बस्तर मांगे इंसाफ, आखिर कब तक सहते रहेंगे जुल्म।

बस्तर की सुलगती हुई लाल धरा में निवासरत एक बदनसीब, अहसास और गरीब बासिंदो ने कांग्रेस पार्टी को पूर्व में दिए गए उनके द्वारा अमूल्य बलिदानो को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय के दौरान एक से बढ़कर एक नगीने सौगात उपहार में दिए हैं।जिसमें मुख्य रूप से बस्तर के युवा दिलों की धड़कन अध्यक्ष छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी एवं सांसद दीपक बैज, बस्तर की पहचान दादी कवासी लखमा, सरई की छांव में अपने मुखारविंद से मधुर मुरली बजाते हुए सभी की मन को मोहने वाले मोहन मरकाम,संत की भांति व्यवहार के धनी संतराम नेताम,बेखौफ होकर जनता के लिए सर्वत्र खड़े रहने वाले विक्रम मंडावी,बस्तरहिन महिलाओं की आवाज फूलों देवी नेताम सहित कई और कांग्रेसी नेता शामिल है।
अतः इन सभी नगीनों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे सब मिलकर बस्तर की सुलगती हुई लाल धरा को अन्याय,शोषण अत्याचार ,गरीबी, लाचारी और बेकारी की दंश से बाहर निकाले और आम चो बस्तर बनाए। पूर्व में कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता भी यही चाहते हुए बस्तर की सुलगती हुई इस जमीन पर हंसते हुए प्राणों को न्यौछावर कर दिया है,लेकिन विडम्बना यह है कि बस्तर आज भी कई मायनों में काफी पिछड़ा हुआ बताया जा रहा है। अब पिछड़ने का क्या कारण हो सकता है"यह पुछना कोई ग़लत बात नहीं है,लेकिन विडम्बना यह है कि ज्यादातर कांग्रेसी नेता जमीनी धरातल पर जो सच्चाई मौजूद है। उससे उल्टा बढ़ चढ़ कर कई बार दावे करते हुए देखे जाते हैं "जबकि सच यह है कि बस्तर आज भी जल जंगल जमीन की लड़ाई में बर्बाद हो रही है और बस्तर की विकास हेतु मिलने वाली सरकारी सहायता का इस्तेमाल कई दुसरे कार्यों में किया जा रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि बस्तर से जुड़े हुए मुद्दों पर सवाल खड़े करते ही बस्तर के ये नयाब नगीने लंबे लंबे भाषण देने लग जाते हैं,जबकि इससे पूर्व कई कांग्रेसी नेताओं ने बस्तर की इसी सुलगती हुई इस लाल धरा में मौजूद तमाम विपदाओं को हरने की बात कह रखी है। बिलकुल ठीक उसी तरह जिस तरह राहुल गांधी बस्तर में आदिवासियों के साथ होने वाले शोषण, दमन और अत्याचार के विरोध में खड़े होने की दावे करते हुए नजर आए थे। बस्तर की पिछड़ने का एक बड़ा कारण बस्तर में मौजूद चुने हुए इन्हीं जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को भी माना जाता है।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि हर साल छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिण में स्थित बस्तर की इस सुलगती हुई इस लाल धरा पर विकास की नदियां बहाने के लिए भारत सरकार के साथ राज्य सरकार मेहनतकश जनता की पसीना निकाल देती है। बावजूद इसके बस्तर की सुलगती हुई लाल धरा पर विकास की नदियां कल-कल करती हुई बहने की बजाए हर साल सूखते हुए दिखाई देती है। इससे पूर्व भाजपा शासन काल में भी स्थिति काफी बद से बद्तर मानी जाती रही है।बस्तर में पदस्थ नौकरशाह मनमानी करते हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को चरम पर पहुंचाते हुए पाये गए हैं। वर्तमान समय के दौरान भी स्थिति ज्यादा कुछ अच्छा नहीं माना जा रहा है। पूर्व में छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रह चुके वर्तमान समय के केबिनेट मंत्री मोहन मरकाम विकास कार्यों में बंदरबांट होने की आशंका जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के सभी बस्तरिहा कांग्रेसी नगीनों के लिए यह चिंतन का विषय है कि उनकी नैतिक जिम्मेदारी क्या है और उन्होंने अपनी जिम्मेदारीयो को निभाने के लिए कंहा तक स्वंय को काबिल बनाने का प्रयास किया है।