर भरोसा था कि उन्हें इस बार मौका दिया जाएगा क्योंकि संगीता सिन्हा और उनके पति पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा को कांग्रेस पार्टी से एक बार विधायक चुने जा चुके हैं। तीसरे बार में पार्टी को नुकसान पहुंच सकता हैं, लेकिन पार्टी आलाकमान ने विधानसभा के बांकी नेताओं की इस सोंच को धत्ता बताते हुए उन्होंने तिसरी बार सिन्हा परिवार पर भरोसा जताते हुए भूपेश की भरोसे को बरकरार रखने का जिम्मा सौंप दिया है।
संगीता सिन्हा को जिम्मेदारी सौंपी जाने के बाद से कांग्रेसी महिला जिला पंचायत सभापतियो की बगावती हौसला हुए बुलंद।
फसल कटाई और सत्ताधारी नेताओं की मनमानी के चलते कांग्रेस नेताओं के प्रचार में नहीं के बराबर जनता।
छत्तीसगढ़ राज्य में इस बार का विधानसभा चुनाव धान की फसल कटाई के समय होने जा रही है। प्रदेश में ग्रामीण मतदाताओं का अहम योगदान माना जाता है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान ज्यादातर ग्रामीण मतदाता धान की फसल कटाई में व्यस्त हो चुके है। किसानों की व्यस्तता नेताओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है क्योंकि बैगर जनता जनार्दन के नेता आखिरकार प्रचार किसके सामने करें। वंही संगीता सिन्हा से नाराज़ चल रहे कांग्रेसी नेत्रीयों की निर्दलीय नामांकन पत्र खरीदने से पूरे विधानसभा क्षेत्र में एकतरफा माहौल बना हुआ है।विधायक संगीता सिन्हा के प्रचार प्रसार में मतदाता भी कम रूचि लेते हुए दिखाई दे रहे हैं जबकि जिला पंचायत सदस्य मीना सत्येन्द्र साहू और ललीता पीमन साहू को लेकर आम जनता के मध्य चर्चा का बाजार गर्म हो चुका है। लोगों की मानें तो मीना सत्येन्द्र साहू और ललीता पीमन साहू के उम्मीदवारी संगीता सिन्हा की सियासी समीकरण को तेजी से प्रभावित कर रही है। कुछ दिन पहले तक जंहा एक ओर कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले जीत नजर आ रही थी वंही अब बागियों के चलते संगीता सिन्हा की सियासी समीकरण गड़बड़ाते हुए कांग्रेस पार्टी के पक्ष से निकलते हुए बताई जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में उंट किस करवट बैठती है क्योंकि दोनों महिला जिला पंचायत सभापति कांग्रेस पार्टी की बहुत बड़ी वोटरों की वोट बैंक का जरिया माना जाता है। ऐसे में उनकी बगावती तेवर संगीता सिन्हा और कांग्रेस पार्टी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं माना जा रहा है।

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